27th July 2024

RSS से संबंध बताकर भारतीय छात्र को नहीं लड़ने दिया लंदन स्कूल ऑफ इकानॉमिक्स में छात्र संघ चुनाव

वाट्सएप् पर चलाए छात्र के भारत माता के साथ फोटो

लंदन.

प्रतिष्ठित माने जाने वाले संस्थान लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स (LSE) के छात्र संघ चुनाव में से एक भारतीय छात्र को इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसके संबंध राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से थे। उसे इस्लामफोबिक और फासिस्ट बताया गया। छात्र के खिलाफ यह अभियान चुनाव में मतदान के ठीक पहले किया गया। छात्र LSE के छात्र संघ चुनाव में सचिव के पद के लिए मैदान में था। इस छात्र का नाम करण कटारिया है। बताया जाता है कि इस छात्र के खिलाफ चलाए गए इस अभियान के पीछे LSE में कार्यरत एक भारतीय मूल की प्राध्यापक का हाथ बताया जा रहा है।

LSE के छात्र करण कटारिया

करण के अनुसार वे LSE में छात्र संगठन का चुनाव लड़ रहे थे और उनके चुनाव अभियान प्रभावी तरीके से चल रहा था। इसके चलते संस्थान में पढ़ने वाले भारतीय और अतंरराष्ट्रीय छात्रों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ रही थी। मतदान के अंतिम दिन 24 मार्च को छात्रों के व्हाट्स एप ग्रुपों में बहुत से मैसेज फॉरवर्ड किए गए जिसमें कि करण को “Islamophobic”, “homophobic”, “far-right”, “fascist” and a part of “Islamophobic organisations in India” बताया गया। करण के अनुसार उनके लिए ये बातें आरएसएस के संदर्भ में कही गईं। उनके अनुसार एक संदेश में उनका एक चित्र भारत माता और संघ के संस्थापकों के साथ भी फॉरवर्ड किया गया। करण का कहना है कि यह सबकुछ जिस तरह से किया गया उसे देखते हुए ये पूर्व नियोजित लगता है।

देखिए मैसेज

करण ने कुछ व्हाट्सएप मैसेज बताए हैं जिनमें कि उन्हें टारगेट किया जा रहा है । इस तरह का एक संदेश यह है-  “Urgent Appeal: Karan Kataria, LSESU candidate for General Secretary, has links to the Indian far-right fascist organisation. He is likely a member of the far-right queerphobic and Islamophobic organisation in India. His book was also released by RSS leader J. Nandkumar and published by Indus scrolls which publishes hateful contents against minorities…”

इस तरह के संदेशों के साथ ही करण को चुनाव से अयोग्य घोषित करने की मांग भी की गई। उन्हें चुनाव से बाहर करने के लिए सैंकड़ों शिकायत संस्थान से की गईं और इसके बाद उन्हें चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया गया।करण का कहना है कि उन्हें उनकी हिन्दूवादी पहचान के कारण ऐसा किया गया है। हालांकि LSE ने उन्हें छात्रों को धमकाने का नोटिस जारी किया था। जिसे कि बाद में सबूतों के अभाव में वापस ले लिया गया।

भारतीय ही है अभियान के पीछे!

करण का कहना है कि LSE लेफ्ट लिबरल ग्रुप चलाने वाले प्राे. मधुलिका बैनर्जी इस घटनाक्रम के पीछे हैं। वे राहुल गांधी की भी करीबी हैं। राहुल की लंदन यात्रा के दौरान उन्होंने उनके लिए एक डिनर का भी आयोजन किया था। वे यूके में काम कर रहे वामपंथी समूह कैंथम हाउस से भी जुड़ी हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ीं हुईं हैं। हालांकि मधुलिका बैनर्जी ने इन आरोपों को गलत बताया है और कहा कि उनका इस मामले से कुछ लेना – देना नहीं हैं। उन्होंने कहा कि LSE के छात्रसंघ चुनाव छात्रों का मामला है उसमें संस्थान के फैकल्टी की कोई भूमिका नहीं होती है। उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे व्हाट्सएप्प मैसेज को भी झूठा बताया है। उनका कहना है कि वे स्वयं हिन्दू हैं और धर्म को मानती हैं। इसलिए उन्हें हिन्दू विरोधी बताया बकवास है।

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