काशी विश्वनाथन मंदिर वाली विधानसभा में मोदी को मिले सबसे कम वोट
तीर्थों के विकास को लेकर नई बहस हो सकती है शुरू
अयोध्या और वाराणासी में के चुनाव परिणामों ने बड़े तीर्थ क्षेत्रों के विकास को लेकर नई बहस छेड़ दी है। जहां अयोध्या सीट तो भारतीय जनता पार्टी हार हई है, वहीं वाराणासी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार जीतने में तो सफल रहे लेकिन उनकी जीत को कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने फीका कर दि्या। हाल ये है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अपनी उपलब्धी बताने वाले मोदी को सबसे कम वोट इसी विधानसभा में मिले हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणासी दक्षिण विधानसभा में आता है। यहां पर भी कॉरिडोर के लिए पुराने मंदिरों और मकानों को हटाए जाने का विरोध हुआ था। ठीक ऐसी ही स्थिति अयोध्या में भी बनी थी जहां राम लला के भव्य मंदिर के लिए आस पास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया गया था।

वाराणासी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा आती हैं इनमें से वाराणासी दक्षिण सीट में ही काशी विश्वनाथ का मंदिर आता है। इस विधानसभा में भाजपा को केवल 97878 वोट मिले हैं। यह ऐसी एकमात्रा विधानसभा है जहां मोदी को एक लाख से कम वोट मिले हैं। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को 81732 वोट मिले हैं। इस तरह से मोदी को यहां से 16146 वोटों की लीड मिली है जो कि वाराणासी लोकसभा की सारी विधानसभाओं में से सबसे कम है। 2019 में नरेन्द्र मोदी को इस विधानसभा में 1.10 लाख वोट मिले थे।
दो विधानसभा में ही 90 हजार की लीड
मोदी वाराणासी से 152513 वोटों से जीतने में सफल रहे हैं। इस मार्जिन में 90 हजार वोटों का योगदान तो केवल दो सीटों का ही है। उन्हें वाराणासी केंट से 58277 वोट की लीड मिली तो वहीं वे वाराणासी उत्तर से तीस हजार वोटों से लीड लेने में सफल रहे। शेष तीन विधानसभा सीटों पर भी वे आगे रहे लेकिन इन सीटों पर अजय राय ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। विधानसभावार मोदी को वाराणासी लोकसभा सीट पर ये वोट मिले हैं।
वाराणसी विधानसभा | नरेन्द्र मोदी | अजय राय |
रोहनिया | 1,27,508 | 1,01,225 |
वाराणसी कैंट | 1,45,922 | 87,645 |
वाराणसी उत्तर | 1,31,241 | 1,01,731 |
वाराणसी दक्षिण | 97,878 | 81,732 |
सेवापुरी | 1,08,890 | 86,751 |
क्या कॉरिडोर के खिलाफ ये जनादेश?
अयोध्या और वाराणासी के जनादेश के बाद अब देश में इस पर बहस शुरू हो गई है कि क्या तीर्थों को विकास इस तरह से किया जाना चाहिए या नहीं। देश के पुराने धार्मिक शहर मंदिरों के आसपास ही विकसित हुए हैं। ऐसे में इनके आसपास कम जगह और जो लोग यहां रह रहें हैं उनकी पीढ़ियां यहां रहती आई हैं। आयोध्या में राम जन्मभूमि के आसापास के रहवासियों की शिकायत है कि उन्हें नाममात्र का मुआवजा देकर हटाया गया जिससे वे सड़क पर आ गए हैं। उनका कहना है कि वे मकान मालिक थे लेकिन अब किराएदार बनकर रह गए हैं। जितना मुआवजा मिला है उतने में नया मकान नहीं आ सकता है। यही शिकायत काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के रहवासियों ने भी की थी। उनका आरोप था कि सैंकड़ों बरस पुराने मंदिर भी हटा दिए गए। वृंदावन में भी कॉरिडोर का मामला गर्माया हुआ है। मंदिर के आसपास के लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।