जीत के हार जाने वाले को उरुग्वे कहते हैं

विश्व कप फुटबॉल का रोमांच, 85 मिनट तक खुश और 4 साल के लिए दुखी

जीत के हार जाने वाले को बाजीगर कहते हैं। इस बात का एहसास शुक्रवार को फुटबॉल के विश्व कप में उरूग्वे की टीम को हुआ। लेकिन क्या करें विश्व कप फुटबॉल का रोमांच ही कुछ ऐसा है। शुक्रवार को ग्रुप एच के दो महत्वपूर्ण मैच थे। एक पुर्तगाल और कोरिया का और दूसरा उरुग्वे और घाना के बीच।

निराश लुइस सुआरेज़

इस ग्रुप की स्थिति कुछ ऐसी थी कि यदि कोरिया पुर्तगाल से जीतता और उरूग्वे घाना को बड़े अंतर से नहीं हरा पाता तो कोरिया को अंतिम 16 में पहुंचने का मौका मिल जाता। क्रिस्टीयानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल के सामने कोरिया कोई करिश्मा कर पाएगी इसकी संभावना कम ही थी।  इसलिए ज्यादा निगाहें घाना और उरूग्व के मैच पर थीं।

मैच के शुरुआती 20 मिनट में ही उरूग्वे 2-0 से आगे हो गया। उधर कोरिया और पुर्तगाल का मैच एक-एक गोल के बराबरी पर था। ऐसा लग रहा था कि उरूग्वे अंतिम 16 पहुंच जाएगा लेकिन तभी इंजरी टाइम में गोल करके कोरिया ने पुर्तगाल को 2-1 से हरा दिया। इस तरह से वह उरुग्वे की घाना पर 2-0 से लीड के बाद भी बेहतर गोल डिफरेंस के चलते ग्रुप में दूसरे स्थान पर आ गया। दोनों मैच एक ही समय पर खेले जा रहे थे। ऐसे में जैसे ही यह सूचना उरुग्वे और घाना के मैच के बीच स्कोरबोर्ड पर दिखाई दी तो अब तक खुशी मना रहे उरूग्वे के दर्शक मायूस हो गए।

अभी मैच में 5 मिनट और इंजरी टाइम बचा था और इस बीच उरूग्वे को कम से कम एक गोल करना था ताकि उसका गोल डिफरेंस कोरिया से बेहतर हो जाए। ऐसा नहीं हुआ और जीत का जश्न मना रहे दर्शक आंसुओं में डूब गए। उरूग्वे के 35 वर्षीय कप्तान लुईस सुआरेज के लिए यह अंतिम विश्वकप था। उनके लिए विश्वकप के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए तो वहीं अब उरूग्वे की टीम को विश्व कप में कोई करिश्मा करने के लिए 4 साल का इंतजार करना पड़ेगा।

क्या दुनिया की किसी खेल स्पर्धा में आपने इस तरह का दृश्य देखा है? यही वह बात है जो फुटबॉल को ग्लोबल गेम बनाती है। दुनिया भर में फुटबॉल की पता नहीं कितनी लीग खेली जाती हैं। जिसमें खिलाड़ियों को मोटा पैसा मिलता है लेकिन जो भावनाएं और रोमांच विश्व कप फुटबॉल के साथ जुड़ा है वह दुनिया में कहीं नहीं है। 

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