निजी करण की आहट के बीच ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला

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आरआरबी में अपना हिस्सा प्रवर्तक बैंकों को देने की तैयारी कर रही है केंद्र सरकार

ट्रेंड कर रहा है #SaveGrameenBank

नई दिल्ली

केंद्र सरकार द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन के बाद ग्रामीण बैंक यानी कि Regional Rural Bank ( RRB ) के कर्मचारियों को निजीकरण की आशंका सताने लगी है। इसके अनुसार सरकार ग्रामीण बैंकों में अपनी हिस्सेदारी उनके प्रायोजक या प्रवर्तक बैंकों को देने की तैयारी कर रही है। इसका सीधा सा अर्थ क्या होगा की अर्ध शासकीय श्रेणी में आने वाले ग्रामीण बैंक पूरी तरीके से अपने प्रायोजक बैंक की संपत्ति हो जाएंगे।

इस मामले को लेकर ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों ने गुरुवार को ट्विटर पर #SaveGraminBanks की मुहिम चलाकर अपने इरादे साफ कर दिए। खास बात यह है कि सरकार के बाद ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन ने भी यह सलाह दी है कि ग्रामीण बैंक याने कि आरआरबी को उनके प्रायोजक बैंक में विलय कर दिया जाना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने कहा है कि इससे यह लाभ होगा कि प्रायोजक बैंकों का ग्रामीण नेटवर्क मजबूत होगा साथ ही यह आरआरबी उन समस्याओं से मुक्त हो जाएंगे जिन्हें अभी झेल रहे हैं। 

फिलहाल शेयर धारिता इस तरह की है RRB में

आरआरबी अधिनियम, 1976 के अंतर्गत किया गया। अधिनियम के तहत केंद्र, संबंधित राज्य सरकारों और प्रायोजक या प्रवर्तक बैंकों की आरआरबी में शेयरधारिता क्रमश: 50:15:35 प्रतिशत है। केंद्र सरकार के बाद प्रायोजक बैंक आरआरबी में सबसे बड़ा शेयरधारक है। शुरू में आरआरबी की संख्या 196 थी। विभिन्न बैंकों में समेकेन के साथ इनकी संख्या घटकर अब 43 रह गई है।

यदि केंद्र सरकार अपनी 50% हिस्सेदारी प्रायोजक बैंक को दे देती है तो इसके बाद आरआरबी में प्रायोजक बैंक की हिस्सेदारी 35 से बढ़कर 85% हो जाएगी और इस तरह से आरआरबी अपने प्रायोजक बैंक की संपत्ति हो जाएगा। जमकर हो रहा है विरोधइस मामले को लेकर आरआरबी के कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर जमकर विरोध किया है। उनका कहना है कि 43 ग्रामीण बैंकों की कुल 21871 शाखाएं हैं इनका प्रायोजक बैंक के साथ विलय करने से वे उद्देश्य प्रभावित होंगे जिनके लिए इन का गठन किया गया था। 

कर्मचारियों ने इसे बैंकों को निजीकरण की साजिश बताया है। उनका कहना है कि इसे बंद किया जाना चाहिए। आरआरबी के कर्मचारियों ने इस संबंध में वित्तमंत्री को पत्र भी लिखा है।

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