उत्तराखंड आपदा : सुरंग के बाहर तीन दिन से श्रमिकों के लौटने का इंतजार कर रहा है कुत्ता
बांध पर ही पैदा हुआ था भूटिया नस्ल का ब्लैकी
तपोवन.
ग्लेशियर के पिघलने से हुई उत्तराखंड के तपोवन की त्रासदी में एक भावुक पक्ष भी दिखाई दे रहा है। इलाके में पाई जाने वाली भूटिया नस्ल का कुत्ता 3 दिन से बांध की सुरंग के बाहर उन श्रमिकों का इंतजार कर रहा है जो पिछले 2 साल से इस कुत्ते की देख रेख कर रहे थे। उन्होंने इस काले रंग के कुत्ते का नाम ब्लैकी रखा था। ये कुत्ता एनटीपीसी इस बांध के पास ही पैदा हुआ था। ब्लैकी आपदा के बाद से उन मजदूरों को खोज रहा है जो उसे खाना खिलाते थे और दुलारते थे।
उनके न मिलने से वो परेशान है। इस साइट पर काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारी ब्लैकी को जानते हैं। वो दिन में पहाड़ पर आ जाता था और शाम को वापस मैदान में लौट जाता था। रविवार को भी ब्लैकी मैदान में जिस समय ग्लेशियर के फटने की घटना हुई। इसके चलते वह इसकी चपेट में आने से बच गया। हर दिन सुबह मजदूरों के साथ इस बांध पर आ जाता था और दिन भर वहीं आसपास घूमता रहता था।
एक रात में सबकुछ बदल गया
सोमवार को ब्लैकी बांध पर वापस लौटा तो वहां का नजारा बदला हुआ था वह सब कुछ अस्त-व्यस्त था और उसे चारों तरफ नए नए चेहरे दिखाई दे रहे थे। लेकिन वह लोग कहीं नहीं थे जो उसे प्यार करते थे और जिनके चलते वो बांध पर आता था। स्थानीय निवासी अजीत कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया कि उसे समझ में आ गया है कि यह कुछ गड़बड़ हुई है और अब जो लोग यहां पर हैं वह अजनबी हैं और उनमें से कोई भी उस पर ध्यान नहीं दे रहा है।
यहां काम करने वाले श्रमिक राजिंदर कुमार ने बताया कि हम न सिर्फ उसे खाना खिलाते थे बल्कि वो हमारे पास सो भी जाता था। शाम को हमारे जाने के साथ ही वो भी यहां से चल जाता था। ब्लैकी का यह व्यवहार एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि इंसान इस जानवर से वफादारी सीख सकता है।
राहतकर्मी भगाते हैं लेकिन वो लौट आता है
राहत कार्य चलाने के लिए यहां भारी मशीनें आई है और राहत कर्मी उसे वहां से भगाते हैं, लेकिन वो वापस लौट कर आ जाता है। स्थानीय निवासी ब्लैकी की बेचैनी को महसूस कर रहे हैं वे उसे खाना भी खिला रहे हैं लेकिन लेकिन की नजर सुरंग पर है और वो चाहता है कि उसे प्यार करने वाले श्रमिक सुरक्षित लौट आएं।
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