सांसद, विधायक और मंत्री बने पार्षद

KMC-Election-1

कोलकाता

कोलकाता के नगर निगम चुनाव में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस (TMC) का डंका बजा है। 144 पार्षदों वाली नगर पालिका में टीएमसी ने 134 सीटें जीती है लेकिन इस जीत में खास बात यह है कि एक सांसद, एक विधायक और एक मंत्री भी पार्षद बने हैं। संभवत देश के लोकतांत्रिक इतिहास में किसी सांसद के पार्षद बनने का यह बिरला उदाहरण है।

पश्चिम बंगाल में रविवार को संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर फिरहाद हकीम पार्षद बने हैं। बाद में ममता बनर्जी ने पार्षदों की बैठक में उन्हें कोलकाता का महापौर भी नियुक्त किया है। हकीम पहले भी कोलकाता नगर निगम के महापौर रह चुके हैं बाद में जब मेयर का कार्यकाल समाप्त हो गया था तो ममता बनर्जी ने उन्हें प्रभारी महापौर भी नियुक्त किया था। हकीम कोलकाता पोर्ट असेंबली सीट से विधायक हैं।

पार्षद चुने जाने वाले हकीम अकेले विधायक नहीं है उनके अलावा काशीपुर बेलगछिया के एमएलए अतिन घोष भी वार्ड क्रमांक 11 से पार्षद निर्वाचित हुए हैं। उन्हें ममता बनर्जी ने उप महापौर नियुक्त किया है।

सूची यहीं समाप्त नहीं होती है। दक्षिण कोलकाता लोक सभा सीट की सांसद माला राय भी वार्ड क्रमांक 186 से पार्षद बनी हैं। उन्हें कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का चेयरपर्सन यानी कि सभापति नियुक्त किया गया है।

पार्षद चुनते हैं महापौर

जिन स्थानों पर महापौर का प्रत्यक्ष निर्वाचन होता है वहां पर विधायकों के महापौर बनने की खबरें आम है लेकिन पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष पद्धति से नहीं होता है। निर्वाचित पार्षद मिलकर अपने में से ही किसी पार्षद को महापौर चुनते हैं। इस नियम के चलते सांसद- विधायक भी महापौर बनने के लिए पार्षद का चुनाव लड़ते हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश में भी कयास लगाए जा रहे हैं कि महापौर के चुनाव अप्रत्यक्ष पद्धति के आधार पर हो सकते हैं । ऐसी स्थिति में यहां भी संभव है कि विधायक चुनाव मैदान में उतरें।

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