परिवारवाद के मुद्दे पर पीएम मोदी के भाई ने उठाए अमित शाह, राजनाथ और विजयवर्गीय के बेटों पर सवाल

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कहा उनकेपास क्या कोई डिग्री है कि वो सरकार के लिए उपयोगी हैं?

मोदी की भतीजी सोनल को चाहिए पार्षद का टिकट

अहमदाबाद.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भतीजी सोनल मोदी अहमदाबाद नगर निगम का चुनाव लड़ना चाहती हैं, लेकिन सोनल के पिता यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के भाई को लगता है कि परिवारवाद के नाम पर सोनल को टिकट से वंचित किया जा सकता है। वे इस संबंध में गुजरात के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील द्वारा नगरीय निकाय के लिए तय किए गए मापदंड़ों का हवाला देते हैं। इनमें कहा गया कि नेताओं के परिजनों के टिकट नहीं दिया जाएगा।

बीबीसी ने इस मुद्दे पर मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी से बात की है। इस इंटरव्यू में प्रह्लाद मोदी ने कईं बातों पर बेबाकी से अपनी राय रखी है। उन्होंने गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा टिकट के लिए तय की गई गाईडलाईन का हवाला देते हुए कहा है कि इससे स्पष्ट होता है कि वो चुनाव नहीं लड़ पाएगी क्योंकि वो सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के परिवार से आती है।

प्रह्लाद मोदी की बेटी सोनल अहमदाबाद के बोदकदेव से चुनाव लड़ना चाहती हैं। यह सीट पिछड़े वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। आप यहां पार इस साक्षात्कार के कुछ हिस्से पढ़ सकते हैं, पूरा साक्षात्कार बीबीसी पर पढ़ा जा सकता है। हो सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रशंसकों को यह साक्षात्कार अच्छा न लगे।

हम पीएम की तस्वीर से अपनी जिंदगी नहीं चलाते

प्रह्लाद मोदी से परिवारवाद के मुद्दे पर जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि

हम पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल करके अपनी ज़िंदगी नहीं चलाते हैं। हमारे परिवार के सभी सदस्य कठिन परिश्रम करते हैं, कमाते हैं और उसी से अपना ख़र्च चलाते हैं। मैं राशन की एक दुकान चलाता हूँ।

बीजेपी में हमारे परिवार की ओर से कोई भाई-भतीजावाद नहीं है। नरेंद्र मोदी ने साल 1970 में घर छोड़ दिया था और पूरे भारत को ही अपना घर बना लिया। इस तरह भारत का हर नागरिक उनका रिश्तेदार है। वह ख़ुद भी ऐसा कहते रहे हैं।

इस हिसाब से पूरा देश चुनाव लड़ने के योग्य नहीं

परिवारवाद के मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए प्रह्लाद मोदी ने इस साक्षात्कार में कहा कि

वह हमारे परिवार में पैदा ज़रूर हुए हैं, लेकिन वो भारत के बेटे हैं. ऐसे में तो कोई भी चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं रह जाएगा. सभी उनके भाई-बहन होंगे. नरेंद्र भाई ने खुद भी यह बात कही है कि वे किसी एक से नहीं जुड़े हैं. भारत के सभी लोग उनके भाई-बहन हैं, तो ऐसे में यह नियम हम पर कैसे लागू होता है?

साथ ही परिवार के मुद्दे पर प्रह्लाद मोदी ने कहा कि भारत सरकार ने परिवार की एक परिभाषा तय की है। जिन-जिन लोगों के नाम घर के राशन कार्ड पर हैं, वे सभी परिवार के सदस्य हैं। हमारे परिवार के राशन कार्ड में नरेंद्र दामोदरदास मोदी का नाम नहीं. तो क्या वह मेरा परिवार हैं?

मुझे नहीं पता उनके घर का दरवाजा कैसा है?

यह पूछे जाने पर कि सोनल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आखरी बार कब मिलीं थीं ? प्रह्लाद मोदी ने कहा कि जब से नरेंद्र भाई देश के प्रधानमंत्री बने हैं, मुझे नहीं पता कि उनके घर का दरवाज़ा कैसा दिखता है? मुझे ही नहीं पता तो मेरे बच्चों को कैसे पता चलेगा

प्रधानमंत्री से मिलने की इच्छा पर प्रह्लाद मोदी ने कहा कि मैं मानता हूँ कि उन्होंने घर छोड़ दिया है और भारत देश को अपना घर बना लिया है। रिश्ते में भले ही हम उनका परिवार हों, लेकिन हम उनसे तभी मिल सकते हैं, जब वो हमें आमंत्रित करें. अगर वह हमें नहीं बुलाते हैं तो मैं उनके दरवाज़े पर इंतज़ार नहीं कर सकता

राजनाथ, शाह और विजयवर्गीय पर सवाल

साक्षात्कार में बीबीसी के पत्रकार तेजस वैद्य ने प्रह्लाद मोदी से उनके उस बयान के बारे में पूछा जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी बेटी को मिलेगा उससे यह तय हो जाएगा की भाजपा का संसदीय बोर्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कैसा सम्मान करता है? इस बारे में प्रह्लाद मोदी ने कहा कि

पार्टी जो भी नियम बनाती है, वो पूरे भारत में, पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लागू होते हैं। अगर राजनाथ सिंह के बेटे सांसद बन सकते हैं, अगर मध्य प्रदेश के वर्गीस जी के बेटे विधायक हो सकते हैं और अगर गृहमंत्री के बेटे जय, जिनका क्रिकेट में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं है (कम से कम मेरी जानकारी में) और ना ही मैंने उनकी इस क्षेत्र में किसी उपलब्धि के ही बारे में पढ़ा है, बावजूद इसके उन्हें क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ज़िम्मेदारी दी गई है।

उनके पास क्या कोई डिग्री है कि वो सरकार के लिए उपयोगी हैं? और बीजेपी समेत दूसरे पक्षों से उन्हें लगातार सपोर्ट मिल रहा है। और अगर वो क्रिकेट बोर्ड के सचिव बन सकते हैं तो पार्टी दो सामानांतर तरीक़ों से काम कर रही है।

मुझे कोई कृपा नहीं चाहिए

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रह्लाद मोदी ने कहा कि

अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई के सचिव हैं और हाल ही में उन्हें एशियाई क्रिकेट परिषद का प्रेसिडेंट चुना गया है।

जो उनकी हाँ में हाँ मिलाते हैं, वे उन्हें पदों पर रखना चाहते हैं। यह बहुत स्पष्ट है। मैं साफ़ कह रहा हूँ कि अगर वो एक क़ाबिल नेता है और जीतने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है, तो संसदीय बोर्ड को उसे (बेटी) टिकट देना चाहिए ना कि इसलिए क्योंकि वो पीएम मोदी की भतीजी है। मुझे और मेरी बेटी को पीएम का रिश्तेदार होने के नाते कोई कृपा नहीं चाहिए।

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