शाह को सरकार में नहीं चाहते नायडू और नीतीश
मामला मंत्री पद के अलावा सरकार में अमित शाह की दखल पर भी उलझा
शह मंच से कर चुके हैं नीतीश और नायडू के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार एनडीए की सरकार में बदल गई है और सरकार बनाने और चलाने के लिए चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। बुधवार को प्रधानमंत्री के निवास पर एनडीए की बैठक हुई और इसमें सरकार बनाने की बात आगे बढ़ी है। बताया जा रहा है कि तेलुगू देशम के एन चंद्रबाबू नायडू और जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार ने भले ही सार्वजनिक रूप से सरकार को समर्थन देने की बात कही हो लेकिन अंदर खाने में जो सौदेबाजी हो रही है वैसी सौदेबाजी के नरेंद्र मोदी कभी आदी नहीं रहे हैं लेकिन सरकार चलाने के लिए अब इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
बताया जा रहा है कि मंत्री पदों की मांग के अलावा नीतीश कुमार और नायडू ने अमित शाह का दायरा कम करने की मांग भी की है। अमित शाह ने इन दोनों नेताओं के ऊपर सार्वजनिक मंच से हमले किए थे और खुलेआम कहा था कि इन दोनों के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद है। चंद्रबाबू नायडू के बारे में तो उन्होंने इतना तक कहा था कि आंध्र प्रदेश को चंद्रबाबू नायडू की केवल एक ही देन है वह है नारा लोकेश। नारा लोकेश चंद्रबाबू नायडू के बेटे का नाम है। उधर जब नीतीश कुमार पाला बदलकर तेजस्वी यादव के साथ चले गए थे उसके बाद अमित शाह ने मंच से यही बात नीतीश कुमार के लिए कही थी कि अब नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद है। कहा जाता है कि यह दोनों नेता अमित शाह के साथ सहज नहीं हैं इसके चलते वह चाहते हैं कि सरकार में अमित शाह की भूमिका कम से कम हो।
बैठक के दौरान भी नरेंद्र मोदी के पास एक तरफ जेपी नड्डा बैठे थे और उसके बाद राजनाथ सिंह है और फिर अमित शाह तो वहीं दूसरी ओर चंद्रबाबू नायडू और उनके बाद नीतीश कुमार बैठे हुए थे। दोनों के संबंध शाह के साथ बिल्कुल भी सहज नहीं है। ऐसे में दोनों का मानना है कि शाह की भूमिका सरकार में नहीं होनी चाहिए। यदि ये कोई और बैठक होती तो मोदी और शाह साथ-साथ बैठते हैं और फिर दूसरे नेताओं का नंबर आता है। लेकिन फिलहास एनडीए में नायडू और नीतिश का ही जलवा है।
5 साल पहले विपक्ष की एक रैली में चंद्रबाबू नायडू ने खुलेआम कहा था कि सरकार ने ईडी सीबीआई का दुरुपयोग किया है। इस वीडियो में चंद्रबाबू नायडू ने यह भी कहा था कि देश का हर नेता मोदी से बेहतर है। उधर अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से चंद्रबाबू नायडू के बारे में कहा था कि वह 1983 में कांग्रेस छोड़कर तेलुगू देश में आए थे । 1989 में उन्होंने अपने ससुर एनटी रामा राव की पीठ में छुरा भोंका था और खुद मुख्यमंत्री बन गए थे। शाह ने यह भी कहा कि जब अटल जी प्रधानमंत्री बने तो वह एनडीए में आ गए थे और जैसे ही सत्ता गई तो वह एनडीए को छोड़कर चले गए थे। अब नायडू के लिए एनडीए के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं।
क्या होगी शाह की भूमिका?
कहां जा रहा है कि फिलहाल तो सरकार में अमित शाह को शामिल किया जाएगा लेकिन उनकी भूमिका को सीमित किया जाएगा। हो सकता है कि कुछ समय बाद उन्हें पार्टी के कमान फिर से दे दी जाए क्योंकि वे दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं और लालकृष्ण आडवाणी भी तीन टर्म में मिलाकर 12 साल तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा शाह के कद का कोई और पद सरकार के बाहर नहीं है। इसके साथ ही अब पार्टी के भीतर भी पुराने नेता मुखर हो सकते हैं ऐसी स्थिति को संभालने में शाह सक्षम हैं।
मुस्लिम आरक्षण भी है नायडू का एजेंडा
चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक में मुस्लिमों को दिए जा रहे आरक्षण को मुद्दा बनाया था। हालांकि ये आरक्षण कांग्रेस के पहले ही जब देवगौड़ा प्रधानमंत्री बनने के पहले वहां के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने वहां मुस्लिम आरक्षण लागू किया था। अब देवगौड़ा भाजपा के साथ हैं। वहीं नायडू ने विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद मुस्लिम आरक्षण का वादा किया है। देखना है कि भाजपा इसे कैसे लेती है। इस मुद्दे पर भी दोनों दलों में मतभेद हो सकते हैं। नायडू को आंध्र प्रदेश की सरकार चलाने के लिए भाजपा की जरुरत नहीं है लेकिन भाजपा को केन्द्र में नायडू की जरुरत है।