विवादों से घिरा था NTA चेयरमैन प्रदीप जोशी का MPPSC का कार्यकाल

प्राध्यापक भर्ती के मामले में चर्चित रहे थे जोशी, उच्च शिक्षा आयुक्त ने उठाए थे सवाल

पुलिस वेरिफिकेशन में लिखा था कि मुरली मनोहर जोशी और अटलजी के हैं करीबी

इंदौर.

इंदौर में आज भी उच्च शिक्षा से जुड़े लोग नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए के वर्तमान अध्यक्ष और मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग (MPPSC) के पू‌र्व चेयरमैन प्रदीप कुमार जोशी को याद करते हैं। खासकर वे लोग जो 2011 में एमपीपीएससी द्वारा की गई प्राध्यापकों की भर्ती में शामिल थे। इस भर्ती को अनियमितताओं से घिरा हुआ बताया जाता है जिसमें मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और इसकी जांच की आवश्यकता भी बताई गई थी। तत्कालीन उच्च शिक्षा आयुक्त ने इस भर्ती की जांच की थी और उन्होंने कुछ बिन्दू तय किए थे, जिनकी और भी जांच किए जाने की जरुरत बताई गई थी में लेकिन जांच को किनारे पर रखकर इन प्राध्यापकों को भर्ती दे दी गई। यह मामला आज भी प्रदेश के गूंजता है और जब से यह पता चला है कि यही प्रदीप जोशी नीट की परीक्षा कराने वाले एनटीए के चेयरमैन हैं तो इन विवादित भर्तियों की गूंज फिर सुनाई दे रही है।

2011 में हुई इन भर्तियों में कईं तरह की अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इनमें बहुत से चहेते उपकृत हुए थे जिनमें से नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के रिश्तेदार शामिल थे। इंदौर की एक विधायक की बहन को गेस्ट फैकल्टी के अनुभव के आधार पर प्राध्यापक की भर्ती के लिए योग्य मान लिया गया था जबकि प्राध्यापक बनने के लिए जो अनुभव की आवश्यकता होती है उसमें गेस्ट फैकल्टी के रूप में किए गए काम को नहीं जोड़ा जाता है। लेकिन इसके बावजूद विधायक की बहन को प्राध्यापक बनाया गया था। इस मामले में कईं चयनित प्राध्यापकों के अनुभव प्रमाणपत्रों पर भी सवाल उठे थे।

जब ये गड़बड़ी सामने आई थी उस समय उच्च शिक्षा उमाकांत उमराव थे। उन्होंने नोटशीट पर कई उम्मीदवारों के अनुभव प्रमाणपत्र की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि इनके संबंध में एमपीपीएससी ने जो परिभाषा तय की थी, ये उसके अनुसार नहीं हैं। उन्होंने लिखा था कि जो मापडंड तय किए गए थे उनसे अलग आधारों पर प्रमाण पत्रों को स्वीकार करना तथा उन्हें प्रमाणित कराए बिना मान्य किए जाने की जांत कराई जानी चाहिए लेकिन ये नोट शीट दबा दी गई और अप्रमाणित प्रमाण पत्रों के आधार पर प्राध्यापकों को नियुक्ति दे दी। इस मामले में सौ से अधिक नियुक्तियां संदेह के दायरे में हैं।

एमपीपीएससी का पेपर लीक

जोशी के कार्यकाल में 2016 में एमपीपीएससी की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र के लीक होने का मामले सामने आए थे। एक मामले की जांच एसटीएफ ने की थी और दूसरे की एक उत्त स्तरीय समिति ने। एक पेपर निरस्त किया गया था।

कैसे मिली थी जोशी को नियुक्ति

जोशी उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले हैं और कानपुर में उन्होंने पढ़ाई की है। वे मध्य प्रदेश के रानी दुर्गावती विवि में पढ़ाते थे। उनकी नियुक्ति के लिए पुलिस वेरिफिकेश का जो पत्र है उसमें मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एके सोनी ने मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव इकबाल सिंह बैस को लिखा था कि जोशी का संबंध मुरली मनोहर जोशी तथा अटल बिहारी वाजपेई से है। यह पत्र एक सरकारी दस्तावेज है। यानी कि इससे समझा जा सकता है कि जोशी की नियुक्ति कैसे हुई थी।

जोशी ने जहां चाही वहां नियुक्ति मिली

सरकार के भीतर जोशी के संबंधों का पता इस बात से लगता है कि 2011 में एमपीपीएससी में अध्यक्ष बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के चेयरमैन बने और इसके बाद वे यूपीपीएससी पहुंच गए। यहां भी वे चेयरमैन रहे हैं। वहां से मुक्त हुए तो एनटीए में आ गए। ये बात समझ से परे है कि क्या सरकार के पास उनसे योग्य कोई और व्यक्ति नहीं रहा जो जोशी हमेशा महत्वपूर्ण स्थानों पर नियुक्ति पाते रहे हैं?

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