एमपी में स्टूडेट्ंस ने जनरल प्रमोशन की मांग को लेकर ऑनलाइन पेटिशन चलाई
अब तक 93 हजार स्टूडेंट्स ने किए हस्ताक्षर,
एबीवीपी जनरल प्रमोशन के खिलाफ तो एनएसयूआई पक्ष में और मुख्यमंत्री कन्फ्यूज
कोरोना काल में परीक्षाओं को लेकर सरकार औऱ उसके समर्थक छात्र संगठन एक तरफ तो प्रदेश का छात्र दूसरी तरफ दिखाई दे रहे हैं। वहीं तीसरा पक्ष प्राध्यापकों का भी है। नईदुनिया के पत्रकार कपिल नीले की खबर के अनुसार कोरोना के डर से प्राध्यापक कॉपियां जांचने से मना कर रहे हैं। छात्रों ने जनरल प्रमोशन के लिए ऑनलाईन पेटिशन भी चला दी है। जिसमें कि शनिवार तक 93 हजार से ज्यादा छात्र हस्ताक्षर कर चुके हैं।
छात्रों ने इस पेटिशन में उन बातों का भी उल्लेख किया है कि वे क्यों जनरल प्रमोशन चाह रहे हैं। हालांकि इनमें से कुछ मांगे तर्कसम्मत लगती हैं लेकिन कुछ मांगे बैसिर पैर की भी हैं।मोटे तौर छात्रों ने 50 कारण बताएं हैं कि क्यों परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए लेकिन इनमें से कईं कारण बहाने भी लगते हैं।
इंदौर और भोपल में सबसे ज्यादा छात्र हैं, ये दोनो जिले रेड झोन में
छात्रों का कहना है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा कॉलेज और छात्र इंदौर और भोपाल में ही हैं। ये दोनों जिले रेड झोन में हैं, ऐसे में बाहर के छात्र यहां कैसे आएंगे साथ ही उन्होंने सवाल उठाया है कि रेड जोन में होने के कारण यहां छोटे –छोटे कामों पर पाबंदी हैं तो फिर परीक्षा, जिसमें की बड़ी संख्या में छात्र भागीदारी करेंगे, उससे कोरोना नहीं फैलेगा ये कैसे संभव है? इस मामले में किसकी जिम्मेदारी होगी।
जानिये : प्रमोशन और एक्जामिनेशन पर छात्र संगठन आमने सामने
इसके साथ ही छात्रों ने ये सवाल भी उठाया है कि यदि वे परीक्षा देते हुए संक्रमित हो गए तो उनके परिजनों को भी कोरोना का खतरा पैदा हो जाएगा। क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी भी लेगी।
इसके अलावा छात्रों ने ऐसे सवाल भी उठाएं हैं जो कि फिजूल लगते है जैसे कि ऑनलाइन क्लासेस के लिए मोबाइल का रिचार्ज कौन देगा? और जैसे मंत्री घर बैठें है कि इन्फेक्ट न हो और छात्र परीक्षा दें ये कहां का इंसाफ है? इसके अलावा ये भी पूछा गया है कि क्या मुख्यमंत्री और राज्यापाल छात्रों के साथ परीक्षा केन्द्र पर बैठेंगे? इसमें छात्र की कोरोना से मौत पर पांच करोड़ का मुआवजा मांगने से जैसी बातें भी कही गई है।
इस मामले में राष्ट्रीय छात्र परिषद के हिमांशु जोशी का कहना है कि जब सरकार ने कोरोना के डर से बहुत से आवश्यक कार्य भी आगे बढ़ाए हैं या नहीं किए हैं तो ऐसे में परीक्षा के विकल्पो पर भी विचार किया जा सकता है। हमने इस मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा हैं।
वे प्रमुख बातें जिनको बनाया है आधार
1. ऑनलाइन पढ़ाई से बहुत से concepts क्लियर नही होते और पढ़ने के दूसरे साधन नही है। यदि रिजल्ट बिगड़ता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ?
2. कोई व्यक्ति covid-19 से नही पर किसी अन्य बीमारी जैसे लू लगना या बुखार से पीढित होना तो उनका तापमान मशीन में तो गरम आएगा तो उनकी परीक्षा का क्या ?
3. क्या इतनी भीड़ इक्कट्ठा करना अच्छा फैसला है जब सभी जगह कम से कम लोगों को इकठ्ठा होने देने की अपील सरकार द्वारा की जा रही है ?
4. जो छात्र कॉलेज के होस्टल में रहते है उनके रहने खाने की व्यवस्था किसकी होगी?
5. अगर कोई अस्वस्थ छात्र परीक्षा केंद्र में परीक्षा देता है तो क्या गारंटी के संक्रमण में रोकथाम होगी ?
6. मध्यप्रदेश की सबसे ज़्यादा कॉलेज और सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी इंदौर भोपाल में ही तो है और वहां पर संक्रमण का स्तर देख के अभिभावकों को अस्वस्थ होने की किसकी जवाबदारी होगी?
7. हर छात्र ओर शिक्षक का 50 लाख का बीमा कराया जाए और अगर संक्रमण होता है तो सभी का इलाज निशुल्क AIIMS में कराया जाए |
8. परीक्षा हॉल में किस काम का आरोग्य सेतु ?
9. आपने अपने निर्णय से पहले किसी छात्र की राय ली ?