मनचाहे हेयर कट के अधिकार के लिए स्कूल स्टूडेंट्स का आंदोलन
लड़कियों को भी चाहिए मनचाही हेयर स्टाइल की छूट, मानव अधिकार आयोग तक पहुंच चुका है मामला
यूं तो हमने स्टूडेंट्स की कईं मांगें और उनके लिए आंदोलन के बारे में सुना है लेकिन स्टूडेंट्स का एक आंदोलन हेयर कट के अधिकार के लिए भी चल रहा है। इसे बैड स्टूडेंट्स मूवमेंट नाम दिया गया है। इस बार जुलाई में एक छात्र के बाल शिक्षकों द्वारा सार्वजनिक रूप से काटे जाने के खिलाफ यह आंदोलन थाईलैंड में शुरु हुआ है और सारे स्कूल स्टूडेंट्स इस आदोलन में शामिल हो गए हैं।
दरअसल थाईलैंड में स्कूली छात्रों के लिए यूनिफॉर्म के साथ ही हेयर कट का स्टाईल भी तय है। यहां पर छात्रों को अनिवार्य रूप से क्रीव कट हेयर स्टाइल यानी की सैनिको की हेयर स्टाईल रखना अनिवार्य है और छात्राओं के बाल कान तक ही आने चाहिए । यदि बाल इससे बड़े हों तो सजा मिलती है। यहां तक कि शिक्षक स्वयं स्कूल में स्टूडेंट्स की हेयर कट कर देते हैं।
मिलीटरी राज में शुरू हुआ था नियम
दरअसल थाईलैंड में लोकतंत्र के पहले मिलीटरी राज था और 1972 में पहली बार स्टूडेंट्स के लिए हेयर कट का नियम लागू किया गया था। यह नियम सबसे पहले एक निजी बोर्डिंग स्कूल वजीरवध कॉलेज में शुरू किया गया था। इस स्कूल की स्थापना थाईलैंड के राजा राम प्रथम ने 1910 में की थी। 1972 में इस स्कूल में इस नियम को लागू किए जाने के बाद इसे पूरे थाईलैंड के स्कूलों में लागू कर दिया गया। तब से यह नियम इसी तरह से लागू है।
बीच में 2015 में इसमें छूट देने की कोशिश हुई थी जबकि एक छात्र ने 2011 में इस नियम को लेकर मानव अधिकार आयोग में शिकायत की थी। 15 वर्षीय इस छात्र ने इसे स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के विरुद्ध बताया था। इसके बाद 2013 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने इस नियम में छूट देने के लिए स्कूलों को पत्र लिखे थे। इसके बाद लड़कों के लिए उनकी गर्दन तक (nape) बाल रखने की छूट दी गई थी। वहीं लड़कियों को लंबे बाल रखने के लिए स्कूल से अनुमति मांगने की व्यवस्था लागू की गई थी।
मार्च में शुरू हो गई थी बगावत
इस साल मार्च महीने में स्टूडेंट्स राईट्स ग्रुप एजुकेशन फॉर दि लिब्रेशन ऑफ सियाम ने एसोसिएशन फॉर यूथ के साथ मिलकर इस नियम को थाईलैंड की कोर्ट में चुनौति दी थी और इसे थाईलैंड के संविधान के विरुद्ध बताया था। इस समूह का कहना है कि यह नियम छात्रों को अपने शरीर पर मिले अधिकार का उल्लंघन करता है। इस समूह ने कोर्ट में कहा कि पिछले 40 साल से यह नियम थाईलैंड की शिक्षा व्यवस्था और छात्रों को नुकसान पहुंचा रहा है।
इसके बाद मई में थाईलैंड की शिक्षा मंत्रालय ने इस नियम के बदले में नए नियम जारी कि़ए जिसमें की स्टूडेंट्स को हेयर स्टाइल के लिए छूट दी गई है। इसे थाईलैंड के राजपत्र में भी प्रकाशित कर दिया गया है। लेकिन बैड स्टूडेंट्स ग्रुप ने इसके बाद शिक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया और कहा कि यह नियम घोषित भले ही कर दिए गए हों लेकिन स्कूल अब भी पुराने नियमों पर अडे़ हुए हैं। इस बात थाईलैंड के शिक्षा मंत्रालय ने भी स्वीकार किया लेकिन नए नियमों को न मानने वाले स्कूलों पर कार्रवाई करने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेे ही थाईलैंड में बैड स्टूडेंट्स मूवमेंट चल रहा है।
छात्रों की वेबसाइट को बंद कराने में जुटे शिक्षा मंत्री
छात्र आंदोलन को चलाने वाले बैड स्टूडेंट्स ग्रुप में अपने मूवमेंट के लिए एक वैबसाइट शुरू की है। badstudent.co नाम की इस वैबसाइट में उन शिक्षकों और स्कूलों के नाम दिए गए हैं जो कि छात्रों को मनपसंद हेयर स्टाईल तथा कपड़े पहनने से रोकते हैं। इस बात को लेकर शिक्षा मंत्री नाटाफोल टीप्सुवान नाराज हैं और वे इस वेबसाइट को बंद कराने के लिए पीछे पड़े हैं। उनका कहना है कि ये वेबसाइट दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
हालांकि शिक्षा मंत्री का कहना है कि इस महीने के अंत तक सरकार हेयर कट के नियम पर अंतिम निर्णय ले लेगी।