21st November 2024

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के 20 प्रतिशत पास आउट्स भी नहीं कर रहे वकालत

बोले बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन

गोवा.

विधिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए प्रारंभ की गई नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) के 20 प्रतिशत छात्र भी वकालत के पेशे में नहीं आ रहे हैं। यह बात बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कही है। उन्होंने यह बात India International University of Legal Education and Research (IIULER) के गोवा में हो रहे आयोजन में बोल रहे थे।

BCI Chairperson Manan Kumar Mishra

मिश्रा ने कहा कि NLU से निकलने वाले छात्रों की रुचि वकालत की बजाय कॉरपोरेट जॉब्स में अधिक है। मिश्रा ने कहा कि NLUs से निकलने वाले बीस प्रतिशत से भी कम छात्र लिटीगेशन का काम रहे हैं, ये बहुत निराशाजनक है। मिश्रा ने कहा कि जबकि वकालत की दुनिया क जाने-माने नामों ने भी जज बनने से इंकार करते हुए लिटीगेशन में ही काम करना पसद किया था।

श्री मिश्रा ने IIULER की व्याख्यानमाला के समापन सत्र को संबोधित किया।

क्यों प्रारंभ किए गए थे NLUs

देश में विधिक शिक्षा के दूसरे चरण के सुधार कार्यक्रम के तहत नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की स्थापना की गई थी। पहला इस तरह का संस्थान 1988 में बंगलुरु में खोला गया था। अब तक देश में अलग-अलग राज्यों में 24 NLUs की स्थापना की जा चुकी है। इसके पहले देश मे विधिक शिक्षा विधिक क्षेत्र से अनजान यूनिवर्सिटीज के जरिए संचालित हो रही थी। हालांकि अब भी सर्वाधिक विधि वेत्ता सामान्य यूनिवर्सिटीज से निकलते हैं लेकिन यह माना गया था कि विधि की विशेषज्ञता वाले NLUs से निकलने वाले छात्र विधि के पेशे में बदलाव लाएंगे। ऐसे में इन छात्रों का वकालत को न चुनना निराशाजनक है।

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