मॉल को पार्किंग शुल्क लेने का अधिकार नहीं
अपभोक्ता आयोग का निर्णय
मॉल्स में पार्किंग शुल्क लिया जाना आम है। कहीं तो हर विजिटर से पार्किंग शुल्क की मांग की जाती है तो कहीं पर मॉल से यदि आप कुछ भी खरीदी किए बिना जाते हैं तो आपसे पार्किंग शुल्क वसूला जाता है। ये पार्किंग शुल्क भी सामान्य न होकर बहुत ज्यादा होता है। इसी तरह ,के मामले में आध्र प्रदेश के जिला उपभोक्ता आयोग ने निर्णय देते हुए इसे गलत बताया है और कहां है कि मॉल्स को पार्किंग शुल्क लेने का कोई अधिकार नहीं है।
मामला 2019 का जब एक वकील एक मॉल में फिल्म देखने गया था। वहां पर तीन मल्टीप्लेक्स स्क्रीन थे। वहां पर वकील से पार्किंग शुल्क के रूप में 15 रुपए वसूले गए थे। इस मामले को वकील ने जिला उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि मॉलबिना किसी अधिकार के फिल्म देखने वालों से पार्किंग शुल्क की वसूली कर रहा है। ये उचित नही हैं।
आयोग के सामने इस मामले में सिनेमा हॉल व्यवसायिक गतिविधि है और इस तरह से उसे सरकार से ट्रेड लाइसेंस मिला है उसके चलते उसे भी अन्य सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों की तरह संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत पार्किंग शुल्क वसूल करने का अधिकार है। सिनेमा की ओर से ये भी कहा गया है कि उसे दर्शकों की गाड़ियों की सुरक्षा और रखरखाव की व्यवस्था पर राशि खर्च करना पड़ती है। इसके चलते उनका पार्किंग शुल्क वसूल करना सही है।
लेकिन आयोग इन तर्कों से सहमत नहीं हुआ और सिनेमा को शिकायतकर्ता से पार्किंग के रूप में वसूले गए 15 रुपए वापस करने के साथ ही 5000 रुपए का हर्जाना देने के निर्देश भी दिए हैं। आदेश नें आयोग ने कहा कि सिनेमा में तीन स्क्रीन है इसके चलते वो मल्टीप्लैक्स की परिभाषा में आता है। ये व्यवसायिक गतिविधियों में आता है। ऐसे में सिनेमा हॉल को बिना पार्किंग शुल्क के वाहन पार्किंग उपलब्ध कराना चाहिए ।