आधी दुनिया पार इस कॉलेज में है 82% स्टूडेंट भारत से
यहां आपको लग सकता है कि आप पंजाब के किसी कॉलेज में है
भारत से 11:30 हजार किलोमीटर दूर एक कॉलेज जिसमें आप जाएंगे तो आपको लगेगा जैसे आप पंजाब के किसी कॉलेज में आ गए हों। यहां की हर क्लास में 2 से 4 स्टूडेंट्स को छोड़कर शेष सभी स्टूडेंट्स भारतीय है और उसमें भी पंजाब से। यह कॉलेज है कनाडा के ओंटारियो स्थित नॉर्दर्न कॉलेज। यहां पर अप्लाइड आर्ट्स और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई होती है। इसके टिम्मिंस कैंपस में आपको हर जगह पंजाबी ही दिखाई देगा।
भले ही पिछले कुछ समय से खालिस्तान नेताओं के चलते भारत और कनाडा के बीच के रिश्ते तनाव पूर्ण हो लेकिन इससे बेखबर नॉर्दर्न कॉलेज में छोटा भारत दिखाई देता है। यहां पंजाबियत का हाल यह है कि आसपास के रेस्टोरेंट में वेटर आपसे यह भी नहीं पूछते कि आप खाने में कितना मसाला लेंगे। वे चुपचाप से पंजाबी टेस्ट के हिसाब का खाना आपके सामने परोस देंगे।
यह कॉलेज टोरंटो से आठ घंटे की ड्राइव पर है। एक समय इसे ओंटारियों की घनी आबादी वाले इलाकों से स्टूडेंट्स मिला करते थे। लेकिन अब यहां पर 82 प्रतिशत स्टूडेंट्स केवल इंडिया से हैं। यह जानना जरुरी है कि किस तरह से कनाड़ा के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित एक कॉलेज जहां पर का अंटार्कटिक की तरह सर्दी पड़ती है, भारतीय स्टूडेंट्स को इतनी बड़ी संख्या में कैसे अकर्षित कर पाया है।
इसके पीछे कनाड़ा में पब्लिक कॉलेजों के बजट में की जा रही कटौती जिम्मेदार है। इसके चलते ये कॉलेज अब विदेशी स्टूडेंट्स से मिलने वाली मोटी ट्यूशन फीस पर चल रहे हैं। ये कॉलेज कनाड़ा में बसने के इच्छुक विदेशी स्टूडेंट्स के लिए वाहक का काम करते हैं और इससे कनाड़ा को श्रमिक भी मिल जाते हैं जो कि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं। ओंटारियो के पब्लिक कॉलेज की बात करें तो यहां साठ प्रतिशत स्टूडेंट्स भारतीय हैं और इसे लेकर यहां के प्राविंस के ऑटिडर जनरल ने चेताया है कि इन पर निर्भरता भविष्य के लिए जोखिम भरी हो सकती है।
कनाड़ा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो को खालिस्तानी अलगाववादी नेता की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने के आरोप के झटके अब ओंटारियो को पब्लिक कॉलेज भी महसूस कर रहे हैं। भारत इन आरोपों से इनकार किया है और कनाड़ा के 41 राजनयिकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन परिस्थितियों के चलते अब नॉर्दन कॉलेज ने भारत की बजाय अफ्रीका और इंडोनेशिया के स्टूडेंट्स को आकर्षित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
नॉर्दन कॉलेज की स्थापना 1967 में ओंटारियो के अन्य पब्लिक कॉलेजों की तरह, अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त कामगार तैयार करने के लिए हुई थी। इसका उद्देश्य युवाओं को खनन, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल में काम करने के लिए प्रशिक्षित करना था। कनाड़ा में इस साल नौ लाख विदेशी स्टूडेंट्स पहुंचे हैं। इनमें से 40 प्रतिशत भारतीय हैं। 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या में चीन दूसरे स्थान पर है।
जहां भारतीय स्टूडेंट्स 16 से तीस हजार कनाडाई डॉलर फीस के रूप में चुकाते हैं तो वहीं इन्हीं कोर्स के लिए कनाड़ा के स्थानीय स्टूडेंट्स को इसकी तुलना में एक चौथाई फीस चुकानी होती है।