21st November 2024

रामजी कलसांगरा की अयोध्या डायरी…

भाग एक : छह दिसंबर की तैयारी

रामजी कलसांगरा का नाम संभवत: सभी ने सुना है लेकिन पिछले 16 बरस से उन्हें किसी ने देखा नहीं है। पुलिस के रिकॉर्ड में वे मालेगांव ब्लास्ट मामले में फरार हैं लेकिन उनका इतना ही परिचय उनके साथ न्याय नहीं है। राम जी की एक पहचान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचे एक कार सेवक की भी है। खास बात ये है कि राम जी ढांचा ढहाने वाले कारसेवकों में शामिल थे और वहां पर मलबे का एक पत्थर उन पर गिर जाने के चलते उनका पैर फैक्चर हो गया था। इसके चलते वे जब वापस इंदौर लौटे तो लगभग महीना भर बिस्तर पर रहे। उनका विवाह पहले से तय था तो इसी दौरान उनका विवाह भी संपन्न हुआ। ये इस नाते से अनूठा विवाह था कि राम जी फेरे लेने की स्थिति में नहीं थे तो उनकी पत्नी ने अकेले ही फेरे लिए थे।

ईलाज के चलते अस्पताल में रहने के दौरान रामजी ने 6 दिसंबर 1992 की घटना को इंदौर से रवाना होने से लेकर वापस अस्पताल में पहुंचने तक के ब्यौरे को एक डायरी में कलमबद्ध किया था। रामजी भले ही मालेगांव ब्लास्ट में आरोप लगने के बाद 16 वर्ष से घर नहीं लौटे हों लेकिन उनके बेटे देवव्रत ने ये डायरी संभाल रखी है। ये एक ऐसे कारसेवक की डायरी है जो सनातन के संघर्ष में हर स्थान पर मौजूद था।

उनकी डायरी से अनुसार छह दिसंबर को मध्य भारत के कार सेवकों का श्री राम लला के दर्शन करने का क्रम दसवां था। शुरुआत तमिलनाडू और कर्नाटक से आए कारसेवकों से होना थी। इतना ही नहीं इसमें  उन्होंने बताया है कि वहां पर कारसेवकों की संख्या इतनी थी कि दिसंबर की ठंड के बावजूद सभी के सोने के लिए व्यवस्था करना संभव नहीं था तो कार सेवक पराल यानि धान की घास को बिछाकर सोये थे। आज रामजी की इसी डायरी के 5 दिसंबर को कारसेवा की तैयारी के कुछ अंश हम यहां साझा कर रहे हैं। अगले भाग में 6 दिसंबर की कारसेवा के अंश प्रस्तुत किए जाएंगे।

राम जी की कारसेवा डायरी

दिनाक  5  दिसम्बर को अयोध्या में मौजूद कोरसेवकों की एक धर्मसभा हुई थी। राम जी ने डायरी में इस धर्म सभा का विस्तार से वर्णन किया है उन्होंने लिखा कि “धर्मसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारी मान सुर्दशन जी ने भी अनुशासन मे कार सेवा करने को कहा।  मा० सुदर्शन जी ने, लंका पर पहुंचने के लिये जो पुल की निर्माण हो रहा था तब गिलहरी की उस पुल में क्या सहयोग था, इसकी कहानी सुनाई ने कहा कि हमे उसी प्रकार प्रभू श्री राम जी के कार्य में सहयोग देना है।

माननीय अशोक जी सिंघल  ने कहा वर्तमान में अयोध्या में पांच लाख कार सेवक है ।  यदि आप सभी कार सेवा की प्रयत्न करेगे तो सफल कार सेवा नही हो पायेगी। रामजन्म भूमी परिसर में ज्यादा एक- दो लाख कार सेवक जा सकते हैं और सभी यदि परिसर मे घुस जायेगे तो कार सेवा कैसे सम्पन्न होगी?  अतः आप‌को तो सिर्फ गिलहरी बनकर कारसेवा करनी है। आप श्री राम जन्म भूमि परिक्रमा मार्ग से मंदिर की परिक्रमा करेगे और अपने साथ बालू रेत सरयू से लाकर उसी परीक्रमा स्थान पर छोड़ेगे और जही २.७७- एकड़ भूमि है।“

जानिए इस्लाम का एक्स फैक्टर को

वहां से मूल कार सेवा को प्रारंभ करेगे।  वह कार्य इंजीनियर व मंदीर निमार्ण में लगे लोग व मिस्त्री ही करेंगे।  सर्व प्रथम वहां साधु संतो द्वारा पूजा अर्चना की जावेगी और उसके बाद में कारसेवा प्रारंभ कर दी जावेगी। कार सेवा मे प्रथम सिंह द्वार की निर्माण व श्री रामलला के मंदिर की सफाई व के धुलाई की जावेगी और ढाचे पर ध्वज फहराया जावेगा। अतः हम सभी कार सेवक तो सिर्फ बालू रेत से कार सेवा करेगे। श्री अशोक जी सिहल ने कहा की आप जब तक कार सेवा का कार्य के प्रारंभ नहीं हो तब तक अयोध्या मत छोडना। जब आप पूर्ण रूप से अपनी आँखो से सिंह द्वार की कार सेवा नही देखें और आप पूर्णतः अनुशासन मे रहकर कार सेवा करके अयोध्या छोडें क्योंकि उत्तर भारत के कार सेवक अयोध्या आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अता. आप जब यहा से कार सेवा करके लौटेगे तो वे यही आकर कार सेवा करेगे क्योंकि वर्तमान के अयोध्या में अभी जगह ही नहीं बची है।

राजनेताओं में “सर्व श्री लालकृष्णजी आडवानी डॉ. मुरली मनोहर जोशी, राजमाताजी, विनय कटियार एवं अन्य नेता भी राम कथा कुंज के मंच पर विराजे थे।  साध्वी ऋतंबराजी, साध्वी उमाश्री भारती, साध्वी बहन श्री सरस्वती भी मंच पर थीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कईं अधिकारी वहां उपस्थित थे।  

रामजी की कारसेवा डायरी का आगला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

error: Content is protected !!