कोरोना काल में स्टूडेंट्स को हुआ 1,28,71,04,00,00,00,000 रुपए का नुकसान

pandemic poverty

भारतीय छात्रों का सर्वाधिक नुकसान हुए , किताब नहीं पढ़ पा रहे और गणित में भी पिछड़े

वाशिंगटन

कोरोना महामारी के असर को स्टूडेंट्स आजीवन झेलेंगे। यूनेस्को, यूनिसेफ और विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार इन छात्रों की अपने काम में कोरोना महामारी के बंद हुए स्कूल कॉलेजों के चलते 17 ट्रिलीयन डॉलर का नुकसान हुआ है। यह नुकसान इनकी भविष्य की कमाई है क्योंकि महामारी के चलते इन छात्रों की सीखने की क्षमता में कमी आई है। खास बात है कि जिन पांच देशों के स्टूडेंट्स को यह नुकसान हुआ है उनके भारत भी शामिल है।

इस रिपोर्ट का नाम The State of the Global Education Crisis: A Path to Recovery  है। एक साल पहले इस रिपोर्ट  में दस ट्रि्लीयन डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया गया था।

लाखों बच्चे अब कभी स्कूल नहीं लौट सकेंगे

इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जायमे सावेड्रा ने बताया कि बीस महीने की इस महामारी के दौरान लाखों बच्चों के स्कूल बंद हो चुके हैं और बहुत से बच्चे अब कभी स्कूल लौट भी नहीं पाएंगे।

इसके आगे उन्होंने बताया कि मध्य आय वर्ग के देशों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर भी 53 से बढ़कर 70 प्रतिशत हो सकती है। उन्होंने इसे सीखने की गरीबी (Learning Poverty) का नाम दिया है।

सावेड्रा का कहना है कि सीखने के अवसरों में इस कमी का असर इन बच्चों के भविष्य में उत्पादकता और कमाने की क्षमता पर पड़ेगा। संभव है कि इसका असर इस पीढ़ी के बच्चों, युवाओं, उनके परिवार तथा अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

किताब भी नहीं पढ़ सकते बच्चे

रिपोर्ट में इस समस्या का क्षेत्रीय अध्ययन भी किया गया है । इसमें खासकर भारत, ब्राजील, पाकिस्तान, मैक्सिको और साउथ अफ्रीका के बच्चों की पुस्तक पढ़ने की क्षमता तथा गणित में कमजोर होने की बात सामने आई है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में स्टूडेंट्स के लिंग, आर्थिक सामाजिक स्तर और उनकी श्रेणी के अनुसार भी इसका अध्ययन किया गया है।

इससे पता चला कि महमारी का सबसे ज्यादा नुकसान निम्न आय वर्ग, नि:शक्त स्टूडेंट्स और लड़कियों को हुआ है।

शहरी स्टूडेंट्स की तुलना में दुरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को भी सुविधाओं के अभाव के चलते बहुत नुकसान हुआ है।

स्कूल खोलने पर जोर

यूनिसेफ के शिक्षा संबंधी मामलों की असिस्टेंट डायरेक्टर स्टेफिना जियानिनी का कहना है कि अब स्कूल खोलने और उन्हें जारी रखने पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए शिक्षा क्षेत्र में सुधार पर भी जोर दिया है। उनका कहना है कि डिजीटल लर्निंग की सुविधाएं बढ़ाने के लिए निवेश लाए जाने पर भी जोर दिया है।

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