खुद से खुद को मिलाने वाला 2020…
डिअर 2020
लोग तुम्हें फॉरगेटेबल कहेंगे। इससे भी ज्यादा बुरा बताएंगे और कहेंगे कि शायद तुम उनकी जिंदगी में नहीं आते तो अच्छा होता। लेकिन मैं कहूंगा कि यदि तुम मेरी जिंदगी में नहीं आते तो बहुत बुरा होता।
तुमने मास्क पहनने पर मजबूर किया लेकिन तुमने अपने आप के सामने मुझे अनमास्क कर दिया। मेरे कुछ आसपास के लोग भी अनमास्क हुए, कुछ बड़े कुछ छोटे । लेकिन खुद के सामने खुद का नकाब उतर जाने से बेहतर कुछ नहीं होता।
मैं पूरी जिम्मेदारी और होशो हवास के साथ कह सकता हूं यदि तुम मेरी जिंदगी में 5-10 साल पहले आ गए होते तो शायद मेरी जिंदगी और ज्यादा सार्थक होती। तुम जागते हुए लोगों को जगाने आए थे। मैं भी उनमें से एक था, जिसे अपनी जिंदगी में पानी का गिलास रखने की जगह बदलना भी पसंद नहीं था। लेकिन तुमसे ही सीखा कि बदलाव तो होगा ही चाहे आप उसे स्वीकार करें या ना करें। इसलिए बदलाव का स्वागत ही सबसे बेहतर विकल्प है।
जो लोग 2020 में कुछ ना कर पाने का उलाहना दे रहे हैं , उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने 2019 में क्या किया था? खाली बैठना बुरा होता है। यह बात और है कि हर कर्मचारी अपनी नौकरी पर खाली बैठना चाहता है। इसी तरह से घर पर रहना कष्टदायक होता है लेकिन यह बात और है कि जब किसी दोस्त को जरूरत पड़े तो घर पर रहने का कोई बहाना ढूंढ लिया जाता है।
दुनिया की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं अपने-अपने प्रतिमान हैं और उन में किसी भी तरह का संशोधन वे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मैं दुनिया की बात नहीं करूंगा, मैं सिर्फ अपनी बात करूंगा।
हां मैं यह स्वीकार करता हूं कि जितना कठिन समय मैंने इस कैलेंडर में देखा उतना कभी नहीं देखा , लेकिन मुझे यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि जितना बेहतर इंसान में अपने आप को 31 दिसंबर को महसूस कर रहा हूं उतना मैं पिछली एक जनवरी को महसूस नहीं कर रहा था। मेरा ऐसा मानना है कि खुशियां महसूस की जाती हैं, वह होती हैं या नहीं, यह अलग बात है।
खुशी तो भूखे कुत्ते को दो बिस्किट खिलाने से उसकी आंखों में भी दिख जाती है, वहीं यही खुशी बिस्किट की फैक्ट्री खोल लेने वालों को भी नहीं मिलती। जो सबसे बड़ी बात 2020 जो तुमने मुझे सिखाई वो है वास्तविकता में जीना। बहुत पहले पढ़ा था कि स्वप्न को हर जगह सच से टकराना होता है, इसका प्रैक्टिकल 2020 तुम्हीं ने कराया।
एक दूसरी बात जो किसी ने सिखाई थी वह यह थी कि यदि चलना आसान लगे तो देख लेना चाहिए कि कहीं आप गलत तो नहीं जा रहे। इसका अनुभव भी तुम से ही मिला। अब मैं उन जगहों पर नहीं जाता जहां पर जाने के बाद समय कैसे कट जाता था, इसका पता ही नहीं चलता था। अच्छी लगने वाली चीजें आपसे बहुत कुछ ले जाती हैं। एसी वाली कार में घूमने वाले कूलर में नहीं जी पाते हैं यह सबक भी इसी साल का है।
और अंतिम सीख जो तुमने मुझे दी वह यह है कि न सरकार किसी की होती है और न समय किसी का होता है। जो शक्तिशाली है सब कुछ उसी का है और उसी के आसपास घूमता रहा है।आगे भी घूमता रहेगा। इसी साल में मैंने सीखा कि यह शक्ति कहां से आती है। किसी भी तरीके से मैं आज तुम्हें खारिज करने की स्थिति में नहीं हूं। हां अगर इन बदलावों के बावजूद भी कल मैं कुछ नहीं बन पाया तो भी मैं अपने आपको ही खारिज करूंगा तुम्हें नहीं..!!