बहरीन में ‘दिल से देश तक’ का आयोजन
ख्वाबगाह का वार्षिक कविता महोत्सव
ख्वाबगाह: हाउस ऑफ ड्रीम्स द्वितीय वार्षिक कविता महोत्सव, “दिल से देश तक” का भारतीय दूतावास, बहरीन तत्वावधान में रविवार , २१ मई की संध्या को आयोजन किया गया।
कविता सत्र का संचालन ख्वाबगाह की संस्थापक श्रीमती अनुपम रमेश किंगर ने किया। महामहिम राजदूत श्री पीयूष श्रीवास्तव और मैडम श्रीमती मोनिका श्रीवास्तव कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अनुपम रमेश किंगर ने सभी उपस्थित कवियों एवं अतिथियों का स्वागत एवं संचालन किया। इसके उपरांत द्वितीय सचिव राजनीतिक और मुख्या अवं विशिष्ट अतिथि कवियों तुफैल अहमद और स्नेहा देव द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया।
कवियित्री रूपा भार्गव ने सरस्वती वंदना का वाचन किया.
लगभग डेढ़ घंटे तक चले कार्यक्रम “दिल से देश तक” में खाड़ी प्रदेशों से आये 12 उत्कृष्ट भारतीय कवियों ने भाग लिया, जिन्होंने हिंदी में अपनी स्वरचित कविता का पाठ किया।
इस काव्य सत्र में आमंत्रित सम्मानित कवियों में तुफैल अहमद , सिम्मी कुमारी , स्नेहा देव, नाज़नीन अली, अनु बाफना, डॉ. नितिन उपाध्याय, ललिता मिश्रा, अवधेश राणा, शब्बीर हुसैन मुनव्वर, पल्लवी जैन, रूपा भार्गव, दानिश रिजवी थे।
कवियों ने देशभक्ति के संदर्भ में अपनी स्वयं रचित कविताओं का पाठ किया। तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंज उठा। ख्वाबगाह की संस्थापक अनुपमा रमेश किंगर के कविता पाठ के साथ एक आकर्षक हिंदी कविता का सत्र समाप्त हुआ।
जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ महामहिम राजदूत श्री पीयूष श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में, द्वितीय सचिव राजनीतिक श्री एजाज ने कवियों को सम्मानित किया, उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए और कार्यक्रम को उच्च सम्मान देते हुए कार्यक्रम की बहुत सराहना की।
श्रीमती अनुपम रमेश किंगर ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
दर्शकों में 200 से अधिक मेहमानों के साथ कविता सत्र लगभग डेढ़ घंटे तक चला। दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और काव्य सत्र “दिल से देश तक” का भरपूर आनंद लिया।
गत 5 वर्षों में, स्थापना के बाद से, ख्वाबगाह ने 3 हाउसफुल नाटक, “मैं, नूर बानो”, “राम रतन हाजिर हो”, “जिल-ए-तबाही” और एक जागरूकता कार्यक्रम “आई डोंट लव प्लास्टिक” प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त, 28 ऑडियो कहानियाँ लिखी और निर्मित की गई हैं, जो सभी YouTube पर उपलब्ध हैं। संगठन ने 20 लाइव कविता सत्रों का भी आयोजन एवं मंचन किया है।
ख्वाबगाह पिछले पांच वर्षों से बहरीन में हिंदी नाटकों, कहानियों और कविताओं का मंचन कर रही है और हिंदी साहित्य की लौ को जलाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।