प्रमोशन और एक्जामिनेशन पर छात्र संगठन आमने सामने
नई दिल्ली.
कोरोना के चलते उलझी हुई परीक्षाओं को लेकर देश के दो छात्र संगठन आमने सामने आ गए हैं। जहां भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोशन दिए जाने की बात कर रहा है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि परीक्षाएं होना चाहिए । हां इसके तरीके परंपरागत परीक्षाओं से अलग हो सकते हैं। इस बात को दोनों ही पक्ष सोशल मीडिया में अपने-अपने हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। शुक्रवार का दिन एबीवीपी के हैशटैग का था।
19 मई को मने जनरल प्रमोशन के पक्ष में #GeneralPromotionBonusMarks ट्रेंड कर रहे थे । इस संबंध में एनएसयूआई ने अलग-अलग स्थानों पर ज्ञापन भी दिए थे।
वहीं परीक्षाओं को लेकर एबीवीपी की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी ने बताया कि संगठन 87868 कार्यकर्ताओं ने देशभर में 8.68 लाख विद्यार्थियों से बात कर इस संबंध में उनकी राय ली है। उनका कहना है कि इसमें ये सामने आया है कि विद्यार्थी चाहते हैं कि या तो परीक्षाएं आगे बढ़ाई जाएं या फिर पुस्तकों के साथ परीक्षाएं ली जाएं या फिर प्रोजेक्ट और असाइनमेंट के आधार पर मूल्याकंन हो या अंतिम विकल्प के रूप में सीसीई को आधार बनाकर परिणााम तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने एनएसयूआई पर कंज कसते हुए ट्वीट किया कि
एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने इस मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके संगठन में ही प्रमोशन होता हो वो स्टूडेंट्स के कैसे न्याय देंगे।
हालांकि इस मामले में एबीवीपी को कुछ उलाहने भी मिल हैं। कि उन्होनें गोवा में परीक्षा रद्द करने की मांग की है। वहीं एनएसयूआई को भी सलाह मिली है कि उन्हें मुफ्तखोरी की आदत पढ़ गई है।
वहीं चित्तोड़गढ़ प्रांत की एबीवीपी ने कहा कि कुछ लोग डकवर्थ लुईस सिस्टम से मैच जीतना चाहते है।
आम छात्र की दूरी
पूर मामले में दोनों छात्र संगठनों से जुड़े स्टूडेंट्स ट्वीट कर रहे हैं लेकिन सामान्य छात्र इसमें शामिल नहीं दिख रहे हैं। इस तरह से मामला राजनीतिक हो जाने की संभावना है। यह भी संभव है कि कांग्रेस और भाजपा शासित राज्यों में इस मामले में अलग-अलग निर्णय लिए जाएं।