शबनम मौसी की याद दिला रहा अंबाह उप चुनाव
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तब शबनम मौसी थीं और अभी नेहा किन्नर है मैदान में, मुश्किल में हैं कमलेश जाटव
मुरैना.
यदि अंबाह के कांग्रेस से भाजपा में गए विधायक कमलेश जाटव ने अपने चुनाव परिणाम का ठीक से विश्लेषण किया होता और उन्हें शबनम मौसी याद होतीं तो वे शायद ही दलबदल करते। 2018 के विधानसभा चुनाव में जाटव ने निर्दलीय चुनाव लड़ रही नेहा किन्नर को हराया था। इस सीट पर भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। समस्या भाजपा का तीसरे स्थान पर होना नहीं है, दरअसल समस्या ये है कि नेहा किन्नर ने फिर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
चलिए अब चलते हैं फ्लैशबेक में। साल 2000। दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और अनूपपुर जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट के कांग्रेस विधायक कृष्णपाल सिंह का निधन हो गया। इसके चलते इस सीट पर उपचुनाव हुए थे। कृष्णपाल कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। वे श्यामाचरण शुक्ल सरकार में मंत्री रहे थे इसके अलावा वे गुजरात के राज्यपाल भी रहे थे लेकिन उनकी अर्जुन सिंह से नहीं बनती थी। इसके चलते वरिष्ठ हो ने के बावजूद उन्हें दिग्विजय सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था।
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ऐसे हुई शबनम मौसी की एंट्री
उपचुनाव में कांग्रेस ने कृष्णपाल सिंह के पुत्र ब्रजेश को प्रत्याशी बनाया और भाजपा ने अपने पुराने विधायक लल्लू सिंह को उम्मीदवार घोषित किया। इन नामों से भाजपा और कांग्रेस दोनों दल के कार्यकर्ता नाराज थे और वे शबनम मौसी के साथ हो लिए। शबनम मौसी कोतमा की रहने वाली थीं और कहा जाता है कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए इन नेताओं ने ही मनाया था। इस ऐतिहासिक चुनाव में शबनम मौसी 42000 मतों के अंतर से जीतीं और देश में पहली किन्नर विधायक बनीं हालंकि वे इसके बाद कभी विधानसभा नहीं पहुंच सकीं।
2018 में नेहा किन्नर
2018 के विधानसभा चुनाव में मुरैना की अंबाह सीट से नेहा किन्नर ने किस्मत आजमाई थी। उनके अलावा भी कई और किन्नर प्रत्याशी भी मैदान में थे। जैसे कोतमा सीट से शबनम मौसी, शहडोल की जयसिंह नगर विधानसभा से सुंदर सिंह (शैलू मौसी), दमोह से रेहाना शब्बो बुआ, होशंगाबाद से किन्नर पंक्षी देशमुख और इंदौर की विधानसभा दो सीट से बाला किन्नर मैदान थीं। हालांकि इनमें नेहा को छोड़कर किसी और प्रत्याशी को उल्लेखनीय वोट नहीं मिले थे। नेहा किन्नर को कांग्रेस के कमलेश जाटव ने 7547 वोटों से हराया था। इस सीट पर भाजपा और बसपा पीछे छूट गए थे।
इस चुनाव में कांग्रेस के कमलेश जाटव को 37343 वोट मिले थे तो नेहा किन्नर 29796 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थीं। भाजपा के गब्बर सखवार 29715 वोटों के साथ तीसरे और बसपा के सत्यप्रकाश सखवार 22179 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। सत्यप्रकाश इस उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। तो कमलेश जाटव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
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फिर तैयार नेहा किन्नर
शुक्रवार को नेहा किन्नर ने एक बार फिर अंबाह से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है। इस क्षेत्र में बेड़िया समाज की अच्छी खासी संख्या है और नेहा इसी समाज से आती हैं। नेहा ने कहा कि जीतने के बाद मैं अपने इलाके में सामाजिक समरसता का माहौल बनाना चाहती हूं। मैं गरीबों को सशक्त बनाना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि सरकार द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गईं सभी योजनाओं का लाभ उनको मिले। जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।
नेहा ने आगे कहा कि पूरे मुरैना जिले में कमजोर और गरीबों का शोषण होता है। मैं चुनाव जीतने के बाद अंबाह में इसे खत्म करना चाहती हूं।
क्यों है चिंता
शबनम मौसी के अलावा मध्य प्रदेश में कमला बुआ और कमला जान ने भी महापौर का चुनाव जीता था। इन सभी की जीत को जनता की राजनीतक दलों से नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा था। अंबाह में चुनाव लड़ने वाले दोनों प्रमुख प्रत्याशी कमलेश जाटव और सत्यप्रकाश सखवार दोनों ही दल-बदल करके चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इनसे नाराज जनता ने अपना वोट नेहा किन्नर को दे दिया तो इतिहास फिर से दोहराया जा सकता है। कमल को लेकर उतरे कमलेश को नेहा से बड़ी समस्या हो सकती है। ये भी कहा जा रहा है कि जाटव इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर सकते हैं।