15th September 2024

पशु क्रूरता के खिलाफ तेलंगाना के सांसद ने उठाई आवाज 

प्रधानमंत्री को पद लिखकर पशु क्रूरता अधिनियम में संशोधन की मांग की,140 और सांसदों ने किया समर्थन

तेलंगाना के कांग्रेस सांसद पोरिका बलराम नाइक ने 26 जुलाई  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम 1960 में संशोधन करने का आग्रह किया। पत्र में सांसद बलराम नाईक ने जानवरों के खिलाफ जघन्य अपराध का जुर्माना बढ़ाने के साथ-साथ कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग भी की है । पशुओं की पांच मौलिक स्वतंत्रताएं सुरक्षित करने की बात भी कही है।  सांसद ने संसद के मौजूदा सत्र में नए पशु कल्याण विधेयक (पशु क्रूरता निवारण विधेयक 2022) को पेश करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए एक सुरक्षित और मानवीय समाज सुनिश्चित किया जा सके। सभी दलों के कुल 140 सांसदों ने नाईक की मांग का समर्थन किया है।

पोरिका बलराम नाईक, सांसद

उन्होंने पत्र में जानवरों के खिलाफ अपराधों के लिए दंड बढ़ाने की आवश्यकता बताई है। वर्तमान में, जानवरों के खिलाफ सबसे जघन्य अपराध- जिसमें जानवर को पीटना, जहर देना, बलात्कार करना या जलाना शामिल है- के लिए अधिकतम जुर्माना मात्र 50 रुपये (और बार-बार अपराध करने वालों के लिए 100 रुपये) है।

नवीनतम पशु क्रूरता निवारण (संशोधन) विधेयक 2022 के लिए प्रस्तावित संशोधनों में जुर्माने को 50 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये या 2,500 रुपये तक करना, जबकि दूसरी बार अपराध करने पर 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये या छह महीने से एक साल तक की कैद या दोनों शामिल हैं। 

पशुओं की पांच मौलिक स्वतंत्रताएं

पशु क्रूरता विधायक 2022 में प्रत्येक पशु के लिए पाँच मौलिक स्वतंत्रताओं को जरूरी बताया गया है इनमें- भूख और प्यास से मुक्ति, असुविधा से मुक्ति; दर्द, चोट और बीमारी से मुक्ति, और सामान्य और प्राकृतिक व्यवहार को व्यक्त करने की स्वतंत्रता शामिल है। 

इसमें एक नई धारा 11 (4) जोड़ने का भी प्रस्ताव किया है, जो जिला मुख्यालय पर इस अधिनियम के तहत दर्ज सभी मामलों का रिकॉर्ड बनाए रखने को अनिवार्य बनाता है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि पशु क्रूरता और मनुष्यों के खिलाफ हमले के मामलों का अध्ययन किया जा सके। इससे उचित निर्णय लेने तथा सुरक्षित समाज बनाने में मदद मिलेगी । 

 ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया की सरकारी मामलों की निदेशक मौसमी गुप्ता ने कहा, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 पुराना हो चुका है और पशुओं के खिलाफ अपराधों से निपटने में यह अक्षम है । इसमें जगन्य अपराधों में भी न्यूनतम दंड का प्रावधान है।”

उन्होंने नए विधायक को लागू करने के लिएसांसदों के समर्थन का आभार व्यक्त किया है।   हेमा मालिनी, पंकज चौधरी, अर्जुन लाल मीना, डॉ. के. लक्ष्मण, मरगनी भरत राम, डॉ. मोहम्मद जावेद और राजा अमरेश्वर नाइक सहित 140 से अधिक सांसदों ने बलराम नाइक का समर्थन किया और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि प्रस्तावित पशु क्रूरता निवारण (संशोधन) विधेयक, 2022 को चर्चा के लिए लाया जाए।

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