27th July 2024

परिवारवाद भारत छोड़ो के नारे के बीच एक ही परिवार को भाजपा ने दिया लगातार नौवीं बार टिकट

पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रही प्रत्याशी को फिर मिला टिकट

लाल किले की प्राचीर से परिवारवाद भारत छोड़ो के जय घोष के 48 घंटे के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश की जो 39 प्रत्याशियों की सूची जारी की उसमें एक ही परिवार को 9वीं बार विधानसभा का टिकट दिया गया है। खास बात यह है कि यह परिवार भी ऐसा नहीं है जिसका की इस विधानसभा सीट पर सतत दबदबा हो। अब तक लड़े गए आठ चुनाव में यह परिवार केवल तीन बार ही जीत दर्ज कर पाया है जबकि तीन बार यह परिवार इसी सीट पर तीसरे नंबर पर आया है। 

भारतीय जनता पार्टी का यह खास परिवार है सबलगढ़ के पूर्व विधायक मेहरबान सिंह रावत का परिवार। मेहरबान सिंह पर भारतीय जनता पार्टी की पहली मेहरबानी 1985 में हुई थी। उसे समय उन्हें पहली बार विधानसभा का टिकट दिया था। तब से लेकर 2013 तक इस सीट से वही भाजपा की ओर से चुनाव मैदान में उतरते रहे हैं। 2018 में उनकी बहू सरला रावत को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था जो कि तीसरे नंबर पर रहीं थीं। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें एक बार फिर मौका दिया है। पिछले आठ चुनाव में कांग्रेस ने सबलगढ़ में चार बार जीत दर्ज की है तो भारतीय जनता पार्टी तीन बार जीतने में सफल रही है। एक बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी भी जीती है। 

1985 में मेहरबान सिंह का मुकाबला कांग्रेस के भगवती प्रसाद बंसल से था। इस चुनाव में बंसल ने लगभग 13000 वोटों से बाजी मारी थी। इसके बाद 1990 में भाजपा ने फिर मेहरबान सिंह रावत को मौका दिया और इस बार वे बसपा प्रत्याशी प्रीतम प्रसाद चौधरी को 16000 वोटो से हराने में सफल रहे। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे थे। इसके बाद 1993 में रावत कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश चौधरी से मात खा गए और वह तीसरे स्थान पर रहे।

1998 का चुनाव भी रावत के लिए ठीक नहीं रहा और इस बार वे बसपा प्रत्याशी बूंदी लाल रावत से लगभग 6000 वोटो से चुनाव हार गए। 2003 में मेहरबान सिंह ने वापसी करते हुए बसपा प्रत्याशी जालम सिंह धाकड़ को लगभग 5000 वोटों से हराया। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। लेकिन 2008 में कांग्रेस के सुरेश चौधरी ने फिर बाजी मारी और उन्होंने भाजपा के मेहरबान सिंह रावत को लगभग 9000 वोटों से पराजित किया। 2013 में रावत ने इस सीट पर अब तक की अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस के सुरेश चौधरी को लगभग 22500 वोटों से हराया। यह चुनाव मेहरबान सिंह रावत का आखरी चुनाव था।

इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी बहू सरला विजेंद्र रावत को प्रत्याशी बनवाया। सरला 45000 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रही जबकि इस सीट पर एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी बैजनाथ कुशवाहा ने बाजी मारी। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी लाल सिंह केवट दूसरे स्थान पर रहे। 

सबलगढ़ सीट का इतिहास है कि यहां पर कोई भी प्रत्याशी दूसरी बार चुनाव नहीं जीता है। 

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