27th July 2024

बैहर में 11वीं बार भाजपा का टिकट एक ही परिवार में..

बैहर में 1972 से एक ही परिवार मैदान में, एक बार टिकट न मिलने पर बागी भी उतर चुके हैं मैदान में

परिवारवाद भारत छोड़ो की गूंज के बीच भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी मध्य प्रदेश में 39 प्रत्याशियों की सूची के विश्लेषण से पता चला है कि पार्टी का परिवारवाद से पीढ़ियों पुराना नाता है। 

इस सूची में बालाघाट के बैहर विधानसभा सीट से भगत सिंह नेताम को टिकट दिया गया है। भगत सिंह नेताम पूर्व विधायक सुधनवा सिंह नेताम के बेटे हैं। सुधनवा सिंह 1972 से लेकर 1993 तक लगातार भाजपा के टिकट पर बैहर से चुनाव लड़ते रहे। इस तरह से सुधनवा सिंह को पार्टी ने 5 बार मौका दिया जिसमें कि वह 3 बार जीतने में सफल रहे।  सुधनवा सिंह 1972, 1977 तथा 1990 में चुनाव जीतने में सफल रहे तथा 1980 व 1985 में यहां से पराजित हुए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भगत सिंह नेताम

1998 में भाजपा ने यहां से नेताम परिवार के अलावा अन्य व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने का साहस किया था तो विरोध में सुधनवा सिंह नेताम के बेटे भगत सिंह नेताम निर्दलीय मैदान में आ गए थे। इस तरह से उन्होंने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार बुद्ध सिंह धुर्वे की हार को सुनिश्चित किया था। इस चुनाव में भगत सिंह को 7741 वोट मिले थे और भाजपा यह सीच लगभग 11000 वोट से बार गई थीष लेकिन इसके बाद भगत सिंह नेताम वापस भाजपा में लौट आए और 1998 में टिकट पा गए। तब से लेकर 2013 तक 4 चुनाव में बैहर से भगत सिंह नेताम ही कमल थामे रहे। भगत सिंह दो बार चुनाव जीते और दो बार चुनाव हारे। 

2018 के विधानसभा चुनाव में भगत सिंह ने स्वयं मैदान में उतरते हुए पार्टी से अपनी पत्नी अनुपमा नेताम के लिए टिकट ले लिया। अनुपमा कांग्रेस प्रत्याशी संजय उईके से चुनाव हार गईं। 

संजय पिछले दो चुनाव से यहां लगातार विजय हो रहे हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भगत सिंह नेताम को 32 हजार वोट से हराया था जबकि 2018 में उन्होंने भगत सिंह की पत्नी अनुपमा को 17000 से ज्यादा वोटो से पराजित किया था। इस तरह से यह माना जा रहा है कि वह इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी हैं। इस बार फिर कांग्रेस से उन्हीं के मैदान में उतरने की संभावना हैं।

कांग्रेस का टिकट दसवीं बार एक ही परिवार को 

कांग्रेस प्रत्याशी संजय उईके अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक गणपत सिंह उईके के बेटे हैं उनके पिता को कांग्रेस 1980 से मैदान में उतारती रही है। केवल 1990 में कांग्रेस ने उनके स्थान पर देवलाल भास्कर को प्रत्याशी बनाया था। इस तरह से गणपत सिंह इस सीट से 5 बार चुनाव लड़े हैं। उसके बाद से पिछले चार बार से उनके बेटे संजय उईके यहां से कांग्रेस का हाथ थामे हुए हैं। इस तरह से कांग्रेस ने भी यहां पर नो चुनावों में एक ही परिवार को टिकट दिया है लेकिन कांग्रेस परिवारवाद के खिलाफ कभी भी नहीं रही। 

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