विदेशी धरती पर घर-घर पहुंचेगा हिंदी साहित्य
दुबई में हुई पुस्तक आपके द्वार की शुरूआत
दुबई
विदेशों में बसे हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए मनपसंद किताबें खरीद पाना लगभग नामुमकिन होता है। ई-कॉमर्स के दौर में भी यह आसान नहीं है क्योंकि कई बार किताब का डिलवरी चार्ज, किताब की असल कीमत से कई गुना ज्यादा हो जाता है। साहित्यप्रेमियों की इस कठिनाई को दूर करने और नई पीढ़ी के विदेशों में पल और बढ़ रहे बच्चों को हिंदी के नजदीक लाने के लिए दुबई में एक अनोखी पहल हुई। हाल ही में यहां ग्रंथ तुम्हारे द्वार योजना का लोकार्पण हुआ।
इसके तहत भारत से हिंदी पुस्तकों की सात पेटियां दुबई लाई गई, जहां पूर्व से मराठी साहित्य के लिए ग्रंथ तुमाच्या दारी योजना के तहत मराठी साहित्य को प्रवासी मराठीभाषियों तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ताओं ने हिंदी के लिए इस योजना का लोकार्पण एक कार्यक्रम में किया।
पुस्तक तुम्हारे द्वार योजना के तहत पुस्तकों की पेटी, इच्छुक कार्यकर्ताओं के घर रखी जाएगी, जहां से वे किताबों को नि:शुल्क अपने दोस्तों, परिजनों, सहकर्मियों के बीच वितरित कर सकेंगे। कुछ समय बाद कार्यकर्ता इन पेटियों की अदला-बदला कर लेंगे ताकि पाठकों को नई किताबें मिल सके।
गौरतलब हैं कि कुछ वर्षों पूर्व इसी तरह की शुरुआत मराठी पुस्तकों के लिए की गई थी, आज यह योजना विश्व के 15 देशें में संचालित की जा रही है और अदला-बदली होने वाली पुस्तकों की संख्या 1 लाख से अधिक हैं। जिसका लाभ 35 हजार से अधिक पाठकों को मिल रहा है।
दुबई में जीटीडी (ग्रंथ तुम्हारे द्वार) के संस्थापक सदस्य नितिन उपाध्ये ने बताया कि पुस्तक तुम्हारे द्वार योजना में ग्रंथ पेटियों की खरीद और उन्हें दुबई तक पहुंचाने के लिए दुबई के सात दानदाताओं ने सहयोग दिया। जिसे नासिक की संस्था विश्वास ज्ञान प्रबोधनी के विनायक रानाडे दुबई लेकर आए। यहां एक सादगीपूर्ण आयोजन में शराफ समूह के सीएफओ मनोज खटोड के मुख्य आतिथ्य और बाल साहित्यकार राजीव तांबे के विशेष आतिथ्य में ग्रंथपेटियों का लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर दुबई के हिंदी कवियों ने अपनी कविता पाठ भी किया। कार्यक्रम का संचालन जीटीडी के शिवमोहन ने किया। गौरतलब है कि इस योजना की शुरूआत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी साहित्यकार विष्णुवामन शिरवाडकर ने की थी। जो आज प्रवासी भारतीयों को अपनी भाषा से जोड़े रखने का सशक्त माध्यम बन गई हैं।