27th July 2024

एक भारतीय हिन्दू लड़के और पाकिस्तानी मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी

धर्म ने रोक ली राह, कोविड काल में शुरू हुआ था प्यार

goonj special

भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों के देखते हुए दो देशों के युवाओं के बीच प्यार की कल्पना ही की जा सकती है । वो भी जब जबकि लड़का भारतीय हिन्दू हो और लड़की पाकिस्तानी मुस्लिम। लेकिन लॉकडाउन में इसी तरह की एक प्रेम कहानी परवान चढ़ी। भारत और पाकिस्तान की सरहदों से मीलों दूर अमेरिका में।

खास बात ये है कि इस प्रेम कहानी को पाकिस्तानी लड़की ने कलमबद्ध किया है। लड़की ने खुद का नाम तो सार्वजनिक कर दिया है लेकिन लड़के का नाम नहीं बताया है। खास बात ये है कि इस कहानी को न्यूयॉर्क टाइम्स ने प्रकाशित किया है।

आप यहां इसे मूल रूप में पढ़ सकते हैं। ये कहानी है 25 साल की पाकिस्तानी लड़की मायरा फारूकी की। उनकी परवरिश पाकिस्तान में इस्लामी तौर तरीकों से् हुई और उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पाकिस्तान में की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गईं। उन्होंने खुद लिखा है कि इस्लामी परिवेश के चलते वे कभी किसी दूसरे धर्म के लड़के साथ शादी करना तो दूर प्यार करने के बारे में भी नहीं सोच सकती थीं। लेकिन आखिर में ऐसा ही हुआ।

मायरा एक डेटिंग एप्प पर थीं जहां पर ज्यादातर दक्षिण एशिया यानी भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश के युवा हैं। मायरा बताती हैं कि अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते उन्होंने इस डेटिंग एप्प पर भी फिल्टर्स इसी तरह से सेट किए थे कि उन्हें केवल उनके धर्म को मानने वाले ही संपर्क कर सकें। लेकिन पता नहीं कैसे एक तीस वर्षीय भारतीय हिन्दू युवा इन फिल्टर्स को पार करता हुआ उन तक पहुंच ही गया।

मायरा के हिसाब ये कोई टेक्नीकल एरर था जिसे उन्होंने अल्लाह की मर्जी मान लिया।

अमेरिका में ल़ॉकडाउन लग चुका था। दोनों के बीच मैसेंजर पर चैटिंग शुरू हुई। मायरा ने उन्हें अपने पंसदीदा गानें बताए तो उनके भारतीय दोस्त ने उन्हें बॉलीवुड की गानें। बातें इनती बढ़ गई कि रात तीन बजे तक चैटिंग चलती रहती। अगस्त के महीने में दोनों ने पहली बार मिलने की तैयारी की।

लड़का सैनफ्रांसिस्को में रहता था और मायरा का शहर वहां से सात घंटे की ड्राईविंग की दूरी पर था। आधे रास्ते तक वो खुद मुझे लेने आया। इसके बाद हमारी मुलाकातों के सिलसिले शुरू हो गए। एक दिन मैने उससे पूछा कि क्या वो मेरी फैमिली और मेरे धर्म के बारे में जानना चाहता है?

उसने कहा हां।

मैने उससे पूछा कि क्या वो यह समझता है कि एक मुस्लिम लड़की के साथ रहने का क्या मतलब है?

इस पर उसने कुरान के बारे में जिज्ञासा दिखाई और वो अंतरधार्मिक घर में बच्चों के पालने को लेकर बहुत उत्सुक था।

मायरा ने उससे कहा यदि हम शादी करना चाहते हैं तो उसका एक ही रास्ता है कि तुम्हें मुस्लिम बनना पड़ेगा। इससे भी चीजें आसान नहीं होंगी लेकिन संभव हो जाएंगी।

उसने तुरंत ही जवाब दिया कि मैं तैयार हूं।

उसने यह भी कहा कि तुम भी एक व्यक्ति के लिए अपनी पूरी जिंदगी बदलने को तैयार हो। पूरे साल हम डेट करते रहे फिर हमारा अपने घर लौटने का समय आ गया। अब तक मायरा ने अपनी मां को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया था। लेकिन उन्हें यह पता था कि मां की अनुमित के बिना ये रिश्ता परवान नहीं चढ़ सकता था। मायरा की मां कराची में पली-बढ़ीं थीं। उनसे एक हिन्दू लड़के से प्यार के लिए सहमति लेना वैसा ही था जैसे कि वे अपनी उन पंरपराओं और मान्यताओं को भूल जाएं जिनके साथ वो पली बढ़ीं हैं।

एक दिन जब वे पाकिस्तान स्थित अपने घर पर अपनी मां के साथ थीं। उस समय मां ने शिकायती लहजे में मायरा की शादी न हो पाने को लेकर कोविड को कोसा। उसी समय मायरा ने अपनी मां को बता दिया कि मुझे मेरे सपनों का राजकुमार मिल गया है।

मां ने पूछा कौन? क्या वो मुस्लिम है?

मायरा ने कहा नहीं

इस पर मां चौंक गईं और उन्होंने पूछा कि क्या वो पाकिस्तानी है?

मायरा ने कहा नहीं।

इस पर मां की सांसे तेज चलने लगी और उन्होंने पूछा कि क्या वो उर्दू और हिन्दी बोल लेता है?

मैने कहा कि नहीं तो मां रोने लगीं।

लेकिन जैसे ही मैने उन्हें अपने रिश्ते के बारे में बताया और यह कहा कि वो मेरे लिए इस्लाम स्वीकार करने के लिए तेयार है, तो मां थोड़ी शांत हो गईं।

जब मैने उसे बताया कि मां मान गईं हैं तो उसने तुरंत ही इसे सेलिब्रेट कर लिया। लेकिन मायरा ने नोटिस किया कि अगले कुछ सप्ताह में वो इस बात को लेकर चिंतित था कि मां की हां केवल उसके इस्लाम स्वीकार करने के कारण है? कुछ महीनों बाद हम फिर अपने-अपने घर गए। वहां से मायरा ने नोटिस किया कि अब उसके रिप्लाय देरी से आने लगे हैं। मायरा को लगने लगा कि उनके रिश्तों की बुनियाद दरकने लगी है।

उसने मायरा को बताया कि जब उसने अपने माता पिता को इस्लाम स्वीकार करने की बात बताई तो वे टूट गए और उससे ऐसा न करने की याचना करने लगे। उन्होंने उससे कहा कि वो अपनी पहचान न छोड़े। इसके बाद उसने मायरा फोन किया और बताया कि वो इस्लाम स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। न तो सांकेतिक रूप से और  न ही धार्मिक रूप से।

इसके बाद मायरा ने कहा तो फिर सब यहीं खत्म हो जाता है।

इसके बाद मायरा ने लिखा है कि कईं लोग किसी मुस्लिम से शादी करने की की जरुरत नहीं समझेंगे। मेरा यह मानना है कि शादी के वो नियम जिद्दी हैं जिसमें सेक्रिफाइज करने की जिम्मेदारी केवल नॉन मुस्लिम की है, जिनका परिवार लिबरल हो और इंटरफेथ शादी के लिए तैयार हो। मैं मुस्लिम व्यक्ति से प्यार करने की इन सीमाओं की वकालत नहीं कर सकती। मुझे इन्हीं नियमों ने तोड़ दिया और अब मै अपने रिलेशनशिप के फिल्टर्स का पालन करुंगी। इस तरह से एक  प्रेम कहानी इस्लाम स्वीकार न करने को लेकर टूट गई।

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