15th September 2024

विनेश फोगाट का समर्थन सत्ता का विरोध क्यों है? 

इस देश में एक वर्ग विनेश फोगाट के पक्ष में की गई हर पोस्ट को सरकार के खिलाफ मानता है। शायद इन लोगों को यह पता है कि सरकार विनेश फोगाट के खिलाफ थी? यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई महिला यौन शोषण की शिकायत करती है तो उसकी सामान्य प्रक्रिया क्या है? आवेदन को जांच में लिया जाता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाता है कि FIR करनी है या नहीं करनी है।

बृजभूषण शरण सिंह के मामले में इस प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ इसके चलते पहलवानों ने पहले धरने पर बैठकर इसकी मांग की और बाद में कोर्ट में जाकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इस एफआईआर के आधार पर पुलिस ने कोर्ट में जो चार्जशीट पेश की उसमें इस बात को स्वीकार किया गया कि बृजभूषण के खिलाफ मामला चलाने के आधार हैं। जब चार्ज शीट में पुलिस ने मान लिया कि बृजभूषण के खिलाफ मामला चलाए जाने के आधार हैं तो फिर पहलवानों के आवेदन पर पुलिस ने पहले क्या माना था? 

Photo ESPN India

इससे स्पष्ट नहीं होता है कि पुलिस किसी के इशारे पर किसी को बचा रही थी? क्यों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का राष्ट्रगान बजवाने वाली लड़कियों को सामान्य महिला के समान भी न्याय के अधिकार देने को जिम्मेदार तैयार नहीं थे? 

बृजभूषण शरण सिंह की ऐसी कौन सी उपलब्धि थी जिसके चलते उनका इतना ध्यान रखा जा रहा था जबकि उत्तर प्रदेश में जब भाजपा का बुरा समय आया था तब बृजभूषण ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था? विनेश फोगाट के समर्थन को सता का विरोध मानने वाले लोग योगी आदित्यनाथ को मोदी स्वाभाविक उत्तराधिकारी मानते हैं। वह मोदी की तरह योगी के खिलाफ भी कुछ सुनने को तैयार नहीं होते।

इन लोगों को बृजभूषण शरण सिंह का एक इंटरव्यू देखना चाहिए। इस इंटरव्यू में बृजभूषण शरण सिंह से पूछा गया कि योगी जी आपका नेता हैं तो बृजभूषण ने इनकार कर दिया। फिर पूछा गया कि मोदी जी आपका नेता हैं तो बृजभूषण ने हामी में सिर हिलाया। इस इंटरव्यू में बृजभूषण स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि मोदी जी मेरे नेता है योगी जी नहीं। हालांकि इस इंटरव्यू के बाद भीअसंतुलित मस्तिष्क के लोग इस प्रश्न के लिए राजदीप सरदेसाई को ही कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। इस वीडियो को आप यहां देख सकते हैं ।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है लेकिन बृजभूषण शरण सिंह प्रधानमंत्री मोदी के उस निर्णय का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं और खुलकर कह रहे हैं कि योगी मेरे नेता नहीं है। ऊपर से वह यह भी कहते हैं कि आपको जो समझना हो समझ लीजिए। बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटने से पहले भी भाजपा को बहुत सोचना विचारना पड़ा और उनकी जगह पर उनके बेटे को टिकट दिया गया। बृजभूषण योगी को नेता न मानने के बाद भी इतने महत्वपूर्ण हैं?

यह इंटरव्यू 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले का है। क्या योगी आदित्यनाथ को अपना नेता न मानने वाले यूपी के सांसद को पार्टी ने कारण बताओं नोटिस जारी नहीं करना चाहिए था? अपने एक मजबूत नेता के खिलाफ इस तरह का सार्वजनिक बयान देने वाले बृजभूषण को बचाने की क्या जरूरत थी? 

इसके जवाब के लिए आपको ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। चलते लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यदि एनडीए 400 पर हो गया तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी सीट न बचा पाने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कुछ राजनीतिक जिमनास्टिक कर रहे हैं। विधान परिषद के रास्ते उप मुख्यमंत्री बने बृजेश पाठक उनके साथ हैं और इस त्रिकोण का तीसरा कोण हैं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी। माहौल बनाया गया है कि योगी आदित्यनाथ से नाराजगी है।

इस नाराजगी की कहानी को भी थोड़ा सा विस्तार से जान लेते हैं। हाल ही में योगी सरकार एक नया नजूल कानून लेकर आई है। इस कानून को पहले कैबिनेट की मीटिंग में पास किया गया जहां यह दोनों उपमुख्यमंत्री चुप रहे और इन्होंने अपनी सहमति दी। इसके बाद यह बिल विधानसभा में पारित कराया गया। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के होने के चलते वहां किसी भी बिल को कानून बनने से पहले विधान परिषद की सहमति भी लगती है। जब यह बिल विधान परिषद में पेश किया गया तो दोनों उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इस बिल के खिलाफ बोलने लगे। ऐसे में इस बिल को प्रवर समिति को सौंप दिया गया।

इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने इस बिल को लागू करने के लिए अध्यादेश का रास्ता चुना है। जब बृजभूषण शरण सिंह जैसे नेता मुख्यमंत्री के खिलाफ खुलेआम बोलते हो और पार्टी उस पर चुप रहती हो तो फिर दूसरे लोगों को भी अपने निर्वाचित मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने की शह मिलती है? इस पूरे माहौल को देखकर ऐसा नहीं लगता कि बृजभूषण शरण सिंह अपने इंटरव्यू में किसी एजेंडे पर काम कर रहे थे और अब दोनों उपमुख्यमंत्री उस एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं? 

एक सांसद जो चैंपियन पहलवानों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप का सामना कर रहा हो वह दबंगई से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोल रहा है। बृजभूषण को इतनी ताकत किसने दी थी? 

लेकिन अंधभक्त नामक प्रजाति जिसका भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर लाकर पटक देने में महत्वपूर्ण योगदान है, को यह सारी बातें समझ में नहीं आएगी क्योंकि वो दूसरों के डीएनए टेस्ट की बात करते हैं लेकिन खुद का दिमागी टेस्ट करने को तैयार नहीं है।

किसी भी मामले में प्रथम दृष्टया कुछ तथ्य होते हैं। क्या यह सही नहीं है कि विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता में भारत के फाइनल में पहुंचने पर भारतीय क्रिकेट टीम को बधाई देने वाले प्रधानमंत्री ने विनेश फोगाट को ओलंपिक फाइनल में पहुंचने पर बधाई नहीं दी थी जबकि ऐसा करने वाली वह देश की पहली महिला है। लेकिन विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित करते से ही उन्होंने एक लंबी चौड़ी पोस्ट विनेश के लिए लिखी।

ऐसा भी नहीं है कि जिस दिन विनेश फोगाट ने अपना सेमीफाइनल मुकाबले जीता उस दिन मोदी जी के पास सोशल मीडिया पर बताने के लिए बहुत कुछ था। उस दिन नरेंद्र मोदी के एक्स अकाउंट पर केवल तीन ट्वीट हुए थे। जिसमें पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी को जन्मदिन की शुभकामनाएं और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को फिजी के नागरिक सम्मान से सम्मानित किए जाने पर शुभकामनाएं सम्मिलित हैं। लोकसभा में भी खेल मंत्री मनसुख मंडावदिया यह बताने में व्यस्त रहे की सरकार ने विनेश को कितनी सुविधाएं दी तो वहीं बिना दिमाग के लोग भी यह बताते रहे कि सरकार ने विनेश को दो करोड़ 16 लाख रुपए दिए। इनसे पूछा जाना चाहिए कि खेलो इंडिया में 464 करोड़ रूपया पाने वाले उत्तर प्रदेश और गुजरात के कितने लोग ओलंपिक फाइनल में पहुंचे और कितने लोगों ने मेडल जीते?

विनेश फोगाट ने कुश्ती को अलविदा कह दिया है

यह एक तथ्य है कि 140 करोड़ की जनसंख्या वाले देश ने ओलंपिक में तीन कांस्य पदक जीते हैं। ऐसे में विनेश फोगाट का फाइनल में पहुंचना क्या इस देश के लिए उस दिन की सबसे बड़ी घटना नहीं थी? जब सोशल मीडिया पर विनेश फोगाट का मामला वायरल हुआ तब जाकर कुछ भाजपा नेताओं ने कुछ घंटे बाद विनेश को बधाई दी। 

लेकिन विनेश के समर्थन को मोदी का विरोध मानने वाले लोग बृजभूषण के समर्थन को योगी का विरोध क्यों नहीं मानते? क्या यह कोई दिमागी असंतुलन नहीं है? 

दरअसल ये लोग देश की वो बीमारियां हैं जिन्होंने किसान आंदोलन में शामिल हर सिख को खालिस्तानी बताया था।वह अब हाल यह है कि पंजाब में भाजपा शून्य है और दो खालिस्तानी निर्दलीय चुनाव जीते हैं, इनमें से एक तो असम की डिब्रूगढ़ जेल में बैठकर पंजाब में चुनाव जीत गया है। विनेश फोगाट को लेकर इन लोगों का नजरिया अब जाटों को भाजपा के खिलाफ लामबंद करने में उत्प्रेरक का कार्य करेगा। समझ लीजिएगा हरियाणा में 2-3  महीने बाद चुनाव हैं। हरियाणा कहीं आपकी मूर्खता में आपकी पार्टी का हिसाब ना कर दे। वैसे भी आपको सोशल मीडिया पर जबानी जमा खर्च करना है। ये लोग यदि मैदान में कोई काम करते होते तो इनके पास यह सब करने का समय ही नहीं होता। मोदी जी विपक्ष से बाद में निपट जाएगा पहले ऐसे समर्थकों का इलाज करिए।  

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