भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति खराब, अमेरिकी कमीशन करेगा भारत आकर सुनवाई

कहा बिडेन और मोदी की द्वीपक्षीय बातचीत में बनी सहमति

वाशिंगटन


यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (USCIRF) ने घोषणा की है कि वह अगले सप्ताह से भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति की सुनवाई करेगा। उसका कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की दो सफल द्विपक्षीय बैठकों के बाद इस पर सहमति बनी है। पिछले वर्ष जून में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की यात्रा के दौरान तथा इसके बाद सितंबर में दोनों नेताओं के बीच बैठक हुई थी। इसमें इस बात पर चर्चा हुई थी कि किस तरह से अमेरिकी सरकार धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर भारतीय सरकार के साथ काम कर सकती है।

India’s Prime Minister Narendra Modi and U.S. President Joe Biden wave and gesture to the crowd as they stand on the Truman Balcony of the White House after an official State Arrival Ceremony held at the start of Modi’s visit to the White House in Washington, U.S., June 22, 2023. REUTERS/Jonathan Ernst

बताया गया है कि अपने दौरे के पहले USCIRF संयुक्त राष्ट्र संघ के अल्पसंख्यक मामलों के रिपोर्टर फर्नांड डी वेरनेस से बात करेगा। उनके साथ विदेशी कानून के जानकारी तारीक अहमद जोकि अमेरिकी कांग्रेस की लॉ लाइब्रेरी से जुड़े हुए हैं, ह्यूमन राइट्स वॉच वॉशिंगटन की डायरेक्टर साराह यागेर, हिंदुस फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ तथा जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति के प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन तथा हमद बिन खलीफा अल थानी से भी चर्चा करेगा।
USCIRF ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की वाशिंगटन यात्रा दोनों बताती है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध कितने अच्छे हैं। हालांकि पिछले एक दशक से भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के विरुद्ध के विरुद्ध पक्षपात पूर्ण नीतियां बनाई है जैसे कि धर्मांतरण विरोधी कानून, गो हत्या विरोधी कानून तथा धार्मिक आधार पर भारत की नागरिकता देने का अधिनियम यानी कि सीएए। इसके साथ ही भारत ने सिविल सोसाइटी संगठनों को मिलने वाली विदेशी सहायता पर भी प्रतिबंध लगाए हैं।

USCIRF मैं आगे कहा कि जुलाई में हरियाणा में हिंदू और मुसलमान के बीच हिंसा हुई थी, इसके अलावा ईसाइयों और यहूदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ मणिपुर में हमले हुए हैं। यह घटनाएं बताती हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए नई रणनीति की आवश्यकता है। USCIRF ने कहा कि 2020 से ही उन्होंने अमेरिकी डिपार्मेंट आफ स्टेट को भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में कंट्री आफ पार्टिकुलर कंसर्न (सीपीसी) की श्रेणी में रखने की सलाह दी थी।

USCIRF की सुनवाई प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा गया है कि इस मामले में गवाहों से भारत सरकार की पक्षपात पूर्ण नीतियों और उसे लागू करने के तरीकों पर बात करेंगे इसके साथ ही भारत में वर्तमान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति तथा उन नीतियों की चर्चा करेंगे जिसमें कि अमेरिकी सरकार भारत के साथ काम करके धार्मिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग तथा उससे जुड़े मानव अधिकार को लेकर सुझाव दे सके।

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