गुजरात की बार काउंसिल ने वकीलों को अन्य व्यवसाय करने की भी छूट दी

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कोरोना को देखते हुए 31 दिसंबर तक वकील वकालत के साथ-साथ दूसरे काम भी कर सकेंगे

अहमदाबाद

कोरोना को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन का असर सभी के कामकाज पर पड़ा है और वकील भी इससे अछूते नहीं हैं। देश के ज्यादातर न्यायालय अब तक प्रारंभ नहीं हो पाए इसके चलते कई वकीलों के सामने आर्थिक संकट खड़ा है। ऐसे समय में गुजरात स्टेट बार काउंसिल ने वकीलों को अन्य काम करने की छूट देकर राहत प्रदान करने का प्रयास किया है। वकीलों को यह छूट केवल 31 दिसंबर तक के लिए दी गई है।

यह निर्णय बार काउंसिल की रविवार को हुई बैठक में लिया गया। दरअसल एडवोकेट अधिनियम की धारा 35 लाइसेंस धारी वकीलों को अन्य काम करने से रोकती है। बार काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर धारा 35 में तत्कालिक छूट देने का निर्णय लिया है। किसके लिए बार काउंसिल की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है।

ये है प्रस्ताव

“रविवार को हुई बैठक में 75,000 से अधिक ऐसे वकीलों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई जो मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं और कई लोगों की स्थिति तो ऐसी है कि वे अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को भी नहीं निभा सकते। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे ज़रूरतमंद वक़ील जिनके पास सनद है, पेशे की गरिमा को ध्यान में रखते हुए अपनी आर्थिक स्थायित्व के लिए ऐसा कोई भी वैकल्पिक काम/व्यवसाय कर सकते हैं। ऐसे वकीलों को एडवोकेट अधिनियम की धारा 35 के तहत 31 दिसंबर 2020 तक इसकी अनुमति होगी।”

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुमति मिलने के पश्चात यह संशोधन लागू हो जाएगा ।

इसके साथ ही बार काउंसिल ने 1 सितंबर 2020 को देय एडवोकेट कल्याण कोष की ₹250 की राशि को भी माफ करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही बार काउंसिल ने उन वकीलों को चेतावनी दी है जो कि सोशल मीडिया पर बार काउंसिल ऑफ के चुने हुए सदस्यों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां कर रहे हैं।

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