27th July 2024

मध्य प्रदेश में 59 करोड़ खर्च करने के लिए एक मंत्री

राकेश शुक्ला को मिला है नवीन तथा नवकरणीय ऊर्जा विभाग

देश में किसी भी मंत्री के पास यह इकलौता विभाग नहीं, सामान्यत: ऊर्जा के दिया जाता है ये विभाग

यदि लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद आप को मंत्री बनाया जाए और आपको पता चले  कि आप जिस विभाग के मंत्री हैं उसका कुल बजट 59 करोड़ रुपए हैं तो आपको क्या लगेगा? निश्चत रूप से आप चौंक जाएंगे। धीरे-धीरे लगभग एक महीने के अंतराल में प्रदेश में सरकार का स्वरूप तय हो गया है और मंत्रियों को विभाग भी बंट गए हैं। लेकिन इस बंटवारे ने कुछ ऐसे प्रश्न छोड़ दिए हैं जिनका शायद मुख्यमंत्री भी न दें सकें। भिंड की मेहगांव सीट के तीसरी बार के विधायक राकेश शुक्ला को कैबिनेट मंत्री के रूप में जो विभाग मिला है उसका कुल बजट 59 करोड़ रूपए है। सवाल ये उठता है कि क्या इतने बजट के विभाग के लिए एक कैबिनेट मंत्री की जरुरत थी? जब बहुत से मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं तो ये एक और विभाग भी उन्हें देकर एक और मंत्री पर होने वाले खर्च से बचा जा सकता था?

राज्य सरकार के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार राकेश शुक्ला के पास केवल एक ही विभाग है नवीन तथा नवकरणीय ऊर्जा विभाग। यदि वित्त मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध बजट दस्तावेज देखा जाए तो इस विभाग के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में 62 करोड़ तथा चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 59 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। ये बजट के आधार प्रदेश सरकार का सबसे छोटा विभाग है और पूरे देश में किसी भी राज्य के मंत्री के पास यह इकलौता विभाग नहीं है। जैसे उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर यह विभाग ऊर्जा मंत्रालय के साथ अरविंद कुमार शर्मा के पास है तो वहीं छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने यह विभाग अपने पास रखा है। उनके पास इसके अलावा भी कईं और विभाग भी हैं।

 क्या काम है इस विभाग के?

यह विभाग मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करता है। हालांकि पवन ऊर्जा और छोटी पन बिजली परियोजना भी इसी में आता है। लेकिन बजट आवंटन में अधिकांश मद सौर ऊर्जा से संबंधित हैं जिसमें कि किसानों को सौर ऊर्जा पंप लगवाने का काम प्रमुख है। इसके अलावा प्रदेश में सौर ज्ञर्जा के क्षेत्र में निवेश लाने की जिम्मेदारी भी इसी विभाग के पास है। प्रदेश सरकार ने 2022 में नवीन तथा नवकरणीय ऊर्जा नीति भी बनाई है। जिसमें सरकार ने अगले पांच साल में प्रदेश की लगभग 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति नवीन तथा नवकरणीय ऊर्जा के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन सरकार ने अपने लक्ष्य के हिसाब का बजट इस विभाग के लिए तय नहीं किया है।

 कौन है राकेश शुक्ला ?

राकेश शुक्ला भिंड जिले के बड़े नेता है। वे पहलीबार 1998 में विधायक बने थे। 2003 में वे चुनाव हार गए लेकिन 2008 में दूसरी बार जीतने में सफल रहे। 2013 में कांग्रेस नेता राकेश सिंह चतुर्वेदी भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें टिकट दिए जाने के चलते भाजपा ने शुक्ला काट दिया तो वे निर्दलीय मैदान में उतर हए। 11700 से ज्यादा वोट पाकर वे छठे स्थान पर रहे। 2018 में पार्टी ने उन्हें फिर टिकट दिया, इस बार वे कांग्रेस प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया से हार गए। बाद में भदौरिया सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। 2023 में भाजपा ने भदौरिया का टिकट काट दिया और फिर से शुक्ला का मौका दिया। शुक्ला लगभग 22 हजार मतों के अंतर से चुनाव जीत गए और तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं।

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