27th July 2024

आपके कीटनाशकों के खर्च को कम कर सकते है पक्षी, झिंगुर और कीड़े

नई रिसर्च में सामने आया कि इनसे कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होती है

यदि चिड़िया, अन्य पक्षी और झींगुर जैसे प्राकृतिक धुसपैठिए आपके खेत में आएं तो उन्हें भगाएं न बल्कि इनका स्वागत करें क्योंकि एक अध्ययन में सामने आया है कि इनकी मदद से आप न केवल अपना कीटनाशकों का खर्च कम कर सकते हैं बल्कि उत्पादन को भी बढ़ा सकते हैं।

नई रिसर्च में सामने आया है कि आपके खेत में चिडिया, झींगुर और कीड़े मकोड़े जैसे प्राकृतिक घुसपैठिए कीटनाशकों का विकल्प हो सकते हैं। ये फसलों का नाश करने वाले कीड़ों की संख्या को नियंत्रित कर उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इन कीड़ों के चलते लगभग दस प्रतिशत या 21 मिलीयन टन फसलों का नुकसान होता है और इस नुकसान को रोकने के लिए कैमिकल का उपयोग बढ़ता जा रहा है। पक्षी, मकड़ी और झींगुर के साथ कईं अन्य कीट भी आपकी फसल को बचाने में पेस्टीसाइड्स की तरह योगदान दे सकते हैं।

ब्राजील , चेक रिपब्लिक और अमेरिका के शोध कर्ताओं ने लंबे समय से इन घुसपैठियों से कीट नियंत्रण का विश्लेषण किया और पाया कि इनकी मदद से कीटों की संख्या में 70 प्रतिशत तक कीकमी और आई और उत्पादन में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

इसके प्रमुख शोधकर्ता और पर्नामबुको ब्राजील की फेडरल रूरल यूनिवर्सिटी की पीएचडी स्कॉलर गेब्रियल बोल्डोरिनी ने कहा कि भविष्य में क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की संभावनाओं को देखते हुए इन प्राकृतिक कीट नियंत्रकों को बनाए रखना भविष्य के लिए बहुत जरुरी है। कैमिकल पेस्टिसाइड के उपयोग से होने वाले नुकसान के प्रमाण उपलब्ध हैं। इससे बायो डावर्सिटी को नुकसान होने के साथ ही पानी और भूमि में प्रदूषण बढ़ता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।

हालांकि इस शोध में शोधकर्ताओं ने इन प्राकृतिक कीट नियंत्रकों और पेस्टिसाइड के बीच का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि पक्षी , झींगुर और कीड़ों जैसे प्राकृतिक कीट नियंत्रक उन स्थानों पर अच्छे कीट नियंत्रक साबित होते हैं जहां पर बारिश की मात्रा बहुत ज्यादा कम या अधिक होती रहती है। क्लाइमेट चेंज के चलते अब दुनि्या में ऐसे क्षेत्रों की संख्या बढ़ती जा रही है।

बोल्डोरिनी ने आगे कहा कि केवल एकप्रकार के प्राकृतिक घुसपैठिये की कीट नाशक के रूप में मौजूदगी, यानी केवल चिड़िया या झींगुर या अन्य कीड़े, इनमें से कोई एक की खेत में मौजूदगी भी इन सभी की एक साथ मौजूद होने के समान ही परिणाम देती है।

हालांकि ये माना जाता है कि ज्यादा प्रजातियां होने से ईको सिस्टम अच्छे तरीके से काम करेगा लेकिन इस मान्यता के कुछ अपवाद भी हैं। एक ही प्रजाति का प्रभावी पेस्ट कंट्रोल के रूप में काम करना इन्हीं में से है। क्लाइमेट चेंज और कार्बन उत्सर्जन स्तर के बढ़ने का असर कृषि के उत्पादन और उन्हें नुकसान पंहुचाने वाले कीट पतंगों दोनों पर दिखाई दे रहा है। कीट न केवल बढ़ गए हैं बल्कि उनके जीवित रहने की दर भी बढ़ गई है।

इसके साथ ही अध्ययन में यह भी सामने आया है कि अकशेरूक (यानी वे जीव जिनमें रीढ़ की हड्‌डी नहीं होती) जो कि ईको सिस्टम के लिए बहुत जरुरी है , उनकी संख्या पूरी दुनिया में तेजी से घट रही है। बोल्डोरिनी ने कहा कि इन जीवों के संरक्षण से हम बिना ईको सिस्टम को नुकसान पहुंचाए गारंटी के साथ प्राकृतिक पेस्ट कंट्रोल कर सकेंगे ।

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