यदि लॉकडाउन नहीं होता तो चार करोड़ लोगों की मौत होती कोरोना से
सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती तो दुनिया की 90 प्रतिशत जनता को होता कोविड-19 संक्रमण
कोरोना से बचाव के लिए कहा जा रहा है कि लॉकडाउन ही इसे फैलने से रोक सकता है अन्यथा यह महामारी नियंत्रण के बाहर हो जाएगी। हमारे देश में भी 21 दिन का लॉक डाउन चल रहा है लेकिन पुलिस और प्रशासन को लोगों को अपने घरों में रखने में संघर्ष करना पड़ रहा है। कोरोना को लेकर दुनिया में कई तरह के अध्ययन और शोध हो रहे हैं। इसी तरह के एक ब्रिटिश शोध में सामने आया है कि कोविड-19 इस दुनिया में 40 मिलीयन यानी चार करोड़ लोगों को लील सकता है। इस अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में लॉक डाउन अपना लिए जाने के बाद अब यह आंकड़ा 1.9 मिलीयन यानी 19 लाख बताया जा रहा है। हालांकि ये भी कम संख्या नहीं है।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज की रिस्पांस टीम ने शुक्रवार को अपने अध्ययन को जारी करते हुए बताया कि न केवल इस वायरस से बड़े पैमाने पर जनहानि होती बल्कि दुनिया की 90 प्रतिशत जनसंख्या इस संक्रमण के दायरे में होती और इसमें से 40.6 मिलीयन संक्रमित लोगों की जान जाती। इस अध्ययन के अनुसार सोशल डिस्टेसिंग, जांच और आइसोलेशन अपना लिए जाने के चलते ये आंकड़ा अब 1.9 मिलीयन के आसपास रह सकता है। लेकिन यह भी तभी संभव है जबकि इसे उस समय अपनाया जाए जबकि संक्रमण से होने वाली मौत की दर 0.2 प्रति एक लाख व्यक्ति हो। लेकिन यदि कोविड-19 से होने वाली मौत की दर 1.6 प्रति एक लाख व्यक्ति तक पहुंच गई तो फिर इस महामारी से दुनिया में 10.5 मिलीयन यानी एक करोड़ जान जा सकती है। भारत अभी इस दर से बहुत पीछे हैं इसके चलते ही हर स्तर पर जनता से कहा जा रहा है कि वे 21 दिन के लॉक डाउन का सख्ती से पालन करें। इसके बिना स्थितियां भयावह हो सकती हैं। यदि लॉक डाउन सफल रहा तो हम इसे रोक पाने में सफल रहेंगे।
अमेरिकी ने चीन को पीछे छोड़ा
जहां दुनिया में कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या छह लाख का आंकड़ पास कर चुकी है वहीं चीन से शुरू हुए इस संक्रमण ने अमेरिका को बुरी तरह से प्रभावित किया है। 26 मार्च को ही अमेरिका मे कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा चीन को पीछे छोड़ चुका है। बताया जा रहा है कि जिस तेजी से इटली और स्पेन में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है कुछ दिनों में ये भी संक्रमितों की संख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देंगे।