शिव और पार्वती के इन एआई फोटो को देखकर आपको गुस्सा आएगा

लेकिन इसके जिम्मेदार भी हम ही हैं अब भी मौका है संभल जाइए

जमाना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है। इसे संक्षेप में एआई कहते हैं। आजकल इसका इस्तेमाल बहुत जगह पर हो रहा है ऐसे में महाशिवरात्रि भी इससे कैसे बच सकती थी? सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती के विवाह के बहुत सारे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने हुए फोटो पोस्ट किए गए हैं। क्योंकि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस आर्टिफिशियल है तथा इंटरनेट पर मौजूद सूचनाओं के आधार पर काम करता है तो जिस तरह का सांस्कृतिक पतन हमारे घर की शादियों और विवाह समारोह में देखने में आता हैं एआई ने वैसे ही फोटो शिव और पार्वती के विवाह के भी बनाए हैं।

इसमें दोष न तो एआई का है और न ही इसका उपयोग कर इन चित्रों को बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने वालों का क्योंकि उनके लिए विवाह शास्त्र और संस्कार की बजाए बॉलीवु़ड से प्रेरित हो गए हैं। वहां प्री- वेडिंग शूट भी है और सगे संबंधियों के सामने ही अपने जीवन साथी से लिपटते -चिपटते फोटो सेशन भी हैं। यहां शादी केवल एक इवेंट है जिसमें आपने अपनी दबी हुई इच्छाओं को पूरा करने की लिबर्टी ले ली है और सब कुछ जानते हुए भी आपके माता-पिता ने आपको यह लिबर्टी दे दी है।

इसमें दोष किसका है यह बहस किसी काम की नहीं है। बात सीधी सी है कि जो शिव को नहीं समझते वो महाशिवरात्रि को कैसे समझेंगे? उनके और एआई के लिए तो विवाह वही है जो हम आजकल देख रहे हैं और जिसके फोटो और रील सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहे हैं। आदि से लेकर अनादि तक के शिव युवाओं तक उस स्वरूप में पहुंच ही नहीं पाए जिस स्वरूप में उन्हें पहुंचना चाहिए था। हमारे युवाओं में जो शिव में रुचि रखते हैं उन्हें भी शिव को समझाने की जिम्मेदारी हमने उन बाबाओं को दे दी है जिनके लिए शिव केवल एक कर्मकांड हैं जिसमें जल और बेलपत्र अर्पित करना है बस । (हालांकि इतना भी न करने ये यह करना अच्छा है लेकिन शिव को समझना उससे ज्यादा जरूरी है। )

या फिर कुछ इंटरनेशनल ब्रांड के बाबाओं के लिए शिव एक नए प्रकार की मूर्ति हैं या हाई डेफिनिशन में बने हुए कुछ वीडियों है और कसर अगर रह गई थी तो शिव के साथ साक्षात्कार करते हुए उनके अपने एआई जनित फोटो हैं। इन बाबाओं से शिव का ज्यादा समझने की कोशिश करें तो ऐसा लग सकता है कि शिव इन बाबाओं के आगे बौने लग सकते हैं जबकि वो स्वयं ब्रह्माण हैं काल और महाकाल हैं , लय भी वही हैं और प्रलय भी वही हैं।

ऐसे में शिव और पार्वती के विवाह के ये चित्र उनके महादेव स्वरूप के साथ न्याय नहीं करते। हालांकि शिव इतने नाजुक भी नहीं है कि ये चित्र उनकी छवि को कोई आघात दे सकें। शिव ईशनिंदा जैसी छोटे दायरों से बहुत बड़े हैं। कोई प्रश्न कोई छवि उन्हें आघात पहुंचाने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन चिंता केवल इस बात कि है कि जिस शिव और पार्वती के विवाह से वर्तमान पीढ़ी को इस संबंध के बारे में कुछ सीखना चाहिए वो इसे भी बालीवुड की कथा समझ बैठी है और आगे वाली पीढ़ी को भी यही देने को तैयार है।

शिव और संस्कार को समझने वाले ये कभी सोच भी नहीं सकते हैं कि शिव और पार्वती के बीच ऐसे प्रसंग भी हुए होगे जैसे इन फोटो में दिखाए जा रहे हैं। चिंता यह है कि इस पीढ़ी के बाद की पीढ़ी इन्हें ही सच मान लेगी। इसलिए इतना आग्रह को तो किया ही जा सकता है कि इस तरह के फोटो को कम से कम आगे न बढ़ाया जाए।

दरअसल ये फोटो एक डर पैदा करते हैं वो डर जो कि आदि पुरुष नाम से एक फिल्म के रूप में सामने आया था। दुनिया सबसे सरल कथा का क्रिएटिविटी के नाम पर जो हाल किया गया था। वही हाल न हो जाए। इसकी चिंता जरूरी है। हम गणेश को गणेशा और शिव को शिवा तो पहले ही कर चुके हैं।

ये सबकुछ वैसे एआई की देन नहीं है। हम अकसर देखते हैं कि मंदिरों में भगवान के शृंगार के साथ विचित्र प्रयोग किए जाते हैं। कोरोना के समय मंदिर में विराजित मूर्तियों को पीपीई किट पहनाने के शृंगार भी किए गए थे। कई बार गणेशोत्सव के पांडाल में भी गणेश जी को सैनिक या डॉक्टर के रूप में विराजित कर दिया जाता है। ये फोटो इसी का एक्सेटेंशन भर हैं।

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