27th July 2024

अमिताभ बच्चन को सजायाफ्ता रामपाल से जुड़ने के मैसेज कर रहे चेले

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Message_To_AmitabhBachchan के जरिए हो रहा अमिताभ बच्चन के नाम का दुरुपयोग !

मुंबई

आपको रामपाल याद होंगे। वे ही जिस पर हत्या का आरोप था और जब उसे पुलिस पकड़ने गई तो उनके चेलों ने बहुत हंगामा किया था। 18 दिन की मश्क्कत और लगभग 50 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद पुलिस रामपाल को पकड़ पाई थी। रामपाल पर हत्या का आरोप साबित हो चुका है और अब वो हिसार जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। खास बात ये कि इस जैसा आदमी स्वामी दयानंद सरस्वती और उनकी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश का विरोध किया था। वो हमेशा से आर्य समाज का विरोध करता आया है।

जैसा गदर इनके समर्थकों ने गिरफ्तारी के समय मचाया था वैसा ही गदर इनके चेले टि्वटर पर मचाए हुए हैं। हर ट्रेंड में रामपाल को लेकर घुसना और हर दिन रामपाल को लेकर नया ट्रेंड चलाना इनकी सोशल मीडिया स्ट्रेटेजी का हिस्सा है और अब इन्होंने गजब ही कर दिया। अब ये लोग #Message_To_AmitabhBachchan के  हैशटैग से अभिताभ बच्चन के नाम का फायदा उठाने की कोशिश कर रहें।

अमिताभ बच्चन के नाम का दुरुपयोग

#Message_To_AmitabhBachchan के माध्यम से इनके चेलों ने मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के फोटो वाले पोस्टर पोस्ट कर उन्हें रामपाल के मार्ग को स्वीकार करने की सलाह दी है। हाल ये है कि 14 सितंबर की सुबह तक इस हैशटैग के साथ इनके 1.73 लाख ट्‌वीट कर चुके थे। एक बारगी इन पोस्टर्स को देखने से लगता है कि जैसे अमिताभ बच्चन रामपाल और उसके सतलोक आश्रम से जुड़े हुए हैं। देखिए कुछ ट्वीट्स को

https://twitter.com/Pardeep34762578/status/1304991096968101888

कौन है रामपाल

1951 को जन्मा रामपाल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा करने के बाद हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में नौकरी करने लगा था। 1995 में इसने नौकरी से त्यागपत्र दिया और पूर्णकालिक संत बन गया। समर्थकों ने रामपाल को सदगुरू और कबीर का अवतार घोषित कर दिया। इतना ही नहीं उनकी अधिकारिक वेबसाइट पर लिखा है कि रामपाल हनुमान जी, श्री कृष्ण और खाटू श्याम जी की पूजा की लेकिन उनके अनुसार उन्हें शांति नहीं मिली। इसके बाद उन्हें कोई कबीरपंथी महाराज मिले उसके बाद वे कबीर की भक्ति में लगे।

इस तरह का विवाद है रामपाल और आर्य समाज के बीच

आर्य समाज से विवाद

रामपाल ने 2006 में एक पुस्तक में स्वामी दयानंद सरस्वती और उनकी एतिहासिक पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश की आलोचना की थी। इसके बाद आर्य समाजी और रामपाल के चेलों के बीच विवाद की स्थिति बन गई। 2006 में करोंथा गांव में रामपाल के आश्रम के बाहर आर्य समाजियों ने प्रदर्शन किया था। उनके साथ ग्रामीण भी थे। यहां पर प्रदर्शनकारियों पर गोली चली और एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने रामपाल और उसके 27 चेलों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और करोंथा आश्रम को अपने कब्जें में ले लिया था। 2009 में रामपाल को जमानत मिल गई थी और उसे आश्रम भी वापस मिल गया था। यह मामला अब भी लंबित है। 2013 में आर्य समाजियों और संत रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई। इस हिंसक झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई, करीब 100 लोग घायल हो गए।

आर्य समाज के अनुयायियों के अनुसार उन्होंने कईं बार रामपाल को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है लेकिन रामपाल इसके लिए कभी तैयार नहीं हुए।

रामपाल को गिरफ्तार करने में पुलिस के पसीने छूट गए थे।

2014 का हंगामा

नवंबर 2014 को हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी रामपाल कोर्ट में पेश नहीं हुआ। इसके बाद हाईकोर्ट ने रामपाल को पेश करने के आदेश दिए और पुलिस प्रशासन ने सतलोक आश्रम से रामपाल को निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया। तब आश्रम में हजारों अनुयायी थे। इस दौरान रामपाल समर्थकों और पुलिस में झड़प हुई। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने रामपाल को जबरन आश्रम से बाहर निकालकर गिरफ्तार किया था। ये हंगामा 18 दिनों तक चला था। बताया जाता है कि रामपाल को गिरफ्तार करने में पुलिस के 25 से 50 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

किस अपराध में जेल में बंद है

बरवाला थाना पुलिस ने 19 नवंबर 2014 को हत्या के दो मुकदमे दर्ज किए थे। अभियोग के अनुसार बरवाला के सतलोक आश्रम के गेट के आगे 18 नवंबर 2014 को रामपाल के अनुयायियों और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव हो गया था। रामपाल ने महिला अनुयायियों और बच्चों को ढाल बनाकर गेट के आगे बैठा दिया था, ताकि पुलिस कार्रवाई न कर सके। पुलिस ने आश्रम को घेर लिया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। इसके आद 19 नवंबर को रामपाल को पुलिस गिरफ्तार कर ले गई थी। इसके बाद पुलिस ने आश्रम में पांच महिलाओं और एक बच्चे का शव बरामद किया था। इसके बाद हत्या के मामले दो मामले एफआईआर नंबर 429 और एफआइआर नंबर 430 दर्ज किए गए थे। दोनों मामले में अदालत ने 11 अक्‍टूबर को एफआईआर नंबर 429 में रामपाल सहित 15 आरोपितों और एफआईआर नंबर 430 में रामपाल सहित 14 आरोपितों को दोषी ठहराया। छह आरोपितों को दोनों मामलों में दोषी करार दिया गया था।

स्वंयभू देवता….

रामपाल को चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देसराज चालिया ने कहा, ‘देश स्वयंभू देवताओं से भरा पड़ा है। जो स्वयं को पहले धर्म गुरु बताते हैं, बाद में अपने आप को भगवान घोषित कर देते हैं। प्रक्रिया के अंत में लंबा चौड़ा साम्राज्य स्थापित करते हैं और धन एकत्रित कर लेते हैं। उसके बाद पता चलता है कि इन्होंने महिलाओं और बच्चों का व्यापक स्तर पर शोषण कर रखा है। इस दौर में हर बुराई के पीछे इन स्वयंभू भगवानों की ही चर्चा की खबरें रहती हैं।’

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