कैदियों ने छात्र की पढ़ाई के लिए इकट्ठा किए बीस लाख रुपए
छात्र के माता पिता दोनों बीमारी के चलते फीस जमा कर पाने में असमर्थ हैंं
डकैती के अपराध में उम्र कैद की सजा पाए कैदी ने की मदद की शुरूआत
एक जेल जिसमें ज्यादातर कैदी उम्र कैद की सजा पाए हुए हैं। उनका पढ़ाई से भी अभी कोई संबंध नहीं हैं लेकिन उन्होंने एक स्कूली छात्र की फीस के लिए बीस लाख रुपए से ज्यादा की राशि एकत्रित की है। छात्र जिस स्कूल में पढ़ता है वह एक एलीट स्कूल माना जाता है। इसके चलते वहां की फीस भी ज्यादा है। छात्र के साथ समस्या ये है कि उसके माता-पिता दोनों ही स्वास्थ्य संबंधी परेशाानियों से जूझ रहे हैं। इसके चलते वे उसकी फीस जमा करने में असमर्थ हैं।
मामला है अमेरिका के कैलिफोर्निया का। यहां की प्रादेशिक जेल और पाल्मा स्कूल के बीच एक अनूठा संबंध जुड़ा है। यहां के कैदियों ने पाल्मा स्कूल के छात्र एसवाय ग्रीन की ट्यूशन फीस जो कि 1200 डॉलर यानी कि लगभग 90 हजार रुपए प्रतिमाह है, चुकाने के लिए पैसे एकत्रित किए हैं। स्कूल के छात्रों और इस जेल के बीच एक बुक रीडिंग क्लब का संबंध है। स्कूल के छात्र इस रीडिंग प्रोग्राम के लिए कैदियों के पास जाते हैं।
इस प्रोग्राम को स्कूल के इंग्लिश टीचर जिम मिचलेटी ने शुरू किया था। उन्होंने बताया कि हमे उस समय विश्वास नहीं हुआ जब कैदियों ने हमसे कहा कि आप लोग यहां आते हैं हम इसका महत्व समझते हैं और आप लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने हम से पूछा कि क्या आप किसी ऐसे स्टूडेंट को जानत हैं जो कि पाल्मा स्कूल में पढ़ना चाहता हो लेकिन उसके पास फीस जमा करने के पैसे न हों।
ब्रदर्स इन ब्लू
इस प्रोग्राम को ब्रदर्स इन ब्लू नाम दिया गया है। कैदियों ने इस प्रोग्राम में छात्र एसवाय ग्रीन के लिए तीस हजार डॉलर (बीस लाख रुपए) से ज्यादा की राशि एकत्रित की। इससे ग्रीन न केवल स्कूल की फीस जमा कर पाएंगे बल्कि अगले साल की एकाडेमी ऑफ आर्ट्स सैन फ्रांसिस्को की पढ़ाई की फीस भी जमा कर सकेंगे। इस मुहिम को इस जेल में बीस साल की सजा काटकर बाहर निकले जैसन ब्रायंट ने शुरू किया है। ब्रायंट कहते हैं कि भले ही इनलोगों ने कुछ गलत काम किए हों लेकिन ज्यादातर लोग हमेशा अच्छे कामों से जुड़ना चाहते हैं।
डकैटी के अपराध में सजा हुई थी ब्रायंट को
इस अच्छे काम को शुरू करने वाले जैसन ब्रायंट ने हथियारों के साथ डकैती डालने के अपराध में इसी जेल में बीस साल की सजा काटी है। इस डकैती में ब्रायंट के साथी की गोली से एक व्यक्ति बुरी तरह से घायल हो गया था। लेकिन ब्रायंट ने हर समय जेल में खुद को बदलने की कोशिश की। उन्होंने जेल में ही ग्रेजुएशन की एक और दो पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। साथ ही अपने साथियों के लिए लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किया था।
ब्रायंट ने कहा कि मैं यह कभी नहीं भूला कि मैने 1999 में एक अपराध किया था। जिससे कईं परिवार समाज प्रभावित हुआ था। मैंने इसे हमेशा अपने मन में रखा कि लोग माफ करने की ताकत को समझेंगे। इस साल मार्च में ब्रायंट के कामों को देखते हुए उन्हें जेल से बाहर आने का मौका मिला और वे अब इस तरह के प्रोग्राम से जुड़े हैं। वे Creating Restorative Opportunities and Programs (CROP) के डायरेक्टर हैं।
ब्रायंट बताते हैं कि इस तरह की स्काॅलरशिप शुरु करने का विचार डकैती के अपराध में उनके साथी रहे टेड ग्रे का था। जो कि शिक्षा के जरिए किसी और की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते थे।
ग्रीन को कैदियों ने नहीं चुना
एसवाय ग्रीन की मदद करने वाले ब्रदर्स इन ब्ल्यू के हाथ में यह नहीं था कि उनकी मदद किसे मिलेगी लेकिन वे ग्रीन के चुनाव को लेकर खुश हैैं। ग्रीन के पिता उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते थे। उन्हें डर था कि उनका बेटा पब्लिक स्कूल में पढ़ेगा तो हो सकता है कि किसी गैंग में शामिल हो जाए या फिऱ् नशे की गिरफ्त में आ जाए। इसके चलते उन्होंने एसवाय का एडमिशन पाल्मा स्कूल में कराया। पहले छह माह तक तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन जब ग्रीन के पिता को हार्ट प्राब्लम शुरू हुई और उन्हें सर्जरी कराना जरुरी हो गया। तो मामला बिगड़ गया।
फ्रैंक ग्रीन अपने बेटे के लिए अजनबियों की ओर से मिली मदद से अभिभूत हैं। मदद की बात सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि यह मदद हमारे लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं हैं। हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि कैदियों ने इस तरह से किसी की मदद की हो। अब ग्रीन का पूरा परिवार नियमित रूप से कैदियों से मिलने जेल जाता है।
ग्रीन का कहना है कि मुझे इस बात का अहसास है कि सैकड़ों लोगों ने मेरी पढ़ाई के लिए योगदान दिया है। यह चीज मुझे प्रेरित करती है। उसने कहा कि वह कॉलेज की छुटि्टयों में भी कैदियों से मिलने जाता रहेगा। वहीं जेल के वार्डन क्रेग कोइंग भी इस पूरे मामले को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखते हैं। उन्हें लगता है कि यह कैदियों के पुनर्वास का एक मॉडल बन सकता है।