क्या ऑनलाइन पैमेंट लेने से दुकानदार मना कर सकते हैं?
पढ़े लिखे डॉक्टर सबसे ज्यादा कर यूपीआई पैमेंट से फीस लेने में इंकार
यदि आपके बैंक खाते में पैसे हैं और आप यूपीआई पैमेंट यानी कि ऑनलाइन भुगतान करते हैं। ऐसे में यदि आप आधी रात को अपने किसी परिजन को बीमारी की हालत में लेकर अस्पताल या डॉक्टर के पास जाते हैं और वो आपसे ईलाज के लिए नगद की मांग करता है तो आप क्या करेंगे? क्या आप फीस भुगतान के लिए रात में एटीएम खोजेंगे? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सामने आया है कि छोटे दुकानदार तो यूपीआई के जरिए पैसा लेने से इंकार नहीं करते लेकिन डॉक्टर और अस्पताल कर रहे हैं।
केस एक
जयंत ईलाज के लिए शहर के ख्याति प्राप्त डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर साहब कॉलेज में प्राध्यापक भी हैं और अच्छी खासी प्रैक्टिस भी करते हैं। फीस भी आठ सौ रुपए लेते हैं। जब जयंत ने एपाइंटमेंट मांगा तो रिसेप्शनिस्ट ने फीस का भुगतान करने को कहा, जैसे ही जयंत ने मोबाइल निकाला रीसेप्शननिस्ट ने तुरंत ही ऑनलाइन पैमेंट लेने से मना कर दिया और कहा डॉक्टर साहब ऑनलाइन पैमेंट नहीं लेते हैं। जयंत को नकद पैसों के लिए एटीएम खोजना पड़ी।
केस दो
दिनेश के चाचा बीमार थे। वो उन्हें लेकर पास के छोटे से नर्सिंग होम पहुंचा। चेक करने के बाद डॉक्टर ने चाचा को थोड़े समय के लिए भर्ती करने को कहा। इसके उन्होंने दिनेश से तीन हजार रुपए जमा करने को कहा। दिनेश यूपीआई स्कैनर की ओर बढ़ा तो स्टाफ ने कहा कि कैश देना है। ऑनलाइन नहीं चलेगा। दिनेश को नगद की व्यवस्था करना पड़ी। फिर भी जो पैसे कम पड़े वो अस्पताल ने बाहर दवा की दुकान वाले के खाते में ऑनलाइन लिए।
ये दो उदाहरण बताते हैं कि देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किस तरह से काली कमाई की जा रही है। ऑनलाइन पैमेंट लेने का मतलब है कि पैसा बैंक में आना और इसके चलते इंकम टैक्स में दिखाई देना लेकिन इससे बचने के लिए सफेद कोट वाले सफेद पोश आजकल नगद के व्यवहार में लगे हुए हैं। ऑनलाइन पैमेंट से डॉक्टर साहब के आयकर रिटर्न का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। उन्हें मरीज के स्वास्थ्य से ज्यादा अपने आयकर रिटर्न के स्वास्थ्य की चिंता है।
बहुत पहले सोशल मीडिया पर एक मैसेज वाइरल हुआ था। जिसमें प्रधानमंत्री से मांग की गई थी कि प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर्स की फीस का कहीं कोई हिसाब नहीं होता है। क्योंकि यह नगद में ली जाती है और इसका कोई बिल भी नहीं बनता है। ऐसे में ऑनलाइन पैमेंट एप आने के बाद माना जा रहा था कि डॉक्टर्स की फीस टैक्स के दायरे में आएगी लेकिन अधिकांश डॉक्टर्स ऑनलाइन फीस लेने से बच रहे हैं।
लाईलाज है यूपीआई से पैसे लेने से इंकार करना ?
ऑनलाइन पैमेंट को लेकर न तो आरबीआई ने इसे अनिवार्य किया है और न ही पैमेंट एंड सेटलमेंट एक्ट के अधीन ऑनलाइन भुगतान के लिए बनाई गई नेशनल पैमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) ने इसे लेकर कोई निर्देश जारी किए हैं। इसका मतलब है कि कोई भी ऑनलाइन पैमेंट लेने से इंकार कर सकता है, ये किसी भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। हालांकि अब इसकी मांग भी उठ रही है कि इस संबंध में नियम बनाए जाने चाहिए कि यदि किसी के पास सुविधा है तो वो ऑनलाइन पैमेंट लेने से मना नहीं कर सकता है क्योंकि बहुत से लोगों ने ऑनलाइन भुगतान सुविधा के चलते कैश रखना कम कर दिया है ऐसे में कोई अचानक यह कहे कि वो ऑनलाइन पैमेंट नहीं लेगा तो मुश्किल खड़ी होती है।
सिक्के न लेना राष्ट्र द्रोह
इसके उलट कईं बार देखने में आता है कि कईं बार बाजार में दुकानदार खुल्ले पैसे लेने से इंकार कर देते हैं कि ये बंद हो गए या हमसे कोई सिक्के नहीं लेता। ये भारतीय दंड विधान संहिता 1980 की धारा 124ए के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। इसे राष्ट्र द्रोह माना जाता है। इस धारा में तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अब मांग की जा रही है कि ऑनलाइन पैमेंट को भी इसके अधीन लाया जाना चाहिए। हालांकि अब तक इस दिशा में सरकार ने कवायद शुरू नहीं की है।
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