मुस्लिम छात्र ले रहे थे अल्पसंख्यक स्काॅलरशिप का 80 प्रतिशत हिस्सा, कोर्ट ने खारिज किया नियम
केरल हाईकोर्ट की आपत्ति के बाद केरल सरकार ने बदला नियम, मुस्लिम लीग ने जताई विद्रोह की आशंका
केरल में अब तक अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स को मैरिट कम धार्मिक आधार पर मिलने वाली स्कॉलरशिप के नियमों को उच्च न्यायालय खारिज दिया है। अब तक सरकार के नियमों के अनुसार इस श्रेणी की स्काॅलरशिप का अस्सी प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम छात्रों को मिलता था। उच्च न्यायालय ने इसका बंटवारा केरल में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या के आधार पर करने के निर्देश दिए हैं।
27 मई के अपने आदेश में कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश दिए हैं। इसके बाद केरल सरकार ने 2011 की जनगणना के आधार पर इस स्काॅलरशिप के वितरण की अधिसूचना जारी की है। इसके बाद अब इस श्रेणी के लिए आवंटित स्काॅलरशिप में से अस्सी प्रतिशत का लाभ लेने वाले मुस्लिम समुदाय को अब 2011 की जनगणना के आधार पर 59 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलेगी और इसाई समुदाय को , जिसे कि पहले केवल 20 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिल रही थी, अब उन्हें 40 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी।
2015 से हो रहा था पक्षपात
स्काॅलरशिप के मामले में ये पक्षपात 2015 से हो रहा था। 2015 में केरल की तत्कालीन सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली इस स्काॅलरशिप को मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों के बीच 80 और 20 प्रतिशत के अनुपात में बांटने का आदेश दिया था। इस निर्णय को जस्टिन पल्लीवथुक्कल और अन्य संगठनों ने केरल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसमे केरल सरकार, केरल के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार एक अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है। खास बात ये है कि वर्तमान में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मुख्यमंत्री पी विजयन के पास है ।
मुस्लिम लीग की विद्रोह की धमकी
मुस्लिम छात्रों को कुल स्काॅलरशिप का 80 प्रतिशत दिए जाने का निर्णय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के समय किया गया था और इस सरकार में मुस्लिम लीग साझेदार थी। जैसे ही केरल उच्च न्यायालय का निर्णय आया प्रदेश में मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए। मुस्लिम लीग ने इस मामले में पहले तो सरकार से कहा कि इस मामले में उसे अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
लेकिन जब सरकार ने इस स्काॅलरशिप का पुराना नियम बदल कर इसे जनसंख्या के अनुपात में वितरित करने की अधिसूचना जारी की तो मुस्लिम लीग के विधायक पीके कुन्हलिकुट्टी (PK Kunhalikutty) ने चेतावनी देते हुए कहा, केरल मंत्रिमंडल ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए सच्चर कमिटी को रद्द कर दिया। सभी संस्थान इसका विरोध कर रहे हैं। केरल सरकार को इस गलत फैसले के लिए विद्रोह का सामना करना पड़ेगा।’