हिंदू देवियों के अश्लील चित्र बनाने वाले मक़बूल फिदा हुसैन को नागरिकता दी थी कतर ने

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इस्लामिक कट्टरपंथियों के संरक्षण का पुराना इतिहास है कतर का

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान पर भारत सरकार पर दबाव बनाने वाला कतर आज भले ही धर्म और समभाव की बातें कर रहा हो लेकिन 2010 में इसी देश हिंदू देवियों के अश्लील चित्र बनाने वाले मकबूल फिदा हुसैन को अपने देश की नागरिकता दी थी। कुल मिलाकर कतर का इतिहास धर्म के आधार पर मुस्लिमों का संरक्षण करने का रहा है और इस बार भी उसने वही किया है। इतना ही नहीं कतर पर इजरायल के खिलाफ हमास की मदद करने के आरोप भी हैं। एक समय सऊदी अरब ने भी कतर के साथ अपनी सीमा सील कर दी थी।
भारत के एक रंगीन मिजाज चित्रकार थे मकबूल फिदा हुसैन। 1990 में उन्होंने मां सरस्वती और पार्वती की आपत्तिजनक तस्वीरें बनाई थीं। कुछ समय बाद 1996 में इन चित्रों को एक पत्रिका ने प्रकाशित किया तो हंगामा मच गया। मकबूल फिदा हुसैन की एग्जीबिशन में तोड़फोड़ की गई। इतना ही नहीं इस मामले में उनके खिलाफ कई प्राइवेट कंप्लेंट कोर्ट में दर्ज कराई गईं। इन प्राइवेट कंप्लेंट्स से परेशान होकर मकबूल फिदा हुसैन भारत छोड़कर भाग गए तब उन्हें कतर ने ही शरण दी थी। इतना ही नहीं 2010 में कतर ने उन्हें अपने यहां की नागरिकता भी दे दी। हालांकि 2011 में मकबूल फिदा हुसैन ने ब्रिटेन की नागरिकता ले ली और अंत में अपनी मृत्यु तक वहीं टिके रहे। क्या कतर से पूछा नहीं जाना चाहिए कि उस समय उसे किसी के धर्म का कोई ख्याल नहीं आया?

आतंकियों के फाइनेंसरों को संरक्षण देने का आरोप

कतर के अमीर के कारनामे यहीं समाप्त नहीं होते 2010 से लगातार अमेरिका का तौर पर अंतरराष्ट्रीय आतंकियों को पैसा उपलब्ध कराने वाले लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहा है। अमेरिका ने कईं बार कहा है कि आतंकी गतिविधियों की फंडिंग करने वाले लोग कतर में आराम से रहते हैं और अपना कामकाज करते हैं। इसके बाद कतर की सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक नया बिल प्रस्तुत किया। हालांकि इससे आतंकियों को पैसा उपलब्ध कराने की गतिविधियों में कितना अंकुश लगा है इसकी जानकारी नहीं है। 

अरब देशों ने भी लगाया था आरोप

2017 में सऊदी अरब के साथ मिस्र बहरीन और यूनाइटेड अरब अमीरात ने कतर पर क्षेत्र में अस्थिरता का माहौल बनाने का आरोप लगाया था। सऊदी अरब ने कहा था कि कतर आतंकियों को मदद कर रहा है इस मामले में सऊदी सरकार ने आईएसआईएस, अलकायदा और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों का नाम लिया था। इसके बाद सऊदी अरब ने कतर के साथ अपने सारे रिश्ते समाप्त कर दिए थे और यहां तक की कतर से लगने वाली अपनी सीमाएं भी सील कर दी थी। बाद में यह सीमाएं 2021 में जाकर खोली गई जबकि दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर वार्ता शुरू हुई। 

आतंकियो को छोड़ने के लिए दबाव बनाने के आरोप

अमेरिका ने 2014 में मलेशिया से आतंकी अब्दुल हकीम बेलहज को पकड़ा था। अब्दुल हकीम लीबिया में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार था और कतर की सरकार उसे लीबिया में मुस्लिम ब्रदरहुड का नेता मान कर मदद कर रही थी। कतरने अब्दुल हकीम को छुड़ाने के लिए बहुत राजनयिक प्रयास किए थे कहा जाता है कि किसी आतंकी को छुड़ाने के लिए कतर की सरकार का यह पहला प्रयास नहीं था। 

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