21st November 2024

3.5 करोड़ की डकैती के बाद हवाला जांच के दायरे में आई केरल भाजपा

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केरल से दिल्ली तक वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आरोप

तिरुअनंतपुरम

केरल में हुई साढ़े तीन करोड़ की डकैती की जांच का यह अंजाम होगा किसी ने नहीं सोचा था। इस जांच ने भाजपा को केरल से लेकर दिल्ली तक हिला कर रख दिया है।
केरल पुलिस को जांच में इस राशि के चुनावी फंड होने का संदेह है। कहा जा रहा है प्रारंभिक रूप से पुलिस को जानकारी मिली है उसके अनुसार ये फंड भाजपा का बताया जा रहा है। इसके बाद भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने केरल इकाई को दिए गए चुनावी फंड के वितरण और उनके खर्च पर एक रिपोर्ट देने को कहा है। इसके लिए एक तीन सदस्यीय समिति भी बनाई गई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट देने के लिए एक तीन सदस्यीय ‘स्वतंत्र’ समिति से कहा है। इस समिति के तीनों सदस्य- रिटायर सिविल सेवा अधिकारी सीवी आनंदा बोस, जैकब थॉमस और ई. श्रीधरन भाजपा से ही जुड़े हुए हैं और तीनों ही सदस्यों से हाल ही में समाप्त हुए चुनाव से ठीक पहले भाजपा की केंद्रीय इकाई द्वारा राज्य इकाई को भेजे हुए फंड के बारे में विभिन्न नेताओं और प्रत्याशियों से बात करके एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है।

जैकब थॉमस एक पूर्व आईपीएस अधिकारी और श्रीधरन दिल्ली मेट्रो के पूर्व प्रमुख के रूप में अप्रैल में हुए चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, इससे पहले वे पार्टी के सक्रिय सदस्य नहीं थे और इसलिए उन्हें किसी खास खेमे से जुड़ा हुआ नहीं माना जा रहा है। वहीं, सीवी आनंदा बोस एक रिटायर आईएएस अधिकारी हैं।

इनमें से कम से कम एक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि रिपोर्ट केन्द्रीय नेतृत्व को दे दी गई है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों भेजी गई है।

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री संतोष खुद हैं केरल के प्रभारी

पूरे मामले में खास बात ये है कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष केरल के प्रभारी थे। इसके चलते भी मामला गंभीर माना जा रहा है। इसी के चलते राष्ट्रीय नेतृत्व ने गोपनीय तरीके से रिपोर्ट मांगी थी और इसकी जिम्मेदारी ऐसे तीन लोगों को दी गई थी जो कि पार्टी में नए हैं और किसी गुट से संबंद्ध नहीं है।

खास बात ये है कि केरल में भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने बीएल संतोष के खिलाफ शीर्ष नेतृत्व से शिकायत की है, जिस पर उन्होंने राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन के नेतृत्व वाले आधिकारिक गुट का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। वहीं केरल पुलिस द्वारा 3.5 करोड़ रुपये की राजमार्ग डकैती के संबंध में जो जांच की जा रही है, उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ सुरेंद्रन के निजी सहयोगी से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है।

इतना ही नहीं पार्टी के चुनाव में अपमानजनक प्रदर्शन के बाद गुटबाजी से त्रस्त राज्य इकाई में नेतृत्व परिवर्तन की शिकायतों और मांगों से घिरे पार्टी नेतृत्व ने राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी को राज्य के नेताओं से सूचना एकत्र करने के लिए भी कहा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन

दस करोड़ में एनडीए में शामिल होने का ऑफर

इसके अलावा एक और खुलासे ने पार्टी ने को शर्मिंदा कर दिया है। जनाधिपत्य राष्ट्रीय सभा के एक नेता ने दावा किया था कि उनकी पार्टी के प्रमुख सीके जानू ने एनडीए में शामिल होने के लिए सुरेंद्रन से 10 करोड़ रुपये की मांग की थी और आखिरकार 6 अप्रैल के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में लौटने के लिए 10 लाख रुपये पर समझौता किया गया था।

इसके बाद पार्टी तब इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा जब मंजेश्वरम निर्वाचन क्षेत्र (के. सुरेंद्रन द्वारा लड़े गए सीटों में से एक) से अपना नामांकन दाखिल करने वाले बसपा उम्मीदवार के सुंदरा ने आरोप लगाया था कि उन्हें अपना नामांकन वापस लेने के लिए 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। हालांकि भाजपा ने इन आरोपों से इनकार किया है।

गुटबाजी के चलते सामने आया मामला, संघ को भी घसीट रहे

केरल के एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि ‘ गुटबाजी न केवल विधानसभा चुनाव में पार्टी की अपमानजनक हार का कारण है, बल्कि हाल के विवादों ने भी पार्टी की छवि और विश्वसनीयता को प्रभावित किया है।’ नेता ने कहा, ‘अगर पार्टी एकजुट होती तो हाईवे डकैती का मामला सामने नहीं आता। गुटबाजी की वजह से ही यह उजागर हुआ।’

उन्होंने आगे कहा, ‘कथित तौर पर सुनियोजित डकैती की जानकारी पुलिस को केवल इसलिए दी गई, क्योंकि विरोधी खेमे को लगा कि फंड उनके पास या उसके प्रत्याशियों के पास नहीं पहुंचा। ’

नेता ने संकेत दिया, ‘अब यह भाजपा और आरएसएस के लिए बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन गया है, क्योंकि इसमें आरएसएस नेताओं का नाम भी घसीटा जा रहा है।’

बहाल ही में समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी एकमात्र सीट हार गई और उसका वोट प्रतिशत भी 2016 में 14.46 प्रतिशत से घटकर 2021 में 11.30 प्रतिशत पर आ गया है।

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