ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाने वाली इस यूनिवर्सिटी को यूजीसी ने बताया फर्जी, कहा ना ले एडमिशन

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नई दिल्ली .

कोरोना काल के बाद से ऑनलाइन कोर्स चलाने वाले संस्थानों में एकाएक बहुत बढ़ोतरी हुई है। इनमें से कुछ ने तो स्वयं को यूनिवर्सिटी ही घोषित कर दिया है ऐसी ही एक डिजिटल यूनिवर्सिटी के बारे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने छात्रों को चेताया है और कहा है कि ये फर्जी विश्वविद्यालय है इसमें प्रवेश ना लें। खास बात यह है कि इस डिजिटल यूनिवर्सिटी के संस्थापकों में एक प्रोफेसर भी शामिल है। यूजीसी ने इस संबंध में 19 जुलाई को आदेश जारी किए हैं। इसमें यूजीसी ने इस यूनिवर्सिटी को गैर मान्यता प्राप्त स्वयंभू विश्वविद्यालय कहां है, जो डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं है।

इस विश्वविद्यालय का नाम डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रेसर्जेंस है और ये महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित है। इस संबंध में यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने बताया कि हमें जानकारी मिली कि वर्धा के रिंग रोड पर एक ऑनलाइन मेटा डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रेसर्जेंस द्वारा बहुत से पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यह यूजीसी अधिनियम 1956 का उल्लंघन है।

इसलिए है यह यूनिवर्सिटी अवैध

यूजीसी अधिनियम 1956 के अनुच्छेद 22 के मुताबिक डिग्री देने का अधिकार या स्वीकार करने का अधिकार केवल उन विश्वविद्यालयों होगा जो किसी केंद्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम, राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित किए जाएंगे या फिर संसद द्वारा विशेष अधिनियम के तहत स्थापित किए जाएंगे। या डिजिटल विश्वविद्यालय अनुच्छेद 22 का पालन न करने के चलते अवैध है।

महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर शक

यूजीसी के यूनिवर्सिटी को अवैध घोषित कर दिया जाने के बाद इस यूनिवर्सिटी के बारे में चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। बताया जा रहा है कि इस यूनिवर्सिटी का संचालन एक बंगले में किराए से लिए गए कमरे से किया जा रहा था और यहां पर इस यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए जिम्मेदार केवल एक व्यक्ति मिला है। उसका नाम अनिमेष बताया जा रहा है लेकिन वह इस विश्वविद्यालय के बारे में घुमा फिरा कर जवाब देता रहा। खास बात यह है कि जिस बंगले के कमरे में यह ऑनलाइन डिजिटल यूनिवर्सिटी चल रही थी वहां पर वर्धा की प्रसिद्ध महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर संदीप वर्मा अपने परिवार के साथ रहते हैं। इसके चलते इस बात को बल मिल रहा है कि इस विश्वविद्यालय के पीछे वही हैं। हालांकि अभी इस बात की जांच की जा रही है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के रूप में कौशल अग्रवाल का नाम दर्ज है उन्होंने बताया कि इस डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना कोविड काल के समय की गई थी।

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