बाबरी के समर्थन में पोस्टर पर विवाद के बाद से एफटीआईआई के स्टूटेंड्स क्लास में नहीं गए
संस्थान ने बार बार भेजे ई-मेल
22 जनवरी को बाबरी मस्जिद के समर्थन में लगाए गए पोस्टर पर हुए विवाद के बाद से पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के स्टूडेंट्स ने अपनी क्लासेस का बहिष्कार कर रखा है। संस्थान ने इन छात्रों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का हवाला देकर तुरंत क्लासेस जॉइन करने के लिए बहुत सारे ईमेल भेजे गए हैं लेकिन छात्र टस से मस होने को तैयार नहीं है। उनकी शिकायत है कि संस्थान को इस विवाद में उनके पक्ष में खड़ा होना चाहिए था लेकिन अब तक संस्थान के अध्यक्ष ने इस विषय को लेकर कोई स्टेटमेंट भी जारी नहीं किया है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पहले पुणे स्थित एफटीटआईआई के कैंपस में एफटीआईआई स्टूडेंट एसोसिएशन ने बाबरी मस्जिद के समर्थन में एक बैनर लगाया था जिसमें Remember Babri, Death of constitution यानी बाबरी मस्जिद गिराए जाने को संविधान की हत्या बताया गया था।
इस घटनाक्रम के बाद एक हिंदूवादी संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं पर आरोप है कि उन्होंने कैंपस में घुसकर यहां के छात्र संघ अध्यक्ष व अन्य छात्रों के साथ मारपीट की तथा बैनर को जला दिया। मामले में इन लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है और कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं। वहीं संगठन की शिकायत पर एफटीआईआई के कुछ छात्रों पर धार्मिक वैमनस्य फैलने का मामला दर्ज किया गया है।
एफटीआईआई के प्रोक्टर ने इस बैनर लगाए जाने को अवैध गतिविधि बताया था। तो मामले में स्टूडेंट्स का कहना है कि बैनर संस्थान के रीडिंग सर्कल में लगाया गया था। यहां पहले भी बहुत सारे बैनर लगाए गए हैं। ऐसे में संस्थान उनके द्वारा लगाए गए बैनर को अन अधिकृत कार्रवाई कैसे बता सकता है? इस तरह के बैनर्स लगाए जाने पर किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
संस्थान के अध्यक्ष आर माधवन ने अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है छात्रों को इसे लेकर भी शिकायत है। वहीं बॉलीवुड के कुछ कलाकार जिसमें नसीरुद्दीन शाह, विक्रमादित्य मोटवाने शामिल है और कुछ छात्र संगठन जैसे की एनएसयूआई न्यू स्टूडेंट एंड यूथ फेडरेशन छात्रों के समर्थन में है। छात्र इस मामले में चाहते हैं कि एफटीआईआई को उनका साथ देना चाहिए क्योंकि ये उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है, हालांकि संविधान की बात करने वाले ये सुप्रीम कोर्ट के पांच शून्य से राम मंदिर के पक्ष में दिए गए निर्णय को संविधान की हत्या बता रहे हैं।