मीसा बाई एमबीबीएस !
एक मुख्यमंत्री की बेटी जिसने कोटे से एडमिशन लेकर एमबीबीएस में टॉप किया लेकिन कभी किसी का ईलाज नहीं किया
गूंज न्यूज.
क्या आपने कोई ऐसा डॉक्टर देखा है जो कि डॉक्टर बनने के लिए दिन रात एक करे। फिर एमबीबीएस का टॉपर बन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रपति के हाथों पदक प्राप्त करे और इसके बाद भी किसी का ईलाज न करे तो क्या कहेंगे?
दुनिया का तो मालूम नहीं लेकिन बिहार में उसे मीसा भारती कहते हैं। आप और कुछ सोचने और पूछने की हिम्मत करें इसके पहले ही आपको बता देते हैं कि उनकी मां और पिता दोनों बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब आप सही पहचाने की मीसा लालू यादव और राबड़ी देवी की बेटी हैं और अभी राज्य सभा सांसद हैं।
मां-बाप मुख्यमंत्री हो तो सबकुछ संभव है। यह भी कि बेटी को मेडिकल में प्रवेश दिलाने के लिए कोई कोटा मिल जाता है। अवविभाजित बिहार में एडमिशन के लिए ऐसा ही एक कोटा होता था, जिसे टिस्को कोटा कहते थे। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह कोटा टिस्को के कर्मचारियों के लिए होता था लेकिन इसी कोटे पर मुख्यमंत्री की बेटी का एडमिशन एबीबीएस में हुआ था।
ऐसा नहीं है कि इस एडमिशन पर कोई सवाल नहीं उठे लेकिन उस समय लालू राजनीतिक हैसियत के आगे किसी की नहीं चली और मीसा बाई गोल्ड मैडल के साथ एमबीबीएस हो गईंं। उनके टॉपर होने पर भी बवाल हुआ लेकिन नेता क्यों चुप रहे इसका पता 2003 में जाकर लगा जबकि झारखंड उच्च न्यायालय ने टिस्को कोटा समाप्त करने के आदेश दिए थे।
खत्म हो चुका है टिस्को कोटा
झारखंड लोक चेतना अभियान नाम के एक संगठन ने इस कोटे को झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जमशेदपुर में चार सीटें टिस्को के कर्मचारियों के बच्चों के लिए आरक्षित होती थीं। संगठन ने कोर्ट को बताया कि इस कोटे का दुरुपयोग नेता कर रहे हैं। इसके बाद जस्टिस वीके गुप्ता और जस्टिस हरिशंकर प्रसाद की बेंच ने इस कोटे को रोके जाने का आदेश दिया था।
इसी कोटे पर मीसा भारती का एमबीबीएस में प्रवेश हुआ था। कहते हैं कि बाद में सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उनका ट्रांसफर पटना मेडिकल कॉलेज कराया गया था। कोटे के दुरुपयोग और उसके रोके जाने का मामला अपने आप सबकुछ बयान कर देता है।
हावर्ड कांट्रोवर्सी
मीसा भारती एक बार अपने फेसबुक पेज पर हावर्ड यूनिवर्सिटी की फोटो शेयर कर विवादों में पड़ गई थीं। मीसा पर आरोप लगा था कि कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद वो मंच पर गईं और तस्वीरें खिंचवाईं। इसके बाद ये तस्वीरें भारत के अखबारों को यह कहकर जारी कर दी गई कि उन्होंने हावर्ड में लेक्चर दिया था। बाद में यूनिवर्सिटी ने सफाई देते हुए कहा था कि मीसा यहां कोई कार्यक्रम में बतौर अतिथि नहीं आई थीं, उन्होंने कार्यक्रम खत्म होने पर फोटो खींचवा ली थी।
अब एक खास बात और कि लालू यादव का कहना है कि मीसा उनकी बेटी नहीं हैं वे उन्हें आंदोलन की बेटी मानते हैं। जब लालू यादव इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए MISA यानी Maintenance of Internal Security Act में जेल गए थे तब मीसा का जन्म हुआ था। कहते हैं कि उस समय बिहार के भूमिहार मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने उनका नाम मीसा रखा था। भूमिहार से याद आया वही भूमिहार जिनके विरोध में भूरा बाल काटो का नारा बुलंद करते हुए अपनी राजनीति चमकाई थी। और मीसा से याद आया कि यह उसी कांग्रेस की देन थी जिसके साथ आजकल लालू और उनके लाल का महागठबंधन है।