भाजपा संसदीय दल का नेता चुने बिना ही मोदी प्रधानमंत्री बन गए! 

एनडीए कोई पार्टी नहीं है, सरकार बनाने का दावा करने से पहले मोदी को भाजपा का नेता चुना जाना था

शुक्रवार को हुई एनडीए की बैठक में सभी घटक दलों ने मिलकर नरेंद्र मोदी को नेता चुन लिया और सभी एक साथ मिलकर राष्ट्रपति के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने चले गए। सवाल यह है कि एनडीए कोई राजनीतिक दल नहीं है बल्कि एक गठबंधन है। ऐसे में पहले घटक दलों को अपना-अपना संसदीय दल का नेता चुनना चाहिए था और उसके बाद एनडीए का नेता चुना जाना चाहिए था। अभी तो भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल की बैठक ही नहीं हुई है ऐसे में भाजपा का तो नेता कोई चुना ही नहीं गया है? फिर मोदी किस तरह से एनडीए के नेता चुन लिए गए?

भारतीय संवैधानिक परंपराओं के हिसाब से सरकार बनने से पहले पार्टी अपने संसदीय दल का नेता चुनती है । बाद में वह नेता सरकार बनाने का दावा करता है। पार्टी ने किसे नेता चुना है इसका पत्र भी राष्ट्रपति को देना होता है। नरेंद्र मोदी को एनडीए का नेता तो चुन लिया गया है लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल का नेता तो अब तक नहीं चुना गया है। ऐसे में सवाल यह उठना है कि क्या राष्ट्रपति को उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए या फिर पहले भारतीय जनता पार्टी से उन्हें अपने संसदीय दल का नेता चुनने के लिए कहना चाहिए। इस मुद्दे को भाजपा के पूर्व नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने उठाया है उन्होंने इसे लेकर ट्वीट किया है । उनका कहना है कि एनडीए का कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं है । संसदीय लोकतंत्र में गठबंधन की बजाय पार्टी का ही अस्तित्व होता है ।

इसी तरह से अभी तक एनडीए में शामिल किसी भी राजनीतिक दल ने अपने-अपने संसदीय दल के नेता का चुनाव नहीं किया है। चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार,एकनाथ शिंदे जैसे लोग एनडीए की बैठक में मौजूद थे। इनमें से किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक अपना संसदीय दल का नेता नहीं चुना है। भले ही संसदीय दल के नेता का चुनाव करना एक औपचारिक प्रक्रिया मानी जाती हो लेकिन कई बार इसी दौरान परियों के भीतर की राजनीति सतह पर आ जाती है। खासकर एनसीपी अजीत पवार और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में यह संभव है क्योंकि महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद और भी बढ़ गई है।

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