शुभकामनाओं का एक दिन और 35 हजार चयनित शिक्षकों की दुर्दशा

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शिक्षक दिवस विशेष

लोकतंत्र में जनता के वोट से चुना गया नेता आज फिर शुभकामनाएं देने का ढ़कोसला करेगा। आज फिर शिक्षकों को नमन करेगा। लंबी -लंभी फैंकेगा, बड़े बड़े वादे करेगा। हां लेकिन गलती से भी आप इन वादों को पूरा करने का सवाल मत पूछ लेना, नहीं तो उसके पास एफआईआर का ऑप्शन खुला हुआ है। इसी का उदाहरण हैं मध्य प्रदेश के 35000 चयनित शिक्षक। जो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। परीक्षा पास कर लेने के बाद भी उन्हें धक्के, डंडे और एफआईआर तो मिल रही है लेकिन नहीं मिल रहा तो नियुक्ति पत्र।

कहने को यह प्रदेश के स्वयंभू मामा के प्रिय भांजे-भांजियां हैं। लेकिन फिलहाल चुनाव नहीं है इसलिए मामा को भांजे भांजियों की जरूरत भी नहीं है। फिलहाल आरक्षण की राजनीति में इतनी व्यस्तता है कि बाकी चीजों पर कोई ध्यान ही नहीं है। वैसे बाकी चीजों का पूरा ध्यान मामी रख रहीं हैं। वे पिछले कई सालों से यह ध्यान रखती आई हैं। 

लीजिए मुख्यमंत्री की बधाई आ गई है। इसे खाइए और अपने परिवार का भी पेट इसी से भर लीजिए। कृपया नियुक्ति पत्र की बात मत कीजिये।

यहां सवाल 35000 शिक्षकों का नहीं है, जनतंत्र के राज में उस जनता का भी है जो कि इन शिक्षकों के मार्फत यह देख सकती है कि वह कितने हाशिये पर धकेल दी गई है? नेता कुछ भी वादा करके वोट ले सकता है लेकिन जब आप वादा याद दिलाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे तो पुलिस अपने आकाओं के लिए डंडा लेकर खड़ी हो जाएगी। आपको डराने के लिए आपके फोटो खींचेगी। हां कोई दलबदलू बिना कोरोना के खतरे के अपनी भीड़ भरी यात्रा निकाल लेता है और उस समय आमजन पर डंडे चमकाने वाला पुलिस प्रशासन शिखंडी का अवतार धर लेता है।वहां न कोई फोटो खींचे जाते हैं और न ही एफआईआर होती है? उल्टा मुखिया ट्वीट कर खुशी जताता है।

यह सच्चाई केवल चयनित शिक्षकों की नहीं है। यह सच्चाई उस आम आदमी की है जो लॉकडाउन के दौरान अपने मां पिताजी की ब्लड प्रेशर और शुगर की गोलियां लेने के लिए सड़कों पर निकला और पुलिस के डंडों से पीटा गया। कुलमिलाकर सवाल लोकतंत्र में लोक के महत्वहीन हो जाने का है। अगर एफआईआर की ही बात है तो परम प्रतापी चक्रवर्ती महाराजा से कभी यह तो पूछिए कि आपने तो मोबाइल सिम के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया था। देश का यही लोक लाइन में लगकर आधार कार्ड बनवाता रहा और उसे मोबाइल सिम से लिंक कराता रहा लेकिन फिर भी जमताड़ा से आने वाले ठगी वाले कॉल बंद क्यों नहीं हुए?

जब इस देश में आधार कार्ड के बिना मोबाइल सिम मिलती नहीं है तो फिर जमताड़ा से बैंकिंग की ठगी के फोन किस नंबर से आ रहे हैं? महाराज यह ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले लोग किस तरह से सिम हासिल कर रहे हैं कि पकड़े भी नहीं जा रहे हैं?  पूछिए लेकिन अपने जोखिम पर पूछिए क्योंकि वही एफआईआर आपके खिलाफ की जा सकती है जो अधिकार मांगने पर चयनित शिक्षकों के खिलाफ की गई है। 

लेकिन इसमें सत्ता का दोष जरा सा भी नहीं है पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी के राज को लाकर आपने स्वयं इन्हें अपने कंधे पर बैठाया है और अब ये आपके कान में सू-सू कर रहे हैं तो शिकायत कैसी? दावे के साथ कहा जा सकता है कि अगर आज भी चुनाव हो तो यह 35000 चयनित शिक्षकों में से बहुतायत आज भी उसी दल को वोट करेंगे जिसने उन्हें नियुक्ति पत्र की बजाए डंडे और एफआईआर दिए हैं। वे इसके लिए जमीन आसमान एक कर के कोई न कोई कारण ढूंढ लेंगे। यह बात नेता से बेहतर कौन समझता है? 

13 प्रतिशत सीटों के मामले में 87 प्रतिशत को अटकाना कौन सा न्याय है, वैसे भी आपका इतिहास रहा है कि आपने अपने वोट बैंक के लिए कब न्यायालय और उसके आदेश का सम्मान किया? एसटीएससी एक्ट इसका उदाहरण है। आपका वोट बैंक दांव पर लगा था तो आपने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ताक पर रख दिया था। आपको 87 प्रतिशत भर्ती करने में कौन रोक रहा है?

शिक्षक दिवस यह समझने का अवसर है कि अब लड़ाई सरकार बनाम जनता की हो गई है। जनता जब तक मतदाता रहेगी नेता उसके घर किसी भी समय भीख मांगने आ जाता है लेकिन जनता नेता के घर नहीं जा सकती। फिर भी सवाल मत कीजिए क्योंकि सवाल करने के बहुत खतरे हैं। चुपचाप शिक्षक दिवस मनाईये और अपने शिक्षक होने पर गर्व कीजिए। हां लेकिन इतना याद रखिए कि जब आपको पढ़ाने का मौका मिले तो ऐसे जन गढ़िए जो तंत्र की आंखों में आंखें डाल कर बोल सकें कि नौकर को यह पता होना चाहिए कि मालिक यानी की जनता से कैयसे बात करनी चाहिए? 

एक शिक्षक चाणक्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए नंद वंश का समूला नाश किया था। उसी चाणक्य ने यह भी कहा था कि शिक्षक कभी साधारण नहीं होता निर्माण और प्रलय उसकी गोद में खेलते हैं। फिर आप तो 35000 हैं। लेकिन हां अपने बीच के उस ‘मुरलीधर’ को पहचानिए जो अपने ही साथियों के हितों पर पैर रख विधानसभा पहुंच गया था। शुभकामनाएं…इस उम्मीद में कि आप जब भी नियुक्ति पाएंगे सवाल पूछने वाले छात्र खड़े करेंगे।

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