अब फ्रांस में भी उद्योगपतियों के खिलाफ किसान आंदोलन जोरों पर, कम मिल रही उपज की कीमत

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बड़े व्यापारियों के खिलाफ किसान सुपर मार्केट्स और डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर के बाहर दे रहे हैं धरना

पेरिस.

अब तक भारत सरकार का सिरदर्द बना किसान आंदोलन फ्रांस में भी शुरू हो गया है। हालांकि इस आंदोलन का भारत के आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। वहां पर किसान फसलों की कम कीमतें मिलने से नाराज हैं। फ्रांस में भी किसान अपनी उपज की बेहतर कीमत को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले एक महीने से फ्रांंसीसी किसानों के कई संगठन देश के अलग-अलग हिस्सों में सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर हैं।

ये आंदोलन बड़े व्यापारियों के खिलाफ है और इससे भारत सरकार खेती के क्षेत्र में निजी क्षेत्र और कंपनियों को लाने वाले कानून के परिणामों के बारे में चेतावनी भी समझा जा सकता है।खास बात ये है कि ये किसान वहां के सुपर मार्केट्स और डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर के बाहर धरना दे रहे हैं। वे फसल के कम मुल्य के लिए इन्हें ही जिम्मेदार बता रहे हैं। वहां भी किसानों ने राजधानी पेरिस में ट्रेक्टर रैली निकाली है।


किसानों ने की आत्महत्या

किसानों की आत्महत्या की समस्या से फ्रांस भी जूझ रहा है। वहां भी कईं किसानों ने आर्थिक नुकसान के चलते आत्महत्या की है। राजधानी पेरिस में किसानों ने पुतलों को पेड़ से लटकाकर आत्महत्या करने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी। ये किसान देशभर के सुपरमार्केट्स और डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर्स के बाहर धरना दे रहे हैं

किसानों की मांग है कि देश में आर्थिक असमानता, किसानों की गिरती आय और खाद्यान्नों के दाम में आई कमी जैसे मुद्दों को सरकार तुरंत हल करे। फ्रांस में भी किसानों को बड़े पैमाने पर अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों का आरोप है कि बड़े बड़े सुपरमार्केट्स और डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर्स के कारण उनके उपज की कीमत प्रभावित हो रही है।

किसानों और बड़े व्यापारियों के बीच हो रही है बात

किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपने उत्पादों को खरीदने वाले बड़े-बड़े होलसेलर्स से बातचीत कर रहे हैं। दरअसल फ्रांस के सुपरमार्केट्स 2018 में पारित किए गए एक कानून के तहत किसानों के साथ कीमतों को लेकर बातचीत करने को मजबूर हैं। दोनों पक्षों की बातचीत में फ्रांंसीसी सरकार के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि, पिछले 1 महीने से जारी इस आंदोलन का कोई हल होता अभी नहीं दिख रहा है।

सबके अपनी अपनी बात पर अड़े

किसानों का कहना है कि वे अपनी लागत की भरपाई करने के बराबर भी उपज का मूल्य नहीं पा रहे हैं। वहीं, इन सुपरमार्केट्स के मालिकों का कहना है कि वे किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए उपभोक्ताओं पर इसका बोझ नहीं डाल सकते हैं। इस कारण गतिरोध बना हुआ ह

भारत में भी जारी है किसान आंदोलन

भारत में भी एमएसपी और तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। नवंबर से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर्स पर बैठे किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार इन कानूनों में संशोधन करने की ही हामी भर रही है। इस बीच किसान संगठन देश के कई इलाकों में चक्काजाम और ट्रोल प्लाजा को फ्री कराने का ऐलान भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं, आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान किसान संगठन बीजेपी के खिलाफ प्रचार भी करेंगे।

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