15th November 2024

कोरोना काल में रूपाणी को सीएम पद से हटाने वाली रिपोर्ट करने वाले पत्रकार पर लगा था राजद्रोह का केस

माफी मांग कर छूटे थे राजद्रोह के मामले से

अहमदाबाद

विजय रुपाणी की विदाई हो गई है और भूपेन्द्र पटेल के सिर गुजरात का ताज सज गया है लेकिन पूरे मामले में एक पक्ष और है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक गुजराती पत्रकार ने अपने लेख में रुपाणी को हटाने का सुझाव दिया था और साथ ही संभावना भी जताई थी कि एक केन्द्रीय मंत्री रुपाणी की जगह ले लेगा। इस पत्रकार को इस खबर राजद्रोह के मामले का सामना करना पड़ा था और उस पत्रकार ने न्यायालय में माफी मांगकर इस मामले से पिंड छुड़ाया था।

दरअसल गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के संपादक धवल पटेल ने पिछले साल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसके चलते 11 मई 2020 को उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. उनके माफ़ी मांगने के बाद यह मामला रद्द किया गया था।

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के एक साल से अधिक समय बाद बीते शनिवार को रूपाणी के राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पटेल ने कहा है कि उनकी ‘रिपोर्ट सही साबित’ हुई है।

मई 2020 में जताई थी संभावना

धवल ने सात मई 2020 को यह रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें सूत्रों के हवाले से ये संभावना भी जताई गई थी कि गुजरात में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में नाकामी के कारण मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटाया जा सकता है। पटेल ने बताया, ‘मैंने विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि और अन्य जगहों से सत्यापित करने के बाद ये रिपोर्ट लिखी थी। देशद्रोह का मामला उस समय कोविड-19 के संदर्भ में पत्रकारों पर दबाव बनाने का एक तरीका था। ’

वैसे तो गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट को लेकर पत्रकार पर दर्ज किए गए राजद्रोह के मामले को रद्द कर दिया था, लेकिन न्यायालय के सामने उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि आगे भविष्य में जब भी वह कोई रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे, तो किसी भी संवैधानिक पद पर तैनात लोगों के खिलाफ बिना सत्यापन के इस तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे और वह फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे।

विदेश में बस गए पटेल

पटेल ने कहा, ‘यह स्पष्ट था कि सरकार मुझे इस मामले में घसीटना चाहती थी और मैं ये नहीं चाहता था कि ऐसा कुछ हो, क्योंकि इससे मेरे करिअर पर प्रभाव पड़ता। तो सरकारी वकील ने प्रस्ताव दिया कि मैं माफी मांग लूं और मैंने देश छोड़ दिया।’ रिपोर्ट में उन्होंने लिखा था कि केन्द्रीय मंत्री मांडविया को हाईकमान ने बुलाया है और गुजरात में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। उस समय मांडविया के पास केंद्र के बंदरगाह, पोत और जलमार्ग परिवहन मंत्रालय के राज्य मंत्री का (स्वतंत्र प्रभार) था। इस समय वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं और उनका नाम इस बार भी सीएम के दावेदारों में था।

हालांकि मांडविया ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और रूपाणी की वाहवाही की थी, जिसके बाद रिपोर्ट को हटा दिया गया था। इसके बाद पटेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 (झूठी चेतावनी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

बाद में एक स्थानीय अदालत ने धवल पटेल को बाद में जमानत दे दी थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पुलिस द्वारा पेश किए गए दस्तावेज और एफआईआर पत्रकार को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए कोई आरोप स्थापित नहीं करते हैं। धवल पटेल अभी भी ‘फेस ऑफ द नेशन’ के लिए लिख रहे हैं। उनका आखिरी आर्टिकल चार सितंबर को प्रकाशित हुआ था।

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