भारत में खुलेंगे ऑक्सफोर्ड और येल यूनिवर्सिटी के कैंपस

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मोदी सरकार कर रही है विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत लाने की तैयारी

गूंज रिपोर्टर, नई दिल्ली

जल्द ही विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स को भारत में ही इनमें पढ़ने का मौका मिलेगा। भारत सरकार विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में कैंपस खोलने के लिए अनुमति देने की तैयारी कर रही है। इसके बाद ऑक्सफोर्ड और डेल जैसी यूनिवर्सिटीज के कैंपस भारत में होंगे और आम भारतीय स्टूडेंट भी आसानी से इनमें पढ़ाई कर सकेगा। सरकार इन विवि को भारत में लाने के लिए एक कानून बना रही है। अभी इस कानून पर काम चल रहा है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस मामले में संसद में जानकारी दी है। उन्होंने एक लिखित प्रश्न के जवाब में बताया है कि भारत से करीब साढ़े 7 लाख स्टूडेंट विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं और हर साल 15 अरब डॉलर खर्च करते हैं। विदेशी यूनिवर्सिटियों के कामकाज को नियंत्रित करने से जुड़े कानून के मसौदे को तैयार किया जा रहा है। मसौदा तैयार होने के बाद विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा।

निशंक का कहना है कि इस बारे में सरकार की कई विदेशी यूनिवर्सिटीज से बात हुई है, भारत में काम करने को लेकर उनमें बहुत उत्साह है। कुछ विदेशी यूनिवर्सिटियों ने पहले से ही भारतीय संस्थानों के साथ पार्टनरशिप कर ली है। जिससे कि स्टूडेंट भारत में आंशिक पढ़ाई के बाद विदेश स्थित मेन कैंपस से अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं। अब ये विदेशी संस्थान उत्साहित होकर भारत में किसी लोकल पार्टनर के बिना अपने कैंपस खोलना चाहती हैं।

ग्लोबल कंपिटिटिवनेस में पीछे हैं हम

 ग्लोबल टैलेंट कंपटिटिवनेस इंडेक्स 2020 में भारत का 132 देशों में 72वां रैंक है। यह इंडेक्स टैलेंट्स को बढ़ने, आकर्षित करने और बनाए रखने की किसी देश की क्षमताओं को दिखाता है। इस इंडेक्स में अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए आवश्यक है कि भारत अपने शिक्षा क्षेत्र में सुधार करे। इसके बाद भारत की स्थिति इस इंडेक्स में सुधर जाएगी।

कम नहीं है मुश्किलें

भारत की कुख्यात जटिल नौकरशाही विदेशी यूनिवर्सिटियों के लिए मुख्य बाधा है। इसके अलावा जमीन अधिग्रहण में कठिनाई, अकैडमिक स्टाफ और पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियां अलग से हैं। निशंक ने यह स्पष्ट तौर पर नहीं बताया कि विदेशी यूनिवर्सिटियों को आकर्षित करने के लिए भारत कौन से कदम उठा रहा है लेकिन उन्होंने यह जरूर बताया कि जो संस्थान नॉट-फॉर-प्रॉफिट आधार पर यहां अपनी शाखाएं खोलना चाहती हैं उन्हें स्थानीय संस्थानों के साथ साझेदारी करनी होगी।

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