एक लापता भारतीय कुत्ते के चलते गुयाना ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाया

जिस केस भारतीय पुलिस ने बनकर दिया था उसके आधार पर 14 महीने बाद 14000 किलोमीटर दूर हुआ निर्णय

नई दिल्ली

स्ट्रीट डॉग्स को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने वाले पशु प्रेमी जानते हैं यह काम कितना मुश्किल है। भारत में इस तरह के मामलों में पुलिस और प्रशासन से बहुत अधिक मदद नहीं मिलती लेकिन दुनिया में ऐसा नहीं होता है। एक साल पहले एक भारतीय स्ट्रे डॉग को गायब कर देने के मामले में कैरेबियन देश गुयाना ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया है। हालांकि पूरे घटनाक्रम में एक साल का समय लगा लेकिन गुयाना में इसकी शिकायत किसी ने नहीं की थी फिर भी वहां की सरकार ने उच्चायुक्त के वीडियो को देखकर उसे वापस बुलाने का निर्णय लिया। इसके उलट भारतीय पुलिस इस कुत्ते के गायब होने के मामले में गवाहों से पूछताछ किए बिना ही इस मामले को बंद कर चुकी थी। 

Gayanese High commissioner

मामला दिल्ली का है यहां पर सेवानिवृत्त प्राध्यापक सोनिया घोष, जोकि दिल्ली स्टेट एनिमल वेलफेयर बोर्ड की पूर्व सदस्य भी हैं, स्ट्रीट डॉग्स को फीड करने का काम करती हैं। अगस्त 2021 की शाम को वे जब वे स्ट्रे डॉग्स को खाना खिलाने के लिए निकलीं तो उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा कुत्ता,जिसे वो खाना खिलाती हैं, वो लापता है। इस पर उन्होंने उस कंपाउंड के घर का दरवाजा खटखटाया जिस कंपाउंड में वह कुत्ता रहता था। इस घर में नए किरायेदार के रूप में गुयाना के नए उच्चायुक्त चरणदास प्रसाद रहने आए थे।

वे कुत्ते के बारे में पूछने पर घोष के साथ विवाद करने लगे और अश्लील गालियां देने लगे। इस घटना का वीडियो घोष के ड्राइवर ने बना लिया। जब प्रसाद ने ड्राइवर को वीडियो बनाते देखा तो वे उसकी तरफ लपके। घोष को पता चला कि प्रसाद ने उस कुत्ते की पिटाई की और उसे हाईवे पर छुड़वा दिया है। वो कुत्ता ठीक से देख भी नहीं सकता था। उन्होंने इस वीडियो के साथ इसकी शिकायत पुलिस को की। 

बिना जांच पुलिस ने बंद की शिकायत

घोष ने पुलिस से मामले की प्रगति की जानकारी के बारे में बात की तो जांच अधिकारी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह कुत्ते को ढूंढ लेंगे। लेकिन न कुत्ता मिला ना ही कोई कार्रवाई हुई। ऐसे में सितंबर 2021 में उन्होंने पुलिस थाने में सूचना के अधिकार में आवेदन देकर कार्रवाई की जानकारी मांगी तो उन्हें पता चला कि पुलिस ने इस आधार पर मामला बंद कर दिया है कि इसमें कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। घोष का कहना है कि पुलिस ने मामले में तीन गवाहों का परीक्षण किए बिना ही यह तय कर लिया कि मामले में कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। खात्मा रिपोर्ट में उस वीडियो का भी उल्लेख नहीं है जो घोष ने पुलिस को अपनी शिकायत के साथ उपलब्ध कराया था। 

राजनयिक को अपराध प्रक्रिया संहिता से संरक्षण हासिल है

विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशंस 1961 के तहत किसी दूसरे देश में पदस्थ राजनयिक उस देश के आपराधिक कानूनों से संरक्षण हासिल है। किसी अपराध के मामले में लिप्त होने की स्थिति में पुलिस पहले मामले की जांच करती है और उसके बाद इससे विदेश मंत्रालय को अवगत कराती है। विदेश मंत्रालय मामले की गंभीरता को देखते हुए इसके बारे में आगे निर्णय लेता है। बिना विदेश मंत्रालय से संपर्क किए किसी राजनयिकों किसी भी मामले में पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया जा सकता है। 

14 महीने बाद 14000 किलोमीटर दूर से हुआ फैसला

घोष ने मान लिया था कि वह बूढ़ा कुत्ता हाईवे पर मर चुका होगा और उन्होंने इस मामले को समाप्त समझ लिया था लेकिन अचानक 14000 किलोमीटर दूर गया ना में घोष का एक अगस्त 2021 को शूट किया गया विवाद का वीडियो गुयाना में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। गुयाना में उच्चायुक्त की नियुक्ति राजनीतिक होती है। जो पार्टी सत्ता में होती है वह उच्चायुक्त नियुक्त कर देती है। प्रसाद की नियुक्ति भी उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद वहां के राष्ट्रपति इरशाद अली ने की थी। वीडियो को वहां के विपक्षी दलों ने मुद्दा बना लिया साथ ही वहां के मीडिया ने भी इस मामले में सरकार की खिंचाई की। 

मामले में 3 सितंबर 2022 को बताया गया कि घटना की जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय को है और एक महिला को अपशब्द कहने के मामले की जांच की गई लेकिन कुछ भी ठोस नहीं पाया गया। इसके बाद इस शिकायत को बंद कर दिया गया। ऐसे में यह मान लिया गया था कि प्रसाद यहां भी बच जाएंगे लेकिन 25 अक्टूबर 2022 को गुयाना के मीडिया ने इस वीडियो को पब्लिश किया और उसके अगले दिन अचानक गुयाना के राष्ट्रपति इरशाद अली ने 26 अक्टूबर को अपने फेसबुक लाइव में इस बात की घोषणा की कि विश्व मे गुयाना की छवि और देश के हितों को देखते हुए प्रसाद को वापस बुलाया जा रहा है। इस मामले में घोष को कोई जानकारी नहीं है कि वीडियो किस तरह से गुयाना में पॉपुलर हुआ। लेकिन उन्हें प्रसाद को वापस बुलाये जाने की जानकारी है। 

मीडिया लिटरेसी लेसन 

गुयाना और भारत के बीच का अंतर

जहां भारत में हुई इस घटना को भारतीय मीडिया ने ना के बराबर स्थान दिया वहीं गुयाना के मीडिया ने इस मामले में प्रसाद को क्लीन चिट दिए जाने के बाद वहां के राष्ट्रपति को इंटेरोगेट किया और मीडिया की ताकत इतनी थी कि राष्ट्रपति को विदेश मंत्रालय द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बाद थी प्रसाद को वापस बुलाना पड़ा। 

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