मप्र में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी!
कोरोना मिसमैनेजमेंट पड़ेगा भारी, शिवराज को फ्री हैंड के बावजूद स्थितियां बिगड़ीं
नई दिल्ली.
कोरोना की इस लहर ने सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को पहुंचाया है। हाल ये है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से मीम्स बन रहे हैं और वे आमजनता के निशाने पर आते जा रहे हैं। आशंका ये भी है कि कहीं पांच राज्यों के चुनाव में भाजपा खाली हाथ न रह जाए।
पार्टी को लग रहा है कि कोरोना महामारी में मिसमैनेजमेंट से जनता में जो गुस्सा बढ़ रहा है उसे काबू करने के लिए कुछ लोगों की बलि लिए जाने की जरुरत है। इससे मिसमैनेजमेंट का ठीकरा उस आदमी के सिर फोड़कर पार्टी खुद को बचाना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए जो बलि के बकरे खोजे जा रहे हैं उनमें से एक शिवराज सिंह चौहान भी हैं।
चुनाव वाले राज्यों से पार्टी को जो फीड़ बैक मिला है उसके अनुसार वैसे भी पार्टी की उम्मीद केवल असम और बंगाल में ही है। इन दो राज्यों में भी यदि भाजपा के खिलाफ रणनीतिक मतदान हो गया तो सत्ता का रास्ता मुश्किल हो जाएगा। असम से भी ज्यादा पार्टी को स्ट्रेटेजिक मतदान की आशंका बंगाल में है। इन सबके बीच कोरोना के मामले सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंता कोरोना को हैंडल करने में हुए मिसमैनेजमेंट को लेकर है।
सरकार के झूठ पकड़े जा रहे हैं
शहडोल का ऑक्सीजन कांड (जिसे की सरकार ने कोई कांड मानने से इंकार कर दिया है। ) गुस्से को और बढ़ा रहा है। हाल ये है कि इंदौर और भोपाल में प्रतिदिन सौ से ज्यादा लोग जान गंवा रहे हैं। यहां के श्मशान के फोटो अंतरर्राष्ट्रीय मीडिया में भी दिखाए जा रहेे हैं। इसके बाद भी स्थानीय अधिकारी कोरोना से मौत का आंकड़ां दहाई का भी नहीं बता रहे हैं। इन घटनाओं से जनता में संदेश जा रहा है कि इस संकट काल में उनकी सरकार सच भी नहीं बोल रही हैै जबकि उनके परिजन जान गंवा रहे हैं।
जनता में बढ़ रहा भाजपा के खिलाफ गुस्सा
इससे आम जनता में सरकार और विशेषकर भाजपा को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है। परिजन इस बात से नाराज हैं कि उनके घर के सदस्य कोरोना से मारे जा रहे हैं और सरकार यह स्वीकार करने को भी तैयार नहीं हैं। जबकि कोरोना काल में जान गंवाने वाले पहले से बीमार अधिकारी को कोरोना शहीद का दर्जा दे रही है। कुल मिलाकर जनता को लग रहा है कि उनकी परेशानी के पीछे सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है।
पूरे मामले पर अब दिल्ली की निगाह है। उन्हें पता है कि जनता के बीच बढ़ रहे गुस्से को कम करने के लिए किसी को शहीद करना होगा। यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली से शिवराज सिंह चौहान को प्रशासनिक सर्जरी करने को बोला जा सकता है। पूरे प्रदेश में उनके खास अफसर ही कमान संभालें हैं और वे हालात काबू करने में असफल रहे हैं। इससे लगातार पार्टी की किरकिरी हो रही है। इस मामले में गृह मंत्री बहुत गंभीर हैं।
ये हैं मिसमैनेजमेंट के मामले
बताया जा रहा है कि जो रिपोर्ट दिल्ली गई है उसमें कहा गया है कि केवल कुछ प्रभावशाली मंत्रियों को छोड़कर पूरे प्रदेश में अफसर राज चल रहा है लेकिन चुनाव तो जनप्रतिनिधियों को लड़ना है। क्राइिसिस मैनेजमेंट कमेटी केवल तमाशा साबित हुई हैं और जनता का उन पर कोई भरोसा नहीं है। ऐसे में केन्द्रीय नेतृत्व को लग रहा है कि यदि कोई एक्शन नहीं लिया गया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। ये बातें केन्द्रीय नेतृत्व को समझाई गई हैं-
- इंदौर पुलिस द्वारा ऑटो रिक्शा चालक की सरेआम की पिटाई पर भी केन्द्रीय नेतृत्व असहज है। प्रदेश में पुलिस राज की शिकायतें भी हैं। कहा जा रहा है कि शिवराज प्रशासन और पुलिस के दम पर ही राज कर रहे हैं। पहले गुना में दलित परिवार की वीभत्स पिटाई का वीडियो वाइरल हुआ था। खंडवा के कोरोना मरीज पिटाई कांड ने और भी समस्या खड़ी की है। संदेश यह है कि अधिकारी प्रशासन के बजाय दादागिरी कर रहे हैं।
- वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके बावजूद इन्हें उपकृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने पुलिस कर्मियों के बच्चों के उच्च अध्ययन के लिए इंदौर भोपाल जैसे शहरों में होस्टल बनाने की तैयारी की हैै, इससे दूसरे विभाग के कर्मचारी सवाल उठा रहे हैं कि क्या उनके बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शहर में रहने को सुविधा नहीं चाहिए? इसके अलावा पुलिस के लिए अलग से अस्पताल बनाने की घोषणा भी की गई है। यदि इस तरह की मांग सभी विभाग के कर्मचारी करने लगे तो क्या होगा?
- रेमेडेसिवीर का काला बाजारी के मामले में नाममात्र की कार्रवाई हुई हैं। पैरासिटामॉल बेचेने के लिए रजिस्टर रखने का निर्देश देने वाले कलेक्टरों ने इंजेक्शन के लिए लंबी लंबी लाइन लगने के बाद भी इसका रिकॉर्ड रखने के आदेश नहीं दिए।
- उल्टे लाइन में लगे लोगों के साथ दादागिरी की गई। वहीं भोपाल में वीआईपी कल्चर का नया मामला सामने आया जहां मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि जहां आमजन रेमडेसिविर के लिए परेशान हो रहे हैं वहीं कलेक्टर कार्यालय से वीआईपी लोगों को रेमडेसिविर दिलवाने के लिए पर्चियां बाटी जा रही हैं। इसके अलावा कोरोना की पिछली लहर में स्वास्थ्य सचिव के बेटे का मामला भी संज्ञान में है।
आमजन का गुस्सा चरम पर
स्वास्थ्य आग्रह को जनता ने नौटंकी ही माना है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री को जब काम करना चाहिए था तब वे इवेंट कर रहे थे। सरकार और प्रशासन के चलते भाजपा के जनप्रतिनिधि बैकफुट हैं और जनता का सामना करने की सिथति में नहीं हैं। सोशल मीडिया पर इंदौर के सांसद शंकर लालवानी और नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को तो कलेक्टर का प्रवक्ता घोषित कर दिया गया है। रही सही कसर इंदौर में हुई ऑक्सीजन टैंकर की पूजा ने पूरी कर दी है।
उधर संघ कार्यकर्ता काम जरुर कर रहे हैं लेकिन वे भी सरकार और भाजपा के पक्ष में कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें भी जनता का विरोध झेलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय नेतृत्व को जमीन खिसकने का खतरा दिखा रहा है। उन्हें लग रहा है कि स्थिति को संभालना जरुरी है औऱ शिवराज के रहते ये संभव नहीं है। हां उन्हें हटाकर ये संदेश दिया जा सकता है कि मिसमैनेजमेंट के चलते उन्हें हटा दिया गया है ताकि जनता की नाराजगी कम हो सके।
इस बार कोई नहीं बचाएगा ?
बहुत पहले से यह माना जा रहा है कि केन्द्रीय नेतृत्व प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश से बाहर करना चाहता है। इसके चलते ही वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर परिवर्तन की तैयारी शुरू की गई थी लेकिन इस कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज मुख्यमंत्री के रूप में लौट आए लेकिन सरकार के गठन में उन्हें फ्री हैंड नहीं मिला। इतना ही नहीं बाद सरकार बनने पर विरोध के बावजूद कमल पटेल को भी मंत्रिमंडल में लिया गया है।
खास बात ये है कि कोरोना से बिगड़े हालात के चलते अब शिवराज को दिल्ली में किसी का समर्थन भी नहीं मि्लेगा। हालात तो यूपी में भी खराब हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ की हिन्दू वादी छवि को देखते हुए पार्टी उन्हें बलि का बकरा बनाने के बारे में नहीं सोच सकती है। इसलिए इस बार शिवराज पर गाज गिरने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। माना जा रहा है कि मई में इस बारे में निर्णय लिया जा सकता है।