इस तरह से 30% और सस्ती हो सकती हैं जेनेरिक दवाएं
जेनेरिक दवाओं को ब्रांड की बजाय फार्मूले के नाम से बेचा जाए, लघु उद्योग भारती ने दिया सुझाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन लघु उद्योग भारती सरकार से मांग की है कि जेनेरिक दवाओं को उनके ब्रांड की बजाय फार्मूले के नाम से बचा जाए इससे जेनेरिक दवा बनाने वाले मध्यम और छोटे दवा उद्योग को फायदा होगा साथ ही जनता के लिए इसकी कीमत 30% तक और कम हो सकती हैं। संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने दिल्ली में फार्मास्यूटिकल विभाग के सचिव अरुनिश चावला और NPPA के चेयरमैन पंत से मुलाकात कर मध्यम और छोटे दवा उद्योगों की कुछ मांगों को रखा।
संगठन ने कहा है कि आमजन को जेनेरिक दवाओं का फायदा मिले। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके लिए जरूरी है कि जेनेरिक दवा की ब्रांड नाम से ना मार्केटिंग करते हुए उसके फार्मूला के नाम से उसे बेचा जाए। इससे जेनेरिक दवा और भी कम कीमत पर उपलब्ध हो सकेंगी।
जेनेरिक दवाइयों पर मार्केटिंग का कम खर्चा होता है, इसके चलते ऐसा संभव है। भारत सरकार द्वारा फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन असिस्टेंट स्कीम लाई है, इसके अंतर्गत शेड्यूल एम की दवाएं बनाने वाले उद्योगों को अपने प्लांट में परिवर्तन करना है, प्रतिनिधि मंडल ने इसकी समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग भी की। साथ ही इसे बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी दिए जिससे ज्यादा से ज्यादा मध्यम और छोटे दवा उद्योग लाभान्वित हो।
संगठन ने पुनः अपनी पुरानी मांग एक दवा एक दाम की को दोहराया है। प्रतिनिधि मंडल सदस्यों में राजेश गुप्ता अध्यक्ष लघु उद्योग भारती फार्मा समिति, जयेश पंड्या गुजरात, अमित चावला मध्य प्रदेश, रोहित भाटिया उत्तराखंड व रवलीन सिंह खुराना महाराष्ट्र सम्मिलित थे। फार्मास्यूटिकल सेक्रेटरी का भी रवैया भी माध्यम दवा उद्योगों के लिए सकारात्मक रहा।