ब्रिटिश स्टूडेंट्स ने की 40 वर्षों की सबसे बड़ी किराया हड़ताल
स्टूडेंट्स को फेस टू फेस टीचिंग का बोलकर कैंपस में रहने बुलाया लेकिन हो रही ऑनलाइन पढ़ाई
किराए पर ही चल रही हैं ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज
लंदन.
ब्रिटेन में स्टूडेंट एक्टिविस्ट चालीस सालों की सबसे बड़ी किराया हड़ताल ( Rent Strike) करने कर रहे हैं। इसे कोरोना के लॉकडॉउन का साईड इफेक्ट बताया जा रहा है। स्टूडेंट्स नेताओं का कहना है कि वे यूनिवर्सिटी को खाली कमरों का किराया भरते-भरते तंग आ गए हैं। खास बात यह है कि ब्रिटेन में स्टूडेंट्स की एजुकेशन के लिए किए जाने वाले कुल खर्च में से 73 प्रतिशत हिस्सा किराए का है।
फिलहाल अलग-अलग कैंपस में लगभग 20 रेंट स्ट्राइक चल रही हैं। वहीं कुछ और कैंपस में इनकी तैयारी हो रही है। ऑक्सफोर्ड और ससेक्स यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट एक्टिविस्ट ने सैकड़ों स्टूडेंट्स को रेंट स्ट्राइक में शामिल कराया है। जल्द ही कैम्ब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, गोल्डस्मिथ और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में रेंट स्ट्राइक शुरू हो जाएंगी।
अलग-अलग कैंपस में रेंट स्ट्राइक मूवमेंट को चलाने वाले ग्रुप के सदस्य मैथ्यू ली ने कहा कि स्टूडेंट्स खुद को कैश काउ (Cash Cow) समझे जाने से तंग आ गए हैं। खासकर कोरोना के समय जबकि फेस टू फेस टीचिंग बहुत कम हो रही है और कैंपस लाइफ बहुत सीमित हो गई है। इसके बावजूद स्टूडेंट्स को कैंपस में रहने का किराया देना पड़ रहा है। ली ने इसे किराया आतंकवाद यानी Rent Militancy बताया और कहा कि इसके पहले 1970 में इसके खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ था।
रेंट स्ट्राइक से मैनचेस्टर में कम हुआ है किराया
रेंट स्ट्राइक करने वाले स्टूडेंट्स के सामने मैनचेस्टर का उदाहरण सामने हैं। वहां पर स्टूडेंट्स की रेंट स्ट्राइक के बाद यूनिवर्सिटी ने रेंट में तीस प्रतिशत की कमी की है। स्टूडेंट्स इसी तरह से सभी यूनिवर्सिटीज में किराए में कमी किए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं मैनेचेस्टर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पूरे एकाडमिक ईअर के लिए किराए में कटौती की मांग कर रहे हैं।
वैसे ही इस यूनिवर्सिटी में किराया रोकने वाले स्टूडेंट्स की संख्या तीन गुना हो चुकी है। किराया न देने वाले 600 स्टूडेंट जनवरी में रेंट स्ट्राइक में शामिल होंगे। मैनचेस्टर में रेंट स्ट्राइक करने वाले स्टूडेंट्स में शामिल बेन मैकगोवन ने कहा कि हम किराए का भुगतान रोकना जारी रखेंगे और चाहेंगे कि देश की अन्य यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स भी अपने-अपने कैंपस में अलग-अलग स्ट्राइक करें क्योंकि इस समय देश के हर स्टूडेंट को किराए में कटौती का अधिकार है।
विरोध के लिए बाउंड्री तोड़ी
इस मूवमेंट की शुरुआत पिछले महीने हुई थी जब कि यूनिवर्सिटी कैंपस में स्टूडेंट्स को इधर-उधर घूमने से रोकने के लिए जो बैरियर लगाए गए थे, उन्हें स्टूडेंट्स ने तोड़ दिया था। यूनिवर्सिटी ने इन बैरिकेड्स को कोरोना वाइरस का हवाला देकर लगाया था। मैकगोवन ने कहा कि सरकार को स्टेगर्ड रिटर्न (Staggered return) प्रोग्राम के बाद स्टूडेंट्स रेंट में कटौती की उम्मीद कर रह थे। इस योजना में स्टूडेंट्स को नाॅन प्रेक्टिकल कोर्स के लिए क्रिसमस के बाद पांच सप्ताह तक के लिए घर पर रहकर ही ऑनलाइन क्लासेस अटेंड करने को कहा गया था। मैकगोवन ने कहा कि स्टूडेंट्स का मानना है कि जब वे कैंपस में रहेंगे ही नहीं तो उसका किराया क्यों दे?
ससेक्स के हाल
इसी तरह के हाल ससेक्स यूनिवर्सिटी (University of Sussex) में हैं। वहां पिछले 24 घंटों में 198 स्टूडेंट्स ने किराए का भुगतान न करने का प्रण लिया है। सेसक्स रेंटर्स यूनियन की एली कॉनकेनन (Ellie Concannon) ने कहा कि स्टूडेंट्स बहुत बेसब्र हो रहे हैं क्योंकि इस क्रिसमस पर स्टूडेंट्स की जेब में पैसे नहीं हैं। कॉनकेनन ने कहा कि नए छात्र और भी मुश्किल में है।
कैंपस ज्यादातर समय बंद रहा है ऐसे में उन्हें नए दोस्त बनाने का मौका भी नहीं मिला है और वे पार्ट टाइम काम भी नहीं खोज पाए हैं। लोन लेकर पढ़ाई करने वालों की स्थिति बहुत खराब है। इसके बावजूद कैंपस में स्टूडेंट्स को कोई मेंटल हेल्थ सपोर्ट सुविधा भी नहीं हैं।
बिजनेस बन गए हैं कॉलेज
वहीं कैम्ब्रिज यूनिवर्सटी में चार सौ स्टूडेंट्स ने रेंट स्ट्राइक को समर्थन दिया है। यहां पर रेंट स्ट्राइक मूवमेंट में शामिल लौरा होन (Laura Hone) ने कहा कि कॉलेज बहुत अमीर हैं और वे इस समय रेंट में कटौती कर सकते हैं और साथ ही यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि इस समय स्टाफ को नौकरी से न निकाला जाए। लेकिन वे ऐसे समय में भी मुनाफे को स्टूडेंट और स्टाफ वेलफेयर से ज्यादा महत्व दे रहे हैं। लौरा ने कहा कि महामारी के कठिन समय में भी कॉलेज बिजनेस की तरह चलाए जा रहे हैं।
लौरा ने कहा कि एजुकेशन सिस्टम की प्राथमिकता स्टूडेंट्स और स्टाफ के वेलफेयर की होनी चाहिए लेकिन यूनिवर्सिटीज इस समय में भी अपने अपने हिसाब से इस स्थिति का आंकलन कर रही हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स के पास रेंट स्ट्राइक से बेहतर कोई हथियार नहीं है।
किराए पर चल रही शिक्षा व्यवस्था
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन की अध्यक्ष लैरिसा कैनेडी (Larissa Kennedy) ने इस मामले में कहा कि यूनिवर्सिटीज ने स्टूडेंट्स को रेसिडेंशियल हॉल में रहने के लिए झूठ बोलकर प्रोत्साहित किया क्योंकि इसका किराया और ट्यूशन फीस इनकी आय का सबसे बड़ा स्रोत है। स्टूडेंट्स से कहा गया कि कोरोना काल में कैंपस में रहना सुरक्षित होगा और वहां पर ऑनलाइन की बजाय फेस टू फेस टीचिंग होगी लेकिन उन्हें कैंपस में आने के बाद पता चला कि अब भी वहां दो घंटे की ऑनलाइन क्लासेस ली जा रही हैं।
इससे स्टूडेंट्स को लगा कि उन्हें यूनिवर्सिटी ने फीस वसूलने के लिए फसा लिया है। कैनेडी ने कहा कि किराए के मामले में बढ़ता असंतोष 2012 की उस नीति की असफलता है जिसमें किराए को एजुकेशन सिस्टम के फंडिग का स्रोत माना गया था। इस सिस्टम के बाद यूनिवर्सिटीज मकान मालिकों की तरह हो गईं जो कि लाखों पाउंड का किराया वसूल रही हैं।
एक शोध में पता चला है कि एजुकेशन लोन का 73 प्रतिशत हिस्सा स्टूडेंट को किराया देने में जाता है जबकि 2012 के पहले ये केवल 58 प्रतिशत था। इस मामले में यूनिवर्सिटीज का कहना है कि हम जितना किराया कम कर सकते थे, कर चुके हैं। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी ने कहा कि स्टूडेंट्स चाहे तो किराया एग्रीमेंट खत्म कर सकते हैं उनसे इसके लिए कोई पेनल्टी नहीं वसूली जाएगी।